बरेली: पेड़ों को बचाने के लिए विरोध तेज, डीएम से मिले पर्यावरण प्रेमी

बरेली, अमृत विचार। मिनी बाईपास पर रोडवेज बस अड्डे के लिए प्रस्तावित केंद्रीय जेल की भूमि के हरे सागौन के पेड़ों को काटने का विरोध और मुखर हो गया। हरे पेड़ों को बचाने और विकास कार्य की राह में आ रहे पेड़ों को ट्रांसलोकेट कराने के लिए जो मुहिम चलायी जा रही है, उससे शहर …
बरेली, अमृत विचार। मिनी बाईपास पर रोडवेज बस अड्डे के लिए प्रस्तावित केंद्रीय जेल की भूमि के हरे सागौन के पेड़ों को काटने का विरोध और मुखर हो गया। हरे पेड़ों को बचाने और विकास कार्य की राह में आ रहे पेड़ों को ट्रांसलोकेट कराने के लिए जो मुहिम चलायी जा रही है, उससे शहर के लोग जुड़ना शुरू हो गए हैं। अब पर्यावरण प्रेमियों ने पेड़ों को बचाने के लिए उत्तराखंड में चलाए गए सबसे बड़े आंदोलन चिपको का नाम अपने व्हाट्सएप ग्रुप का रखा है, ताकि चिपको की तर्ज पर बरेली में भी आंदोलन में जान फूंक सकें।
बुधवार को पर्यावरण प्रेमी पेड़ों को कटने से बचने के लिए कलेक्ट्रेट में जिलाधिकारी नितीश कुमार से मिले। काफी देर तक जिलाधिकारी ने पर्यावरण प्रेमियों के बिंदुओं को सुना। इसके बाद जिलाधिकारी ने आश्वासन दिया कि बस अड्डे की चाहरदीवारी के पास तथा बस अड्डे के नक्शे के हिसाब से (खुली जगहों पर) पेड़ों को नहीं काटा जाएगा।
पतले पेड़ों को ट्रांसलोकेट कराने की बात कही। डीएम ने नए सिरे से बचे पेड़ों का निरीक्षण कराकर उन्हें बचाने के लिए हर संभव कोशिश की बात कही। बताया गया कि इस प्रोजेक्ट में पेड़ों को ट्रांसलोकेट करने की बात शामिल नहीं थी। प्रोजेक्ट की लागत में ट्रांसलोकेट की लागत शामिल नहीं है। अब उसके लिए अलग से बजट पास कराने में दिक्कत आ रही है।
इस पर पर्यावरण प्रेमियों ने कहा कि हम अपनी जमा पूंजी लगाने और जरूरत पड़ी तो जनप्रतिनिधियों के समक्ष जाकर रुपया जुटाएंगे। बस शहर की हरियाली जो जीवनदायिनी ऑक्सीजन का प्राकृतिक भंडार है, वह कम न हो। जिस पर जिलाधिकारी ने कहा कि वह देखेंगे कि क्या हो सकता है।
जिलाधिकारी ने डीएफओ को फोन कर नए सिरे से रिपोर्ट देने के निर्देश दिए। डीएम से मिलने वालों में बरेली कॉलेज के विधि विभागाध्यक्ष डा. प्रदीप कुमार, कवि डा. राहुल अवस्थी, गौरव सेनानी संगठन के सचिव शिशुपाल मौर्य, एमपीएस यादव, लॉ स्टूडेंट संजय गंगवार आदि शामिल रहे।
अब बड़े प्रोजेक्टों में शामिल होगा ट्रांसलोकेट
जिलाधिकारी ने यह भी आश्वासन दिया कि विकास कार्य के जो भी प्रोजेक्ट हैं यदि उनमें पेड़ खड़े हैं तो उन्हें ट्रांसलोकेट कराने के लिए उसका बजट भी प्रोजेक्ट में शामिल कराएंगे ताकि पेड़ों को ट्रांसलोकेट कराया जा सके। भविष्य में भी यही व्यवस्था लागू की जाएगी। अब पेड़ काटने की गलती दोहरायी नहीं जाएगी।
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