हल्द्वानी: इन दवाओं का इस्तेमाल सब्जियों में भूलकर भी न करें किसान, कीट रोग विशेषज्ञ ने किया सावधान

हल्द्वानी: इन दवाओं का इस्तेमाल सब्जियों में भूलकर भी न करें किसान, कीट रोग विशेषज्ञ ने किया सावधान

हल्द्वानी, अमृत विचार। गौजाजाली उत्तर में नमसा योजना के तहत ‘मृदा स्वास्थ्य एवं प्रबंधन’ विषय पर किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान पूर्व कृषि अधिकारी और कीट रोग विशेषज्ञ बीडी शर्मा ने कीटनाशकों के घातक प्रभाव और जैव रसायनों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि कीटनाशी दवाओं जैसे- कोराजिन, फिफरोनिल, …

हल्द्वानी, अमृत विचार। गौजाजाली उत्तर में नमसा योजना के तहत ‘मृदा स्वास्थ्य एवं प्रबंधन’ विषय पर किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान पूर्व कृषि अधिकारी और कीट रोग विशेषज्ञ बीडी शर्मा ने कीटनाशकों के घातक प्रभाव और जैव रसायनों के बारे में विस्तार से बताया।

उन्होंने कहा कि कीटनाशी दवाओं जैसे- कोराजिन, फिफरोनिल, ईमिडाक्लोप्रिड, कारटाप आदि का प्रतीक्षाकाल लंबा होता है, इनका प्रयोग साग-सब्जियों की फसलों पर नहीं करना चाहिए। इस दवाओं का असर फसलों पर दो से तीन महीने तक रहता है। ऐसे में इन कीटनाशी दवाओं का इस्तेमाल गन्ना, धान, कपास आदि पर करना चाहिए।

गोष्ठी में मंचासीन कृषि विशेषज्ञ और किसान।

विशेषज्ञों ने दीमक कंट्रोल के जैविक उपाय बताए। संचालन कर रहे सहायक कृषि अधिकारी डीएस रैकुनी ने बताया कि भूमि को जैविक शक्ति देने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने मृदा नमूना लेने और सरकारी योजनाओं की जानकारी दी। जैविक मास्टर ट्रेनर अनिल पांडे ने जैविक प्रमाणीकरण, कुणाल जल, जैविक तरल खाद, कंपोस्ट खाद आदे के प्रयोग के बारे में बताया। इस मौके पर गोपाल सिंह बिष्ट, अमरनाथ जोशी, गोकुल जोशी, गंगा दत्त जोशी आदि रहे।