ये दुःख खत्म काहे नहीं होता! Corona के बीच China में Langya Virus की दस्तक

ये दुःख खत्म काहे नहीं होता! Corona के बीच China में Langya Virus की दस्तक

बीजिंग। कुछ वर्ष पहले विकी कैशल और श्वेता त्रिपाठी अभिनीत फिल्म आई थी, नाम था मसान। वैसे तो ये एक लव स्टोरी थी, लेकिन इस फिल्म का एक डायलॉग बहुत फेमस हुआ था। डायलॉग था- ये दुःख खत्म काहे नहीं होता। दुनिया अभी कोरोना वायरस के कहर से बाहर नहीं निकल पा रही और अब …

बीजिंग। कुछ वर्ष पहले विकी कैशल और श्वेता त्रिपाठी अभिनीत फिल्म आई थी, नाम था मसान। वैसे तो ये एक लव स्टोरी थी, लेकिन इस फिल्म का एक डायलॉग बहुत फेमस हुआ था। डायलॉग था- ये दुःख खत्म काहे नहीं होता। दुनिया अभी कोरोना वायरस के कहर से बाहर नहीं निकल पा रही और अब मंकी पॉक्स के साथ-साथ, नए वायरस ने भी दस्तक दे दी है।

दरअसल, द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन की स्टडी के मुताबिक, चीन (China) में मिला लंग्या वायरस (Langya virus) मुख्यत: बहुत छोटे स्तनधारियों में पाया जाता है जिन्हें श्रूज़ (छछूंदर) कहा जाता है। मरीजों की निगरानी के दौरान इसका पता चला जो हाल में जानवरों के संपर्क में आए थे। बकौल स्टडी, निमोनिया के मरीजों में बिना निमोनिया वालों से अधिक वायरल लोड था।

चीन से निकले कोरोना वायरस (Corona Virus) ने पूरी दुनिया में तबाही मचाई है। अब एक और डराने वाली खबर आई है। डॉक्टरों ने एक नए वायरस को लेकर चेतावनी दी है। इस वायरस से चीन में दर्जनों लोग संक्रमित हुए हैं। इस वायरस का नाम हेनिपावायरस (Henipavirus) या लंग्या वायरस (Langya Virus) है। ये वायरस जानवर से फैला है। चीनी मीडिया ने बताया कि अब तक शेडोंग और हेनान प्रांत में 35 लोग संक्रमित हो चुके हैं। ये एक गंभीर वायरस है। इससे संक्रमित व्यक्ति अगर गंभीर हो जाए तो तीन चौथाई संक्रमितों की मौत हो सकती है।

हालांकि अभी तक कोई भी मौत देखने को नहीं मिली है। सभी मामले लगभग हल्के हैं। मरीजों में फ्लू के लक्षण हैं। गले के स्वैब से लिए गए सैंपल से इस वायरस का पता चला है। इससे जुड़ी स्टडी में भाग लेने वाले स्कॉलर्स का कहना है कि संभव है कि ये वायरस जानवरों से फैला हो। संक्रमित लोगों में थकान, खांसी और मतली के लक्षण हैं। अभी वर्तमान में लांग्या वायरस का कोई टीका या उपचार नहीं है। हालांकि अभी सिर्फ देखभाल ही एक मात्र उपचार है। ये वायरस छोटे स्तनधारी जैसे हेजहॉग और मोल्स के जरिेए फैलते हैं।

इस वायरस को लेकर पब्लिश की गई एक स्टडी में पिछले साल खुलासा किया गया था कि ये सबसे पहले इंसानों में 2019 में मिला था। वहीं ये इस साल का सबसे हालिया मामला है। वायरस की जांच कर रहे चीनी विशेषज्ञों का मानना है कि इंसानों में इसके मामले छिटपुट होते हैं। वह अभी ये पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या ये एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ माइक्रोबायोलॉजी एंड एपिडेमियोलॉजी के नेतृत्व में हुई स्टडी न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में पब्लिश की गई है।

लंग्या वायरस निपाह वायरस की फैमिली से आते हैं, जो एक घातक वायरस है। निपाह वायरस आम तौर पर चमगादड़ में पाए जाते हैं। कोविड की तरह निपाह भी सांस लेने से निकली बूंदों से फैल सकता है। WHO ने निपाह को अगली महामारी का कारण बनने वाले वायरस के एक रूप में लिस्ट किया है। निपाह से जुड़ी कोई भी वैक्सीन अभी मौजूद नहीं है।

लंग्या वायरस क्या है?
द-न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन में फाइलोजेनेटिक रूप से अलग हेनिपावायरस मिला है। ये एक जूनोटिक (जानवरों से इंसानों में फैलने वाला) हेनिपावायरस है। हेनिपावायरस में हेंड्रा, निपाह समेत घाना का बैट वायरस शामिल है। अमेरिका की सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के मुताबिक हेंड्रा और निपाह इंसानों में घातक बीमारी का कारण बन सकते हैं। वहीं माना जा रहा है कि लांग्या वायरस बुखार का कारण बन सकता है।

कैसे खोजा गया लंग्या वायरस?
लंग्या वायरस की खोज पूर्वी चीन में उन रोगियों में हुई जो बीमार थे और हाल ही में जानवरों के संपर्क में आए थे। गले के स्वैब जांच के जरिए इस वायरस का पता चला। शैनडोंग और हेनान राज्य में 35 रोगी इस वायरस से संक्रमित पाए गए। जिन संक्रमितों में ये वायरस मिले हैं, उनमें थकान, खांसी और मतली के लक्षण मिले हैं।

कहां से आया वायरस?
माना जा रहा है कि ये वायरस किसी जानवर के जरिए इंसानों में पहुंचा है। लांग्या वायरस का RNA छछूंदरों में पाया जाता है। जो इसके प्राकृतिक होस्ट हैं। इसके अलावा अगर इंसानों से इंसानों में इसके फैलने की बात करें तो स्टडी के मुताबिक इसकी संभावना बहुत कम है। वहीं, इसी फैमिली का वायरस निपाह बहुत खतरनाक है। वह सांस लेने वाली बूंदों से भी फैल सकता है।

लंग्या वायरस के लक्षण क्या हैं?
संक्रमित मरीज़ों में सबसे आम लक्षण बुखार देखा गया। वहीं दूसरे लक्षणों में कमज़ोरी 54 फीसदी मरीज़ों में दिखी, खांसी 50 फीसदी, भूख न लगना 50 फीसदी, मांसपेशियों में दर्द 46 फीसदी और 38 फीसदी मरीज़ों ने मतली का अनुभव किया। इस वक्त लांग्या वायरस से बचाव के लिए किसी तरह की वैक्सीन या इलाज उपलब्ध नहीं है।

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