Allahabad HC: सेवानिवृत्ति के बाद बिना राज्यपाल की अनुमति के नहीं हो सकती विभागीय जांच

Allahabad HC: सेवानिवृत्ति के बाद बिना राज्यपाल की अनुमति के नहीं हो सकती विभागीय जांच

प्रयागराज, अमृत विचार। बिजली विभाग में कनिष्ठ अभियंता पद से सेवानिवृत्त होने के बाद विभागीय जांच में फंसे कर्मचारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि सिविल सर्विस रेगुलेशन 351 (ए) के तहत कर्मचारी के सेवानिवृत्त होने से पहले विभागीय कार्यवाही शुरू करनी चाहिए। सेवानिवृत्ति के बाद बिना राज्यपाल से …

प्रयागराज, अमृत विचार। बिजली विभाग में कनिष्ठ अभियंता पद से सेवानिवृत्त होने के बाद विभागीय जांच में फंसे कर्मचारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि सिविल सर्विस रेगुलेशन 351 (ए) के तहत कर्मचारी के सेवानिवृत्त होने से पहले विभागीय कार्यवाही शुरू करनी चाहिए।

सेवानिवृत्ति के बाद बिना राज्यपाल से अनुमोदन लिए विभागीय कार्यवाही भारतीय संविधान के अनुच्छेद 300 (ए) में दिए गए प्रावधानों के खिलाफ है। बिना कानूनी कार्यवाही के किसी को संपत्ति के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है। पेंशन खैरात नहीं है, यह कर्मचारी के द्वारा की गई सेवा का अधिकार है, जिसे बिना कानूनी प्रक्रिया के रोका नहीं जा सकता है।

उक्त आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने अनिल कुमार शर्मा की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। न्यायालय ने विभाग को निर्देश देते हुए कहा कि सेवानिवृत्त याची पेंशन पाने का हकदार है और विभाग को 9 फीसद ब्याज सहित सेवानिवृत्ति के परिलाभों का 2 माह में भुगतान किया जाए। मुख्य रूप से अदालत ने यह भी कहा कि यदि आदेश का अनुपालन नहीं किया गया, तो 6 फ़ीसदी अतिरिक्त ब्याज सहित कुल 15 फीसदी ब्याज का भुगतान करना होगा।

गौरतलब है कि याची 4 जून 1974 को बिजली विभाग में नियुक्त किया गया। बाद में कनिष्ठ अभियंता पद पर पदोन्नति की गई और 31 दिसंबर 2018 को अमरोहा बिजली विभाग से सेवानिवृत्त हुआ। इससे पहले 14 नवंबर 2018 को याची के खिलाफ शिकायत की गई और उसे 22 नवंबर को निलंबित कर दिया गया और सेवानिवृत्त होने से पहले 28 दिसंबर 18 को निलंबन वापस ले लिया गया।

बिजली विभाग का कहना था कि मृतक आश्रित कोटे में परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी मिल सकती है। याची व इसके भाई दोनो ने नियुक्ति पा ली है। विभाग को आर्थिक नुकसान हुआ है जिसकी वसूली का अधिकार है। प्रबंध निदेशक के अनुमोदन पर याची के खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू की गई है। निगम के प्रस्ताव पर जारी सर्कुलर से प्रबंध निदेशक को अनुमोदन का अधिकार प्राप्त है। जिसे अदालत ने विधि सम्मत नहीं माना और कहा कि राज्यपाल के अनुमोदन का अधिकार प्रबंध निदेशक को सौंपने की कानूनी घोषणा नहीं की गई है।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि सेवानिवृत्त होने के समय याची निलंबित नहीं था। उसके खिलाफ कोई विभागीय जांच कार्यवाही शुरू नहीं की गई थी। ऐसे में पेंशन आदि न देना अधिकार का अतिलंघन है। अदालत ने कहा पेंशन खैरात नहीं है,यह कर्मचारी की सेवा का अधिकार है,जिसे बिना कानूनी प्रक्रिया के रोका नहीं जा सकता।

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