बरेली: गर्मी में मिलावटी दूध का खेल, उत्पादन घटा पर आपूर्ति बरकरार

बरेली: गर्मी में मिलावटी दूध का खेल, उत्पादन घटा पर आपूर्ति बरकरार

बरेली, अमृत विचार। गर्मी में मिलावटी दूध का खेल धड़ल्ले से चल रहा है। दुधारू पशुओं के गर्भ से होने की वजह से दूध का उत्पादन गिरने के बावजूद आपूर्ति में कमी नहीं आयी है। इससे माना जा रहा है कि मिलावटी दूध की आपूर्ति की जा रही है। बरेली में प्रतिदिन एक लाख लीटर …

बरेली, अमृत विचार। गर्मी में मिलावटी दूध का खेल धड़ल्ले से चल रहा है। दुधारू पशुओं के गर्भ से होने की वजह से दूध का उत्पादन गिरने के बावजूद आपूर्ति में कमी नहीं आयी है। इससे माना जा रहा है कि मिलावटी दूध की आपूर्ति की जा रही है। बरेली में प्रतिदिन एक लाख लीटर दूध की खपत बतायी जा रही है।

जबकि करीब 30 से 40 फीसद तक दूध के उत्पादन में कमी आई है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि विभाग ने कोविड काल की दूसरी लहर के बाद दूध की जांच करने को लेकर अभियान नहीं चलाया है। इसलिए मिलावटखोरी का धंधा जोरों पर है। जबकि मिलावटी दूध लोगों की सेहत के लिए घातक हो सकता है।

मिलावट खोर मशीनों के जरिए धडल्ले से क्रीम निकालकर सपरेटा दूध बनाते हैं और फिर उसमें घातक केमिकल मिलाकर दूध को गाढ़ा किया जाता है। भैंस का दूध आम तौर पर 60 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से बिकता है। मगर दूध के कारोबार से जुड़े लोगों की मानें तो कुछ लोग 45 से 50 रुपए प्रति लीटर तक दूध बेच रहे हैं, जिसका भरोसा नहीं किया जा सकता। गर्मी के मौसम में दूध का उत्पादन कम हो जाता है। विशेषज्ञ बताते हैं गर्मियों में दूध का उत्पादन कम होने की दो वजह हो सकती हैं।

पहली यह कि इस मौसम में अधिकतर दुधारू मादा पशु आठ से नौ महीने के गर्भ से हैं। इस काल के दौरान पशु दूध नहीं देते जाहिर हैं। दूसरी वजह यह है कि गर्मी के मौसम में दुधारू पशुओं की उर्जा कम हो जाती है। गर्मी के कारण ठीक से आहार भी नहीं लेते हैं, जिस कारण दूध भरपूर मात्रा में नहीं निकलता। बस इसी बात का फायदा मिलावटखोर उठाते हैं और बाजार में मिलावटी दूध का काला कारोबार जोर पकड़ता है।

जल्द करना होता है दूध का वितरण
जानकारों की माने तो देहात क्षेत्र से आने वाले दूध में मिलावटखोरी की संभावना अधिक होती है। दरअसल दूध का वितरण जितना जल्दी हो सके करने की कोशिश की जाती है। जिसमें दो से ढाई घंटे का समय ही होता है। मगर देहात क्षेत्र से आने वाले दूध विक्रेता पहले गांव में दूध इकट्ठा करते हैं फिर शहर की तरफ आने में भी समय लगता है। इस बीच मिलावट की संभावना अधिक हो जाती है।

ऐसे होती है दूध में मिलावट
दूध लंबे समय तक ठीक रखने के लिए फॉर्मेलिन मिलाया जाता है। इसके अलावा दूध में यूरिया की भी मिलावट बहुत आम बात है। मिलावटी दूध स्वाद में कड़वा लगता है। उंगलियों के बीच रगड़ने पर साबुन जैसा चिकनापन लगता है। गर्म करने पर पीला पड़ जाता है।

जो लोग दूध में मिलावट करके बेच रहे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए, हम 60 रुपए प्रति किलो दूध बेचते हैं 45 से 50 रुपए के बीच खरीदे गए दूध का भरोसा करना मुश्किल है। -बशीर, दूध विक्रेता

अधिकारी बोले

गर्मी के मौसम में अधिकतर दुधारू पशु गर्भ से होते हैं जिसकी वजह से दूध का उत्पादन कम होता है। इसके अलावा गर्मी में ठीक आहार नहीं मिलने के कारण भी उत्पादन कम होता है। जिसके लिए जरूरी है कि पशुओं को अच्छा आहार दें। -ललित कुमार वर्मा, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी

विभाग की टीमें अपना काम कर रही हैं, अगर कहीं भी दूध या खाद्य पदार्थों में मिलावट की जाती है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। -धर्मराज मिश्रा, जिला अभिहीत अधिकारी