बरेली: शासन को कोरोना जांच के नमूनों की फर्जी रिपोर्ट भेजने की आशंका

बरेली: शासन को कोरोना जांच के नमूनों की फर्जी रिपोर्ट भेजने की आशंका

बरेली, अमृत विचार। पूरा देश जब कोरोना से जंग लड़ रहा है। वहीं शासन स्तर से रोगियों की कोरोना जांच कराने के सख्त निर्देश जारी किए गए। इसके बाद भी जिले में स्वास्थ्य विभाग अपनी मनमानी कर रहा है। इसका ताजा उदाहरण 300 बेड अस्पताल में देखने को मिला। यहां अगस्त माह में रोगियों और …

बरेली, अमृत विचार। पूरा देश जब कोरोना से जंग लड़ रहा है। वहीं शासन स्तर से रोगियों की कोरोना जांच कराने के सख्त निर्देश जारी किए गए। इसके बाद भी जिले में स्वास्थ्य विभाग अपनी मनमानी कर रहा है। इसका ताजा उदाहरण 300 बेड अस्पताल में देखने को मिला। यहां अगस्त माह में रोगियों और उनके तीमारदारों की कोरोना की जांच के लिए नमूने लिए गए थे। इन नमूनों को चार माह बाद भी जांच के लिए नहीं भेजा गया। सूत्रों की माने तो लोगों और शासन को मिथ्या रिपोर्ट भेज जा रही थी। वहीं अब जो लोग जांच करा चुके हैं। इसकी जानकारी होने पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों में हड़कंप मचा है।

300 बेड अस्पताल में तीसरी मंजिल पर फ्लू कार्नर के बंद कमरे में कोरोना की जांच के हजारों नमूने रखे मिले। सूत्रों का कहना है कि यह सैंपलिंग फर्जी तरीके से की गई थी, ताकि शासन को रिपोर्ट भेजी जा सके। रोगियों और अन्य जांच कराने वाले लोगों को जब स्वास्थ्य विभाग की यह बात पता चली तो वे जांच पर प्रश्नचिन्ह लगा दिए हैं। स्वास्थ्य विभाग की यह लापरवाही तब है जब जिले में कोरोना संक्रमण से 387 लोगों की जान जा चुकी है।

वहीं सरकार ने कोरोना से बचाने के लिए लोगों को विशेष तौर से गाइड लाइन तैयार की थी। कोरोना से बचने के लिए आम लोगों ने तो गाइड लाइन का पालन किया, लेकिन स्वास्थ्य विभाग अपनी हरकत से बाज नहीं आया और लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करते हुए नमूनों को जांच कराए बिना ही रिपोर्ट तैयार कर भेज दी। अब जब विभाग की लापरवाही उजागर हो गई है तो अधिकारी लापरवाही का ठीकरा एक दूसरे के सिर पर फोड़ने से बाज नहीं आ रहे हैं।

कमरे में बंद सैंपल, बाहर लटका ताला
शासन की ओर से जारी निर्देशों के अनुसार बीते कुछ दिनों अन्य देशों में कोरोना का खतरा लगातार बढ़ने के साथ ही जिले में रोजाना करीब तीन हजार सैंपलिंग का लक्ष्य दिया गया है। इसको पूरा करने के लिए विभागीय अधिकारियों की ओर से लगातार फर्जी सैंपलिंग की जा रही है। सूत्रों के अनुसार अगस्त से ही जिले में कागजों में ही सैंपलिंग की जा रही है। शुक्रवार को मामला सामने आने पर पता चला कि यहां हजारों सैंपलों में कुछ ऐसे सैंपल भी हैं जो कि अगस्त से यहां बंद हैं। वहीं कमरे के बाहर से ताला लगा हुआ है।

अधिकारियों को किया गुमराह, जिम्मेदार बोले- सील बंद रखे हैं खाली डिब्बे
फ्लू कार्नर के तीसरी मंजिल के कोने में मौजूद हजारों खराब सैंपलों की जानकारी निरीक्षण के लिए आए अपर निदेशक स्वास्थ्य डा.एसके गर्ग को मिलने पर उन्होंने जानकारी करने पर जिम्मेदारों ने गुमराह करते हुए बोला कि कमरे में खाली डिब्बे पैक करके रखे हुए है, जिनको बाद में कबाड़े में फेक दिया जाता है। कमरें में देखने पर पता चला कि हजारों की संख्या में कोरोना सैंपल के सील बंद डिब्बे में रखे गए हैं, जिन पर सैंपल लेने की तारीख भी अंकित की गई है।

बावजूद इसके जब इस बारे में सीएमओ ने हॉस्पिटल के जिम्मेदारों से जानकारी ली तो उन्हें भी गुमराह करने का प्रयास करते हुए बताया गया कि कमरे में जो डिब्बे रखे हैं वह खाली हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या जांच होने के बाद लैब से खाली डिब्बे वापस भेजे गए। अगर डिब्बे खाली हैं तो उन पर सील क्यों लगी है।

एक दूसरे को बचाने का प्रयास करते दिखे जिम्मेदार
कोविड सैंपल जांच के लिए न भेजने पर सीएमओ ने हाल ही में कोविड सैंपलिंग प्रभारी डिप्टी एसीएमओ डा. सीपी सिंह से हटाकर डा. सतीश चंद्रा को सैंपलिंग प्रभारी बनाया था। लेकिन उनको यह प्रभार मिले अभी एक सप्ताह का समय बीता है। अब सवाल उठना लाजमी है कि आखिर इस घोर अनियमितता के लिए कौन जिम्मेदार है।

इस संबंध में डा. सतीश चंद्रा का कहना है कि यहां सैंपल रखे होने की जानकारी उन्हें नहीं थी प्रभार हाल ही में मिला है जिस कारण अभी बिल्डिंग में कौन सी चीज कहां है इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। जबकि डिप्टी एसीएमओ डा. सीपी सिंह ने बताया कि मेरे कार्यकाल के दौरान सैंपल नहीं है, इसलिए इसकी उनको जानकारी नहीं है।

5-6 दिन में खराब हो जाता है सैंपल
सर्विलांस टीम के अनुसार कोरोना सैंपल लेने के बाद डिब्बे में आईसपैक के साथ सैंपल को पांच से छह दिन तक रखा जा सकता है लेकिन इससे अधिक समय बीत जाने पर सैंपल खराब हो जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार 30 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान होने पर सैंपल खराब होने की आशंका रहती है। लिहाजा, तापमान नियंत्रित रखने के लिए बॉक्स में आइस पैक लगाए जाते हैं। मगर, फ्लू कॉर्नर में रखे गए किसी भी बॉक्स में आइस पैक नहीं लगा है। लिहाजा, हजारों सैंपल खराब होने की आशंका है।

फ्लू कार्नर में बंद कमरे के भीतर सैंपलों की सूचना पर कमरे को खोला गया। जिसमें करीब 75 डिब्बे खाली मिले है। इस मामले में जांच की जाएगी। दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी। -डा. बलवीर सिंह, सीएमओ