बहराइच: केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने डीएम की ‘काल प्रेरणा’पुस्तक का किया विमोचन

बहराइच। जिलाधिकारी द्वारा लिखित पुस्तक काल प्रेरणा का विमोचन दिल्ली के केरला भवन में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने किया। इस दौरान राज्यपाल ने बहराइच सांसद, भाजपा पदाधिकारियों के साथ व्यापारियों से मिलकर जिले का हाल जाना। जिलाधिकारी डॉक्टर दिनेश चंद्र ने पुस्तक ‘काल प्रेरणा’को लिखा है। नई दिल्ली स्थित केरला भवन में …
बहराइच। जिलाधिकारी द्वारा लिखित पुस्तक काल प्रेरणा का विमोचन दिल्ली के केरला भवन में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने किया। इस दौरान राज्यपाल ने बहराइच सांसद, भाजपा पदाधिकारियों के साथ व्यापारियों से मिलकर जिले का हाल जाना। जिलाधिकारी डॉक्टर दिनेश चंद्र ने पुस्तक ‘काल प्रेरणा’को लिखा है। नई दिल्ली स्थित केरला भवन में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान द्वारा जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चन्द्र द्वारा लिखित पुस्तक का विमोचन शुक्रवार को किया गया।
कार्यक्रम में महापौर गाज़ियाबाद आशा शर्मा, सांसद राज्यसभा अनिल अग्रवाल, सांसद बहराइच अक्षयवर लाल गोंड, पूर्वान्चल विकास बोर्ड के सलाहकार साकेत मिश्रा, बहराइच उद्योग व्यापार मण्डल के अध्यक्ष कुलभूषण अरोड़ा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष बृज मोहन मातनहेलिया, वरिष्ठ भाजपा नेता सत्येन्द्र सिंह सिसोदिया, उत्तराखण्ड के मतलूब अहमद, गाज़ियाबाद, मेरठ, बुलन्दशहर के पार्षदगण सहित अन्य शहरों के विशिष्ट व गणमान्य उद्यमी, जिलाधिकारी के सुपुत्र देव प्रिय सिंह सहित सहित अन्य गणमान्य, संभ्रान्तजन, उद्यमी तथा बुद्धजीवी ने डीएम द्वारा लिखी पुस्तक को बारीकी से देखा। इसके बाद सभी ने अपने विचार रखे। उल्लेखनीय है आईएएस अधिकारी डॉ. दिनेश चंद्र सिंह द्वारा लिखित और वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार कमलेश पांडेय द्वारा संपादित बहुचर्चित पुस्तक‘काल निर्णय’कोरोना काल को भयावह परिस्थितियों की अनुभूति के क्रम में समसामयिक विषयों को केन्द्र बिन्दु मानकर विभिन्न विषयों पर अतीत के कालजयी पात्रों की आधुनिक काल में प्रासंगिकता की एक उत्कृष्ट विवेचना है। पुस्तक पाठकों को प्रतिकृत परिस्थितियों का प्रभावी ढंग से सामना करने का हुनर सिखाती है।
इस पुस्तक में समकालीन कतिपय शीर्ष राजनेताओं द्वारा राष्ट्रहित के लिए किये गये कार्यों का स्पष्ट उल्लेख किया गया है, जिससे यह पुस्तक रोचक और पठनीय है। एक सौ दस पृष्ठ की इस पुस्तक में कुल 16 अध्याय हैं, जिसके 76 पन्नों में मां और मातृभूमि की सम्यक चर्चा विभिन्न दृष्टिकोणों से को गई है। जबकि शेष 34 पन्नों में लगभग चार दर्जन छायाचित्र के माध्यम से लेखक के उस पृष्ठभूमि को दशा गया है, जहां से ऐसी सकारात्मक साहित्यिक कृतियों की वैचारिक पुण्य सलिला के प्रवाहित होने की सोच प्रस्फुटित होती है।
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