भूमि अधिग्रहण : साढ़े तीन दशक बाद आवास विकास परिषद के हाथ लगी परियोजना

भूमि अधिग्रहण : साढ़े तीन दशक बाद आवास विकास परिषद के हाथ लगी परियोजना

अमृत विचार, अयोध्या। लंबी कवायद के बाद जन्मभूमि पर राम मंदिर निर्माण के बीच रामनगरी में आवास विकास परिषद को परियोजना हाथ लगी है। आवास विकास परिषद को नव्य अयोध्या का जिम्मा मिला है। साढ़े तीन दशक बाद रामनगरी में नई योजना हाथ लगने के बाद मुख्यालय ने पहली बार यहां जोनल कार्यालय खोला है …

अमृत विचार, अयोध्या। लंबी कवायद के बाद जन्मभूमि पर राम मंदिर निर्माण के बीच रामनगरी में आवास विकास परिषद को परियोजना हाथ लगी है। आवास विकास परिषद को नव्य अयोध्या का जिम्मा मिला है। साढ़े तीन दशक बाद रामनगरी में नई योजना हाथ लगने के बाद मुख्यालय ने पहली बार यहां जोनल कार्यालय खोला है और सुपरिटेंडेंट इंजीनियर की तैनाती की है।

भाजपा सरकार की इस महत्वाकांक्षी परियोजना को जामा पहनाने के लिये आवास विकास परिषद भूमि अधिग्रहण की कवायद में जुटा है। गौरतलब है कि व्यवस्थित ढंग से कालोनी बसाने और लोगों को आवास उपलब्ध कराने के लिए सरकार की ओर से आवास विकास परिषद का गठन किया गया था।

कांग्रेस शासनकाल में आवास विकास परिषद ने जनपद में अपनी पहली परियोजना पर काम शुरू किया था। शहर के मोतीबाग और सुभाषनगर इलाके में वर्ष 1977 में जमीनों का अधिग्रहण कर आवासीय योजना पर काम शुरू किया था। योजना के सुव्यवस्थित संचालन के लिये अंगूरीबाग में तीन मंजिला कार्यालय का निर्माण कराया था।

आवास विकास परिषद अपनी इस पहली परियोजना पर काम पूरा भी नहीं कर पाया था कि उसे शहर क्षेत्र में ही वर्ष 1980 में अशफ़ाक़उल्ला कालोनी के नाम से अंगूरीबाग में एक नई आवासीय योजना मिल गई थी। दोनों योजनाओं के जिला मुख्यालय पर तथा शहरी क्षेत्र में होने के चलते ग्राहकों का अच्छा रिस्पांस मिला था और योजनाएं चल निकली।

इसी का नतीजा रहा कि अशफाकउल्लाह कालोनी का पंजीकरण और आवंटन परवान पर होने के बीच ही आवास विकास परिषद को बेनीगंज और अमानीगंज क्षेत्र में वर्ष 1985 में अवधपुरी के नाम से एक नई आवासीय योजना पर काम करने का जिम्मा मिल गया।

मुख्य शहर से बाहर होने के चलते पुराने अमरुद के बाग़ क्षेत्र में संचालित इस परियोजना को शुरूआती दौर में ग्राहकों का अच्छा रिस्पांस नहीं मिला, लेकिन यह योजना भी चल निकली और नब्बे के दशक में इसी योजना के तहत फैज वन और फेज टू पर कार्य शुरू हुआ।

डेढ़ दशक पूर्व कोशिश हुई लेकिन रही नाकाम

-ऐसा नहीं है कि जिला मुख्यालय और इसके आसपास तीन आवासीय योजना का सफल संचालन करने के बाद आवास विकास परिषद की ओर से नई योजना हासिल करने और उसको अंजाम देने की कवायद नहीं की गई।

अवधपुरी योजना के बाद वर्ष 2005 में परिषद ने बाईपास स्थित जनौरा गाँव और उसके आस-पास के क्षेत्र में एक नई आवासीय योजना को धरातल पर उतारने की कवायद शुरू की थी। इसके लिए बाकायदा नोटिफिकेशन भी जारी किया , लेकिन प्रभावित किसानों तथा स्थानीय निवासियों के प्रबल विरोध के चलते अधिग्रहण की कवायद ही नहीं शुरू हो पाई।

तत्कालीन जिलाधिकारी की रिपोर्ट पर शासन ने भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी और आवास विकास परिषद की यह कोशिश परवान नहीं चढ़ पाई थी। कोई नई योजना हाथ में न होने के चलते महकमें को धीरे-धीरे अपने पैर सिकोड़ने पड़े और अंगूरीबाग स्थित परिषद का कार्यालय वीरान हो गया।

हालांकि साढ़े तीन दशक बाद अब नव्य अयोध्या के नाम से ग्रीन फील्ड टाउनशिप डेवलेपमेंट की परियोजना हाथ में आने के बाद महकमा उत्साहित है और जिले में पहली बार परिषद ने अपना जोनल कार्यालय स्थापित कर सुपरिटेंडेंट इंजीनियर की तैनाती की है। जोनल कार्यालय खुलने के बाद अंगूरीबाग स्थित आवास विकास परिषद का कार्यालय भी आबाद होने लगा है।

यह भी पढ़ें:- भूमि अधिग्रहण : ढाई लाख बिस्वा मुआवजे पर जमीन देने को तैयार नहीं किसान