बरेली: 30 लाख लेकर भी ट्रांसलोकेट की फाइल दबाकर हरे पेड़ों को कटवा दिया

बरेली: 30 लाख लेकर भी ट्रांसलोकेट की फाइल दबाकर हरे पेड़ों को कटवा दिया

बरेली, अमृत विचार। मिनी बाईपास पर रोडवेज बस अड्डा की प्रस्तावित भूमि से सागौन के सैकड़ों हरे पेड़ों को काटने का मामला गरमाता जा रहा है। पर्यावरण प्रेमियों के तीखा विरोध करने पर वन विभाग के अधिकारियों की समझ में नहीं आ रहा कि विरोध को रोकने के लिए क्या तर्क बताएं। पहले उच्चाधिकारियों के …

बरेली, अमृत विचार। मिनी बाईपास पर रोडवेज बस अड्डा की प्रस्तावित भूमि से सागौन के सैकड़ों हरे पेड़ों को काटने का मामला गरमाता जा रहा है। पर्यावरण प्रेमियों के तीखा विरोध करने पर वन विभाग के अधिकारियों की समझ में नहीं आ रहा कि विरोध को रोकने के लिए क्या तर्क बताएं। पहले उच्चाधिकारियों के दबाव में पेड़ों को ट्रांसलोकेट करने की जगह काटने की अनुमति देते हुए वन निगम से पेड़ों को कटवाना शुरू कर दिया लेकिन विरोध होने लगा तो खलबली मची है।

वन विभाग की कमियां भी सामने आ रही हैं। बताते हैं कि 789 पेड़ों को ट्रांसलोकेट करने के लिए 74 लाख रुपये की धनराशि खर्च होना बताया था। वन विभाग के पेड़ों को ट्रांसलोकेट करने के नाम पर परिवहन निगम से 30 लाख रुपए भी लेने की बात सामने आयी।। इसके बावजूद हरे पेड़ों को कटवा दिया। अब पेड़ों के कटान का मामला अधिकारियों की गले की फांस बनने लगा है।

मंगलवार को डीएफओ भारत लाल ने पर्यावरण प्रेमियों को बात करने के लिए बुलाया। डा. प्रदीप कुमार अपने साथियों के साथ प्रभागीय वनाधिकारी कार्यालय पहुंचे और पेड़ों को ट्रांसलोकेट करने के पीछे की मजबूरी समेत कई अन्य बिंदुओं पर डीएफओ से सवाल किए तो स्पष्ट जवाब नहीं मिले।

डा. प्रदीप कुमार ने बताया कि डीएफओ ने बातचीत के दौरान कहा कि पेड़ काटने की अनुमति देते समय ट्रांसलोकेट करने के विकल्प पर विचार नहीं किया गया। ट्रांसलोकेट सरकार की वन नीति में भी शामिल नहीं है। यह भी बताया था कि 789 पेड़ों को ट्रांसलोकेट करने के लिए 74 लाख रुपये का बजट चाहिए।

30 लाख रुपए वन विभाग के परिवहन विभाग से लेने की बात भी सामने आयी। पर्यावरण प्रेमियों ने महज 44 लाख के कारण 789 पेड़ काटने का मुद्दा उठाया तब चर्चा खत्म हो गयी लेकिन पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि जितने पेड़ बचे हैं उन्हें 20-22 लाख से बचाया जा सकता है। बता दें कि प्रभागीय वनाधिकारी भारत लाल पूर्व में साफ कह चुके हैं कि इन पेड़ों को ट्रांसलोकेट नहीं किया जा सकता जबकि विशेषज्ञों की राय भी वन विभाग से अलग है।

सोमवार को पेड़ काटने की मजबूरी बतायी थी
डीएफओ ने पेड़ों को कटने से बचाने और उन्हें ट्रांसलोकेट कराने के लिए मुहिम चलाने वाले बरेली कालेज के विधि विभागाध्यक्ष डा. प्रदीप कुमार को बात करने के लिए सोमवार को बुलाया था लेकिन डा. प्रदीप नहीं जा सके और उन्होंने साथी शैलेश कुमार को भेजा था। तब डीएफओ ने पेड़ों को काटने की मजबूरी से लेकर कई बातें कहीं थीं।

10 गुना पेड़ कहां लगाएंगे, नहीं है इसका जवाब
पर्यावरण प्रेमियों ने प्रभागीय वनाधिकारी से पेड़ काटे जाने की अनुमति देने वाली फाइल देखने को मांगी तो गोपनीय बताकर फाइल नहीं दिखायी। पेड़ों को काटने के बाद 10 गुना पेड़ कब और कहां लगाए जाएंगे, इस सवाल का जवाब भी वन विभाग के पास नहीं है। डीएफओ से मिलने वालों में डा. प्रदीप कुमार, कवि राहुल अवस्थी, गौरव सेनानी भूतपूर्व सैनिक संगठन के सचिव शिशुपाल मौर्य और मनोसमर्पण मनोसामाजिक सेवा समिति के अध्यक्ष शैलेश कुमार मौजूद रहे।

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