भारत की चेतावनी

भारत की चेतावनी

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) के जरिए चीन और पाकिस्तान भारत को घेरने में जुटे हुए हैं। सीपीईसी सीधे तौर पर भारत के हितों को प्रभावित करता है। साथ ही अफगानिस्तान को भी इस गलियारे में जोड़ने के प्रस्ताव से यह बात और साफ हो जाती है। भारत ने तीसरे देश को इसमें शामिल करने के …

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) के जरिए चीन और पाकिस्तान भारत को घेरने में जुटे हुए हैं। सीपीईसी सीधे तौर पर भारत के हितों को प्रभावित करता है। साथ ही अफगानिस्तान को भी इस गलियारे में जोड़ने के प्रस्ताव से यह बात और साफ हो जाती है। भारत ने तीसरे देश को इसमें शामिल करने के चीन-पाकिस्तान के संयुक्त प्रस्ताव पर विरोध जताया है।

मंगलवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने चेतावनी दी कि तथाकथित सीपीईसी परियोजनाओं में तीसरे देश की प्रस्तावित भागीदारी सीधे तौर पर भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करती है। जो मंजूर नहीं है। भारत गलियारे के निर्माण को अन्तर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार अवैध मानता है क्योंकि यह पाक अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है, जिसे भारत अपना हिस्सा मानता है।

सीपीईसी पाकिस्तान में सड़कों, ऊर्जा परियोजनाओं और औद्योगिक क्षेत्रों का निर्माण करके पाकिस्तान और चीन के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाने के इरादे से शुरू की गई है। अब इस परियोजना को अफगानिस्तान तक बढ़ाने की संभावना पर विचार हो रहा है। यह आर्थिक गलियारा पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को चीन के शिनझियांग क्षेत्र में स्थित काशगर से जोड़ने वाला है। इसके जरिये दोनों देश ऊर्जा, परिवहन एवं औद्योगिक सहयोग करेंगे।

भविष्य में सीपीइसी का हिस्सा बनने को लेकर ईरान, रूस और सऊदी अरब भी उत्साहित हैं। इस संभावना ने इस बहुप्रचारित आर्थिक गलियारे के रहस्य को और बढ़ा दिया है। सीपीईसी के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं समन्वय संबंधी संयुक्त कार्य समूह की शुक्रवार को तीसरी बैठक हुई। इसमें दोनों देशों ने आर्थिक गलियारे का हिस्सा बनने की दिलचस्पी रखने वाले अन्य देशों को भी शामिल होने का न्योता दिया।

पाकिस्तान के विदेश सचिव सोहैल महमूद ने कहा कि चीन और पाकिस्तान की दोस्ती बहुत गहरी है और यह परियोजना दोनों देशों के बीच की गहराई तक पैठ वाली आपसी सद्भावना को दर्शाती है। हालांकि तमाम पश्चिमी विश्लेषकों का मानना है कि सीपीईसी दरअसल पाकिस्तान को चीन के आर्थिक नियंत्रण में लेने का एक जरिया है। विकास की आड़ में इस परियोजना को लेकर चीन जिस तरह से पाकिस्तान के प्राकृतिक संसाधानों, खासकर बलूचिस्तान का इस्तेमाल कर रहा है, उससे यहां के लोग चिंतित हैं।

भारत दौरे पर आई बलूच कार्यकर्ता नायला कादरी बलूच ने शनिवार को कहा कि बलूचिस्तान के लिए सीपीईसी मौत की सजा है। यह एक आर्थिक परियोजना नहीं है। बल्कि एक सैन्य परियोजना है। भारत के खिलाफ चीन लगातार तैयारियों में जुटा हुआ है। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में चीन और पाकिस्तान की सेनाओं का मिलन भी भारत के लिए चिंता का दूसरा विषय है। भारत चाहे तो राजनैतिक और कूटनीतिक दांव पेंच लगाकर पाक-चीन गलियारे में अड़चन लगा सकता है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी आर्थिक गलियारे के संभावित नकारात्मक परिणामों को लेकर आगाह किया है।