प्रयागराज : जीएसटी अधिनियम के प्रावधानों का पालन न करने पर राज्य जीएसटी अधिकारी पर लगाया जुर्माना

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Published By Vinay Shukla
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प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले में जीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 75(4) के अनिवार्य प्रावधानों का पालन न करने पर एसजीएसटी अधिकारी पर 20,000 रुपये का जुर्माना लगाते हुए कहा कि ऐसे मामलों में प्रतिदिन कई याचिकाएं दाखिल की जा रही हैं, जो अधिकारियों द्वारा प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के घोर उल्लंघन को दर्शाती हैं, जहां पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होने के बावजूद अधिकारी रिकॉर्ड पर उपलब्ध सामग्री पर ध्यान दिए बिना पूरी तरह से यांत्रिक तरीके से काम कर रहे हैं।

मामलों से निपटने में अधिकारियों के इस तरह के आचरण से राज्य सरकार के समय की भारी हानि होती है, साथ ही इस न्यायालय के समक्ष याचिकाओं का अनावश्यक बोझ भी बढ़ता है, चूंकि उल्लंघन इतने स्पष्ट हैं, इसलिए इस न्यायालय के पास याचिकाओं को स्वीकार करने और मामलों को अधिकारियों को वापस भेजने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है। कोर्ट ने अधिकारियों को ऐसे मामलों से उचित तरीके से निपटने के लिए उचित प्रशिक्षण दिये जाने का निर्देश दिया। उक्त निर्देश मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने मेरिनो इंडस्ट्रीज लिमिटेड की याचिका स्वीकार करते हुए दिया।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जीएसटी अधिनियम की धारा 75(4) में सुनवाई का अवसर तब दिया जाता है, जब कर या जुर्माना देने वाले व्यक्ति द्वारा लिखित अनुरोध किया गया हो या जहां ऐसे व्यक्ति के खिलाफ कोई प्रतिकूल निर्णय पारित होने की संभावना हो। वर्तमान याचिका में आलू के गुच्छे के एक निर्माता और आपूर्तिकर्ता ने जीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 74 के तहत एसजीएसटी अधिकारी द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी है, जिसमें 5.82 करोड़ रुपये की मांग की गई है।

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