बरेली: मेले में नहीं चढ़ा आधुनिकता का रंग, चाऊमीन-मोमोज के आगे फीकी नहीं पड़ी जलेबी की मिठास

बरेली: मेले में नहीं चढ़ा आधुनिकता का रंग, चाऊमीन-मोमोज के आगे फीकी नहीं पड़ी जलेबी की मिठास

बरेली, अमृत विचार। चौबारी रामगंगा मेले में आधुनिकता का रंग नहीं चढ़ा है। मेले में सदियों से चाट, पकौड़ी, जलेबी व समोसे का क्रेज बरकरार है। कहने को इस समय लोगों की जुबां पर चाऊमीन-मोमोज का स्वाद जुबां पर चढ़ा है। चौबरी मेले में गंगा स्नान करने आने वाले लोग जरूर समय के साथ आधुनिकता …

बरेली, अमृत विचार। चौबारी रामगंगा मेले में आधुनिकता का रंग नहीं चढ़ा है। मेले में सदियों से चाट, पकौड़ी, जलेबी व समोसे का क्रेज बरकरार है। कहने को इस समय लोगों की जुबां पर चाऊमीन-मोमोज का स्वाद जुबां पर चढ़ा है। चौबरी मेले में गंगा स्नान करने आने वाले लोग जरूर समय के साथ आधुनिकता में जी रहे हैं। लेकिन आज भी वहां पुराने पारंपरिक रंग नजर आते हैं।

मेलें में बच्चों के लिए लकड़ी का वॉकर, मिट्टी के बर्तन, गुड़िया-गुड्डे मेंले की शोभा आज भी बढ़ा रहे हैं। मेले में आने वाले लोग बच्चों के लिए गुड्डे-गुड़िया के साथ् मिट्टी के बर्तन, खिलौने खरीदते नजर आए। इसके साथ ही वहीं पुरानी रंगत मेले में अलग छटा बिखेर ही थी।

गंगा स्नान के बाद पंडित से कराया जा रहा था संकल्प
लोग गंगा स्नान करने के बाद जब तक इसको पूर्ण नहीं मानते वह संकल्प नहीं करा लेते। इसलिए घाटों पर पंडितों से लोग संकल्प करा रहे थे। प्रसाद के तौर पर पर्मल, खिल-खिलौने और मिठी खीलें  गंगा को चढ़ाई जा रही थीं।

बच्चों के लिए ले जा रहे थे जलेबी, पकौड़ी खरीद कर
गंगा स्नान करने आने वाले श्रद्धालु जब मेले से अपने घरों के लिए लौट रहे थे तो वह जाने से पहले खुद चाट पकौड़ी, जलेबी का लुफ्त ले रहे थे। साथ ही परिवार के लोगों के लिए भी चाट पकौड़ी, जलेबी को खरीद कर ले जा रहे थे।

सस्ते दामों में मिल रहा था घरेलू सामान
मेले में बर्तन से लेकर पटा, बेलन, सिलबटना, ढोलक आदि सामान की मेले में भरमार थी। वह भी बहुत ही किफायती दामों में लोगों को मिल रहा था। रसोई के सामान के साथ ही अन्य जरूरतों का सामान लोग खरीद कर ले जा रहे थे।

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