लखनऊ: आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की सेवानियमावली अभी तक लंबित, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने जताई नाराजगी

लखनऊ: आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की सेवानियमावली अभी तक लंबित, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने जताई नाराजगी

लखनऊ। साल 2019 में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को विनियमित करने का प्रस्ताव शासन को भेजा था,इस प्रस्ताव के साथ ही आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन ,भत्ते देने व मृतक आश्रित नियमावली की सुविधाएं दिये जाने का प्रस्ताव भी परिषद द्वारा भेजा गया था। उसके बाद भी अभी तक आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की …

लखनऊ। साल 2019 में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को विनियमित करने का प्रस्ताव शासन को भेजा था,इस प्रस्ताव के साथ ही आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन ,भत्ते देने व मृतक आश्रित नियमावली की सुविधाएं दिये जाने का प्रस्ताव भी परिषद द्वारा भेजा गया था। उसके बाद भी अभी तक आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की सेवानियमावली लंबित है,जिसकों लेकर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने नाराजगी जाहिर की है। बताया जा रहा है सेवा नियमावली बनकर तैयार है,सरकार के अनुमोदन के बाद उसे लागू किया जाना है। जिससे प्रदेश के हजारों आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को लाभ मिलने की बात बतायी जा रही है।

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद की मांग पर तत्कालीन मुख्य सचिव डॉ. अनूप चंद्र पांडे की अध्यक्षता में साल 2018 में 9 अक्टूबर को एक बैठक हुयी थी, जिसमें अपर मुख्य सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक को निर्देश दिया था कि विभागों में भारी संख्या में एजेंसी के माध्यम से रखे गए कर्मचारियों की सेवा सुरक्षा, विनियमितीकरण, न्यूनतम वेतन व भत्ते देने के लिए सेवा नियमावली बनायी जाये। साथ ही यह भी कहा गया था कि यह सेवा नियमावली 3 माह में तैयार कर मंत्रिमंडल के समक्ष प्रस्तुत कर दिया जाये। इसके अलावा इस सेवा नियमावली को जल्द से जल्द लागू किया जाये। जिससे कर्मचारियों को पूरा वेतन मिल सके। मौजूदा दौर में ऐसे कर्मचारियों को पूरा वेतन नहीं मिलता तथा एजेंसी जब चाहती है उन्हें हटा देती है। उनका भविष्य अंधकार में है।

परिषद के अध्यक्ष सुरेश रावत एवं महामंत्री अतुल मिश्रा ने अनुरोध किया था कि ऐसे नियुक्ति कर्मियों को सेवा सुरक्षा ,न्यूनतम वेतन ,भत्ते, बोनस ,बीमा, पेंशन, मृतक आश्रित नियमावली का लाभ आदि सभी सुविधाएं अनुमन्य की जाए तथा विभागों में उनकी वरिष्ठता सूची बनाई जाए। अतुल मिश्रा ने बताया है कि परिषद के अथक प्रयासों के बाद कार्मिक विभाग द्वारा मसौदा तैयार किया गया, जिसकी एक प्रति 13 फरवरी 2019 को तत्कालीन अपर मुख्य सचिव कार्मिक मुकुल सिंघल द्वारा परिषद को उपलब्ध कराई गई और परिषद का मत चाहा। जिसपर परिषद द्वारा साल 2019 में कुछ सुविधाओं को जोड़ने का प्रस्ताव देते हुए पत्र का जवाब दिया गया।

उस पत्र के माध्यम से परिषद ने जो मत दिया, उसमें आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की नियुक्ति के सेवायोजन कार्यालय में अपना रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। सेवा प्रदाता को भी रजिस्ट्रेशन कराना होगा। ऐसे कर्मचारियों को एजेंसी सेवा से पृथक नहीं कर पाएगी। यदि किसी को अनुशासनात्मक कारणों से सेवा मुक्त करना होगा तो उसके लिए नियुक्ति अधिकारी की अध्यक्षता में समिति दोनों पक्षों को सुनकर निर्णय करेगी। इसके अलावा कर्मचारियों के न्यूनतम वेतन,भत्ते अनुमन्य किए जाएं साथ ही वार्षिक वेतन वृद्धि दी जाए,समेत कई बातें शामिल रहीं।

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