गढ़वाल राइफल्स का गढ़ और मनभावन हिल स्टेशन है लैंसडाउन, अंग्रेजों ने बसाया था इसे

गढ़वाल राइफल्स का गढ़ और मनभावन हिल स्टेशन है लैंसडाउन, अंग्रेजों ने बसाया था इसे

उत्तराखंड की हसीन वादियां हर किसी को अपनी ओर खींचती हैं। यहां हरे भरे पेड़ों के बीच मन की शांति का अद्भुत एहसास होता है। चाहे कुमाऊं हो या गढ़वाल, हर जगह ऐसे मनभावन पर्यटक स्थल हैं जहां साल भर देश-विदेश से पर्यटक पहुंचते हैं। ऐसा ही एक हिल स्टेशन पौड़ी गढ़वाल जिले में स्थित …

उत्तराखंड की हसीन वादियां हर किसी को अपनी ओर खींचती हैं। यहां हरे भरे पेड़ों के बीच मन की शांति का अद्भुत एहसास होता है। चाहे कुमाऊं हो या गढ़वाल, हर जगह ऐसे मनभावन पर्यटक स्थल हैं जहां साल भर देश-विदेश से पर्यटक पहुंचते हैं। ऐसा ही एक हिल स्टेशन पौड़ी गढ़वाल जिले में स्थित लैंसडाउन भी है। लैंसडाउन समुद्र तल से करीब 1700 मीटर की ऊंचाई पर ओक और देवदार के जंगलों से घिरा हुआ है।

गढ़वाल राइफल्स का स्मारक।

कैसे पहुंचें लैंसडाउन
अगर आप दिल्ली से कार द्वारा लैंसडाउन जा रहे हैं तो यह 4-5 घंटे का रास्ता है। लैंसडाउन दिल्ली से 283 किलोमीटर दूर है। ये पौड़ी से करीब 83 किलोमीटर दूर है। अगर आपको ट्रेन से लैंसडाउन पहुंचना है तो ये कोटद्वार स्टेशन के जरिए मुमकिन है। ये लैंसडाउन से 44 किलोमीटर दूर है। इसके आगे आपको कैब कर लैंसडाउन पहुंचना होगा। लैंसडाउन से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट देहरादून का जॉलीग्रांट एयरपोर्ट है। यहां से 152 किलोमीटर का सफर आपको सड़क मार्ग से तय करना होगा।

‘कालूडंडा’ से पड़ा ‘लैंसडाउन’ नाम
लैंसडाउन का असली नाम ‘कालूडंडा’ था। गढ़वाली भाषा में इसका मतलब है काला पहाड़। इसके बाद 1857 में भारत से तत्कालीन वाइसरॉय लॉर्ड लैंसडाउन के नाम पर इस शहर का नाम लैंसडाउन पड़ गया। ये गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंट का ट्रेनिंग सेंटर बनाया गया, ये सेंटर पहले अल्मोड़ा में स्थित था।

लैंसडाउन में स्थित ताड़केश्वर धाम।

गढ़वाल राइफल्स का गढ़
लैंसडाउन को ब्रिटिश द्वारा साल 1887 में बसाया गया। उस समय के वायसराय ऑफ इंडिया लॉर्ड लैंसडाउन के नाम पर ही इसका नाम रखा गया। यह पूरा क्षेत्र सेना के अधीन है और गढ़वाल राइफल्स का गढ़ भी है। यहां गढ़वाल राइफल्स वॉर मेमोरियल और रेजिमेंट म्यूजियम देख सकते हैं। यहां गढ़वाल राइफल्स से जुड़ी चीजों की झलक पा सकते हैं। संग्रहालय शाम के पांच बजे तक ही खुला रहता है। इसके करीब ही परेड ग्राउंड भी है, जिसे आम पर्यटक बाहर से ही देख सकते हैं। यह स्थान स्वतंत्रता आन्दोलन की कई गतिविधियों का गवाह भी रह चुका है।

गर्मियों में सुहावना मौसम और सर्दियों में बर्फबारी का आनंद
गर्मियों और सर्दियों दोनों मौसम में ही लैंसडाउन की सैर की जा सकती है। गर्मियों में सुहावने मौसम और सर्दियों में बर्फबारी और ठंडे मौसम का आनंद लिया जा सकता है। हर मौसम में अपने साथ कुछ गरम कपड़े जरूर रखें क्योंकि यहां रातों में अक्सर ठंड हो जाती है। लैंसडाउन को घूमने के लिए आपको किसी गाड़ी की जरूरत नहीं होगी। अगर आप एक दो दिन का समय लेकर गए हैं तो यहां पैदल ही काफी कुछ घूमा जा सकता है।

लैंसडाउन के प्राकृतिक नजारे।

लैंसडाउन के दर्शनीय स्थल
कावाश्रम, सेंट मैरी चर्च, टिप-एंड-टॉप 4, तारकेश्वर महादेव मंदिर, दुर्गा देवी मंदिर, भुल्ला लेक, ज्वालपा देवी मंदिर समेत कई दर्शनीय स्थल हैं। यहां जाने के लिए आपको प्री-बुकिंग करवाने की जरूरत नहीं होगी। आप यहां जाकर अपने हिसाब से जगह चुन सकती हैं। ये बहुत ही अच्छा टूरिस्ट डेस्टिनेशन साबित हो सकता है अगर आप शांति से कुछ दिन गुजारना चाहती हैं।

मंदिर और चर्च अटूट श्रद्धा के केंद्र
लैंसडाउन में दो सबसे प्रसिद्ध मंदिर तारकेश्वर महादेव मंदिर और संतोषी मां मंदिर अटूट आस्था के केंद्र हैं। इस जगह पर दो प्रसिद्ध चर्च भी हैं। इनमें से एक सेंट जॉन चर्च है जो लैंसडाउन में एकमात्र कार्यात्मक रोमन कैथोलिक चर्च है और दूसरा सेंट मैरी चर्च है जो अब एक संग्रहालय में परिवर्तित हो गया है।

लैंसडाउन में वीर जवानों की याद दिलाता स्मारक।

ट्रैकिंग
एडवेंचर के चाहने वालों और ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए यह जगह स्वर्ग से कम नही है। आप यहां छोटे ट्रेक का आनंद ले सकते हैं जहां एक से दो घंटे तक चल सकते हैं या लंबे समय तक की ट्रैकिंग का चुनाव भी कर सकते हैं। इस स्थान पर सबसे पसंदीदा ट्रैकिंग ट्रेल्स कलाला घाटी, मालिनी बैराज और कंडोलिया मंदिर हैं।

भुल्ला झील
मानव निर्मित भुल्ला झील में नौका विहार हर किसी को लुभाता है। इस शांत झील की देखरेख भारतीय सेना करती है और ये गढ़वाल राइफल्स के शहीदों को समर्पित है। झील में बत्तखों और झील के किनारे खरगोशों को कूदते हुए देखा जा सकता है।

प्रकृति की गोद में बसा हिल स्टेशन लैंसडाउन।

बर्ड वाचिंग
प्रकृति प्रेमी इस जगह पर अपना समय पक्षियों के दीदार में बिता सकते हैं। पक्षियों को निहारने के लिए इस जगह पर जाने का सबसे अच्छा समय बसंत का मौसम और मॉनसून के बाद का समय है यानी सितंबर से अक्टूबर तक। प्रवासी पक्षी इस दौरान लैंसडाउन की यात्रा करते हैं।

वॉर मेमोरियल
लैंसडाउन में दो मंजिला ऐतिहासिक डिफेंस म्यूजियम देश-दुनिया के लोगों का आकर्षण का केंद्र है। यहां आकर आप विक्टोरिया क्रॉस अवार्डी गढ़वाल राइफल्स के नायक दरवान सिंह नेगी को श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं। यह संग्रहालय 30 साल से अधिक पुराना है। यहां गढ़वाल राइफल्स के सैनिकों की पुरानी वर्दी, प्रमाण पत्र, हथियार, तस्वीरें और गोला-बारूद देखे जा सकते हैं।

कालागढ़ टाइगर रिजर्व
बाघों के साथ-साथ हिरण, सेही समेत अन्य जानवरों के दीदार करने हों तो कालागढ़ टाइगर रिजर्व से बेहत कोई जगह नहीं है। जंगल सफारी का आनंद लेते हुए आप वन्यजीवों का दीदार कर सकते हैं।