हल्द्वानी: प्रदेश में हर बार तारीख बदल रहा मानसून

हल्द्वानी: प्रदेश में हर बार तारीख बदल रहा मानसून

हल्द्वानी, अमृत विचार। ग्लोबल वार्मिंग का असर राज्य में मानसून दस्तक की तारीख पर भी पड़ रहा है। पिछले पांच साल में मानसून एक ही बार समय से पहले आया है। बाकी चार बार मानसून देरी से पहुंचा है। इस बार मानसून समय से पहले आ सकता है। मौसम विभाग ने अनुमान जताया है कि …

हल्द्वानी, अमृत विचार। ग्लोबल वार्मिंग का असर राज्य में मानसून दस्तक की तारीख पर भी पड़ रहा है। पिछले पांच साल में मानसून एक ही बार समय से पहले आया है। बाकी चार बार मानसून देरी से पहुंचा है। इस बार मानसून समय से पहले आ सकता है। मौसम विभाग ने अनुमान जताया है कि उत्तराखंड में इस साल मानसून आठ से 10 जून के बीच आ सकता है। यहां मानसून की आने की तारीख 21 जून है। अगर ऐसा होता है तो मानसून अपने तय समय से काफी पहले ही राज्य में एंट्री करेगा।

पिछले साल की बात करें तो 2021 में 13 जून को मानसून उत्तराखंड में पहुंच गया था। हालांकि उसके तुरंत बाद की हीट वेव सक्रिय हो गई थी, जिसने मानसून की रफ्तार को पूरी तरह से रोक दिया था। मानसून की बारिश सात जुलाई से शुरू हो पायी थी। मौसम विशेषज्ञों की मानें तो मानसून की तारीख में बार-बार हो रहा बदलाव का कारण ग्लोबल वार्मिंग है।

ग्लोबल वार्मिंग की वजह से मानसून कभी बहुत जल्दी तो कभी बहुत देरी से पहुंच रहा है। इस वजह से ही प्री मानसून की बारिश पर भी अंतर पड़ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से ही राज्य में गर्मियों के दिन में भीषण गर्मी पड़ रही है तो ठंड के दिनों में असमान्य ठंड से लोगों को जूझना पड़ रहा है। इसका असर प्रकृति पर विपरीत पड़ने की संभावना है।

हिमालय के लिए ऐसी स्थिति सही नहीं
हल्द्वानी। इस बार सर्दियों के दिनों में जमकर हिमपात हुआ तो वहीं गर्मियों के दिन में समान्य से ज्यादा तापमान होने की वजह से ग्लेशियर भी उतनी ही तेजी के साथ पिघल रह थे। मानसून कभी समय से पहले आ रहा है तो कभी देरी से पहुंच रहा है। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से ही बादल फटने की घटनायें बढ़ रहीं हैं। इसलिये हिमालयी जनजीवन के लिये सामान्य मौसम ही अनुकूल है।

पिछले पांच साल में मानसून आने की तारीख
13 जून 2021
23 जून 2020
02 जुलाई 2019
28 जून 2018
01 जुलाई 2017

इस बार मानसून समय से काफी पहले आने की संभावना है। पिछले साल मानसून समय पर आया, लेकिन बाद में हीट वेब सक्रिय होने की वजह से मानसून की बारिश देरी से शुरू हुई। मानसून की तारीख में इस तरह का अंतर ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हो रहा है।
-डॉ. आरके सिंह, मौसम वैज्ञानिक, जीबी पंत कृषि विश्वविद्यालय, पंतनगर, ऊधमसिंह नगर

ग्लोबल वार्मिंग की वजह से कभी ज्यादा बर्फबारी होती है तो कभी असामान्य गर्मी की वजह से हिमालय तेजी के साथ पिघलते हैं। यही नहीं बादल फटने की घटनाओं में बढ़ोत्तरी का करण भी ग्लोबल वार्मिंग ही है।
-डॉ. जेसी कुनियाल, वैज्ञानिक, जीबी पंत हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी, अल्मोड़ा