मुरादाबाद : गांव बथुआखेड़ा में किसानों का बवाल, एसडीएम-सीओ से भी धक्का-मुक्की...जानिए पूरा मामला

सात महिलाओं समेत 39 किसानों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट, मजदूरों को भगाया, सहायक प्रबंधक व सुरक्षाकर्मियों को दो घंटे बनाया बंधक

मुरादाबाद : गांव बथुआखेड़ा में किसानों का बवाल, एसडीएम-सीओ से भी धक्का-मुक्की...जानिए पूरा मामला

मुरादाबाद, अमृत विचार। बथुआखेड़ा में स्थापित हो रहे उद्योग के मामले में विरोध करने वाले किसानों ने जमकर बवाल किया। उद्योग प्रबंधक और सुरक्षाकर्मियों को कमरे में बंद कर दो घंटे तक बंधक बनाए रखा। मौके पर पहुंचे एसडीएम-सीओ से भी धक्का-मुक्की की। इस मामले में भगतपुर थाने में 64 आरोपियों को अभियुक्त बनाया गया है। एफआईआर में सात महिलाओं समेत 39 किसान नामजद हुए हैं। ये पूरा मामला शुक्रवार शाम 4.30 बजे का है। 

बथुआखेड़ा में 800 एकड़ जमीन पर सेंचुरी टैक्सटाइल्स एंड इंडस्ट्रीज कंपनी उद्योग स्थापित कर रही है। करीब 100 किसानों ने कंपनी की जमीन पर पहुंचकर मौके पर हो रहे निर्माण कार्य का विरोध किया। मजदूरों को भगा दिया। इस पूरे मामले में कंपनी के सुरक्षा गार्ड सतीश कुमार की तरफ से भगतपुर थाना पुलिस ने शनिवार को एफआईआर दर्ज की है। इसमें बथुआखेड़ा के 29, बुढ़ानपुर के 7, महुआखेड़ा और पैगा का एक-एक किसान नामजद हुए हैं। अन्य 25 आरोपी अज्ञात हैं। एफआईआर में सुरक्षागार्ड ने कहा है कि सभी आरोपी लाठी-डंडे लेकर निर्माणाधीन उद्योग परिसर में बनी हॉस्टल बिल्डिंग में आ गए और जमीन पर अपने कब्जे की बात कहने लगे थे। चेतावनी दे रहे थे जमीन उनके नाम कर दो और चुपचाप यहां से निकल जाओ, नहीं तो जान से मार देंगे। 

आरोप है कि ये सभी गालियां भी दे रहे थे। आरोप है कि गाली-गलौज का विरोध किया तो किसानों ने सुरक्षाकर्मी सतीश कुमार, मणिशंकर, हरिशंकर से मारपीट की। फिर सहायक प्रबंधक भावना गोस्वामी को उनके कार्यालय में ही बंद कर दिया और सुरक्षाकर्मियों को भी दो घंटे तक बंधक बनाकर बवाल करते रहे। शोरगुल सुनकर मौके पर मान सिंह, आजम शाह, उदयराज समेत कई लोग आए और बीच-बराव किया। थाने में खबर की। एसडीएम-सीओ को भी बताया गया। इन अधिकारियों के साथ मौके पर पुलिस आई तो आरोपी अधिकारियों से भी धक्का-मुक्की करने लगे थे। बाद में अधिकारियों के सहयोग से मामला शांत हुआ।

ये लोग हैं नामजद
अशोक कुमार, शाबिर, प्रमोद, मनोज, जाहिद, अहसान, उस्मान पुत्र कलुआ, नफीस, अनीस, मुस्लिम, हुसैन, जुनैद, उस्मान पुत्र अशरफ अली, बाबू, रौनक, शीशपाल, धर्मेंद्र, जितेंद्र, जमील, वीरपाल, नावेद, नितिन, ऋषिपाल, संतोष, प्रेमवती, भगवती, आसमा, फरमीना, संतोष, हामिद, रहीश, जाकिर, शराफत, अख्तर, वेदपाल, सोमपाल, तुषार और परविंदर।

कंपनी के पक्ष में है स्टे ऑर्डर
कंपनी के लीगल एडवाइजर प्रदीप कुमार का कहना है कि सिविल जज ठाकुरद्वारा न्यायालय ने संबंधित जमीन के संबंध में कंपनी के पक्ष में स्टे ऑर्डर दे रखा है। इसमें प्रतिवादियों के लिए स्पष्ट आदेश है कि कंपनी के निर्माण कार्य में व्यवधान या किसी तरह की बाधा उत्पन्न न की जाए।

हमारे लिए न्यायालय से कोई ऑर्डर नहीं : एसडीएम
सीओ ठाकुरद्वारा राजेश कुमार तिवारी ने बताया कि किसान काफी उग्र थे। बहसबाजी में उन लोगों ने उनके और एसडीएम के साथ भी धक्का-मुक्की की है। सीओ ने बताया कि जब वह लोग मौके पर पहुंचे थे तो भगतपुर थाने की पुलिस भी आ चुकी थी। दोनों पक्षाें से बात कर मामले को शांत कराया था। हालांकि, एसडीएम ठाकुरद्वारा अजय मिश्र ने अपने साथ धक्का-मुक्की से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि जमीन निजी कंपनी की है, अब किसान उसके लिए झगड़ रहे हैं। किसानों ने कंपनी के मजदूरों के साथ मारपीट की थी। इसलिए हम मौके पर गए थे। हमारा काम लॉ-एंड-ऑर्डर का पालन कराना है। इस जमीन के संबंध में हमारे लिए न्यायालय से कोई ऑर्डर नहीं हैं।

22 करोड़ रुपये से खरीदी थी 800 एकड़ जमीन
कंपनी के लीगल एडवाइजर प्रदीप कुमार ने बताया कि जो लोग कंपनी स्थापना में बाधक बन रहे हैं, उनमें किसानों की संख्या 7-8 है बाकी अन्य लोग हैं। उन्होंने बताया कि जिन करीब 150 किसानों की जमीन उद्योग लगाने के लिए अधिग्रहीत हुई थी, उन्हें दो बार मुआवजा मिल चुका है। यह जमीन करीब 800 एकड़ है। इसका अधिग्रहण केंद्र में कांग्रेस सरकार के समय 1989 में हुआ था। इसके बाद इसे सेंचुरी टैक्सटाइल्स एंड इंडस्ट्रीज कंपनी ने केंद्र सरकार के उपक्रम नेपा से 1995 में 22 करोड़ रुपये में खरीदकर कब्जा भी लिया था। फिर 2016 में मौके पर काम शुरू कराया।

काफी विरोध के बीच वहां हॉस्टल बिल्डिंग बना ली थी। लेकिन, राजस्व अभिलेखों में कुछ गाटे कंपनी के नाम दर्ज नहीं हो पाए थे इसलिए काम बंद करा दिया था। इधर, 2023 में अन्य गाटे भी राजस्व अभिलेखों में कंपनी के नाम दर्ज हो गए तो मौके पर पुरानी बाउड्री को तोड़वाई थी। पिछले दो महीने वहां नई बाउड्री बनाने का काम भी चला है। कंपनी स्थापना का काम 2027 तक पूरा होना है। लीगल एडवाइजर ने बताया कि विरोध करने वाले किसानों का कहना है कि जमीन अधिग्रहण के दौरान उनके और सरकार के बीच कुछ शर्तें तय हुई थीं। लेकिन, संबंधित कोई भी शर्त लिखापढ़ी में नहीं हैं, इसलिए लीगल एडवाइजर ने किसानों की कोई भी शर्त मानने से इनकार किया है।

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