जब एक खिलाड़ी के रूप में लखनऊ पहुंचे थे दिलीप साहब, दीदार को टूट पड़े थे लोग  

जब एक खिलाड़ी के रूप में लखनऊ पहुंचे थे दिलीप साहब, दीदार को टूट पड़े थे लोग  

  लखनऊ । फिल्म इंडस्ट्री के कोहिनूर यानि दिलीप कुमार के निधन के बाद से उनके चाहने वालों में शोक की लहर है। करोड़ों दिलों की धड़कन दिलीप साहब का इस दुनिया में न रहने से राजधानी लचानऊ में रहने वाले उनके तमाम चाहने वाले भी शोक में डूब गये। नवाब नगरी के नाम से …

 

लखनऊ फिल्म इंडस्ट्री के कोहिनूर यानि दिलीप कुमार के निधन के बाद से उनके चाहने वालों में शोक की लहर है। करोड़ों दिलों की धड़कन दिलीप साहब का इस दुनिया में न रहने से राजधानी लचानऊ में रहने वाले उनके तमाम चाहने वाले भी शोक में डूब गये। नवाब नगरी के नाम से मशहूर इस शहर में भी दिलीप साहब से जुड़ी कई यादें जब्त हैं। करीब 50 साल पहले दिलीप कुमार एक खिलाड़ी के अंदाज में लखनऊ पधारे थे।

फिल्म और खेलप्रेमी कैलाश चंद्र श्रीवास्तव बताते हैं कि 1971 में शीशमहल क्रिकेट टूर्नामेंट के दौरान केडी सिंह बाबू स्टेडियम में दिग्गज क्रिकेटर मुश्ताक अली के सहायतार्थ एक मैच खेला गया। इस मैच में क्रिकेट जगत के महारथी दिलीप सरदेसाई, बापू नाडकर्णी और सलीम दुर्रानी इस सहायतार्थ मैच में खेलने के लिए लखनऊ पहुंचे थे। इन खेल सितारों के बीच एक शख्सियत और इस आयोजन में शरीक हुई, जिसने पूरी महफिल लूट ली, वह थे दिलीप साहब। बतौर अतिथि उन्हें न्योता भेजा गया था, लेकिन दिलीप साहब ने आयोजकों से कहा कि वे अतिथि या फिल्म स्टार नहीं बल्कि एक खिलाड़ी के रूप में वहां आऊंगा। साथ ही उन्होंने कहा कि मैं खेलूंगा भी। दिलीप कुमार जब इस मैच में पहुंचे तो उनके दीदार के लिए केडी सिंह बाबू स्टेडियम के अंदर और बाहर लोगों की भीड़ टूट पड़ी।

मेरे मन में क्रिकेट से कहीं ज्यादा ललक दिलीप साहब को आमने सामने देखने की थी। मित्र राकेश निगम ने कहीं से पवेलियन पास का इंतजाम कर लिया और पहुंच गए हम लोग। पैड और ग्लब्स पहने हाथ में बल्ला लिए जब दिलीप साहब मैदान में उतरे तो खचाखच भरे स्टेडियम का माहौल याद करके अब भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। उस दिन दिलीप साहब ने शानदार बैटिंग की थी। एक खिलाड़ी की मदद के लिए ये था अभिनय के बादशाह दिलीप कुमार का जज्बा। भरे मन से उस महान अभिनेता को सलाम और विनम्र श्रद्धांजलि।

लखनऊ ही नहीं इससे 110 किमी की दूरी पर स्थित हरदोई के शाहबाद में एक फिल्म के मुहूर्त कार्यक्रम में भी दिलीप कुमार शामिल हुए थे। 1997 में देश के पहले भोजपुरी टीवी सीरियल सांची पीरितिया का मुहूर्त दिलीप साहब ने किया था। यह धारावाहिक अवध फिल्म्स के बैनर तले बनाया जा रहा था।

दिलीप कुमार उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव  की शादी में भी शामिल हुए थे। अखिलेश यादव ने दिलीप साहब को श्रद्धांजलि देते हुए अपने विवाह की तस्वीर भी सोशल मीडिया पर शेयर की।

दिलीप कुमार का लखनऊ से जुड़ा एक और किस्सा चर्चित रहा है। 1998 के लोकसभा चुनाव के दौरान वे कांग्रेस के प्रचार के सिलसिले में लखनऊ आए थे। करीब 15 दिनों तक वे होटल ताज में ठहरे। इस दौरान वे रोजाना हेलीकॉप्टर से प्रचार के लिए निकलते और शाम को वापस होटल पहुंचते। होटल के शेफ से अक्सर वे मेन्यू पूछते और हिदायत भी देते कि मैं जब किचन में पहुंच जाऊं तभी खाना पकाना।