बरेली: उप रोकड़िया की संपत्ति में सिर्फ मकान और 3.05 करोड़ वसूलने हैं

बरेली: उप रोकड़िया की संपत्ति में सिर्फ मकान और 3.05 करोड़ वसूलने हैं

बरेली, अमृत विचार। बदायूं के दातागंज के उप कोषागार में 5.08 करोड़ रुपये का घोटाला करने के चर्चित मामले में फरार निलंबित उप रोकड़िया से 3.05 करोड़ रुपये की वसूली की जानी है लेकिन तहसील प्रशासन ने छानबीन के बाद उप रोकड़िया की संपत्ति मालूम की। जिसमें उप रोकड़िया हरीश कुमार का सैनिक कालोनी स्थित …

बरेली, अमृत विचार। बदायूं के दातागंज के उप कोषागार में 5.08 करोड़ रुपये का घोटाला करने के चर्चित मामले में फरार निलंबित उप रोकड़िया से 3.05 करोड़ रुपये की वसूली की जानी है लेकिन तहसील प्रशासन ने छानबीन के बाद उप रोकड़िया की संपत्ति मालूम की। जिसमें उप रोकड़िया हरीश कुमार का सैनिक कालोनी स्थित मकान मिला।

यह मकान 250 वर्ग मीटर में बना है और इसकी करीब 60 लाख रुपये कीमत है। तहसील प्रशासन के सामने सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि 3.05 करोड़ रुपये की वसूली करने के लिए आरोपी का सिर्फ मकान ही है। उस पर भी 30 लाख रुपये का ऋण लिया हुआ है। ऐसे में मकान की नीलामी का पेच फंसता देख तहसील प्रशासन की दिक्कत और बढ़ गई है।

कोर्ट से 82 और 83 की कार्रवाई करने के बाद तहसीलदार सदर ने नीलामी की फाइल तैयार की। जिस पर एसडीएम सदर कुमार धर्मेंद्र ने हस्ताक्षर भी कर दिए हैं। 2 जून मकान नीलाम करने की तारीख लगी है। नीलामी प्रक्रिया पूरी कराने वाली तहसील टीम ने बताया कि हरीश लंबे समय से फरार है। उसके मकान पर ताला पड़ा है।

एक आईटेन कार भी थी मगर उसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल रही है। हरीश का मोबाइल महीनों से बंद है। उसकी लोकेशन निकालने के लिए पुलिस से पत्राचार किया लेकिन पुलिस ने हरीश को नहीं ढूंढ सकी। हरीश का एक पैतृक मकान कालीबाड़ी क्षेत्र में है लेकिन उसमें कई हिस्से हैं। टीम ने बताया कि ऐसी स्थिति में कालीबाड़ी के मकान पर कोई निर्णय नहीं ले पा रहे हैं।

हरीश के पकड़े जाने पर ही उसकी और संपत्तियों की जानकारी मिल सकती है। आरसी जारी होने के बाद हरीश कुमार ने उपरोक्त गबन की धनराशि में से एक भी रुपये जमा नहीं किया। दरअसल, दातागंज के उप कोषागार में 8 साल पहले घोटाला हुआ था। उप कोषागार का रिकार्ड और स्टांप कोषागार में जमा कराने के दौरान मिलान कराया गया तब वित्तीय अनियमितताओं में करीब 5.08 करोड़ रुपये का घोटाला पकड़ा गया था। इसमें उप रोकड़िया हरीश कुमार और लेखाकार राजेश सगर प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए थे। उनके खिलाफ गबन की रिपोर्ट दर्ज हुई थी।

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