बरेली: निगम के रिकार्ड ही नहीं, बेशकीमती जमीनों के खुर्दबुर्द होने की आशंका

बरेली, अमृत विचार। नगर निगम बोर्ड में पिछले साल मामला पूरे जोरशोर से उठाए जाने के बाद नगर निगम अपनी संपत्तियों के बारे में खोजबीन नहीं कर पा रहा है। जबकि नगर निगम की सीमा में आने वाले करीब चार दर्जन से अधिक गांवों में सरकारी संपत्तियों का ब्योरा तैयार किया जाना था। ऐसे में …

बरेली, अमृत विचार। नगर निगम बोर्ड में पिछले साल मामला पूरे जोरशोर से उठाए जाने के बाद नगर निगम अपनी संपत्तियों के बारे में खोजबीन नहीं कर पा रहा है। जबकि नगर निगम की सीमा में आने वाले करीब चार दर्जन से अधिक गांवों में सरकारी संपत्तियों का ब्योरा तैयार किया जाना था। ऐसे में नगर निगम की अरबों की संपत्तियों में खुर्दबुर्द होने की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। नगर निगम के उच्चाधिकारी इसे लेकर कई बार संपत्तियों के रखरखाव और उनका रिकार्ड बनाने के लिए रखे गए संबंधित कर्मचारी व लेखपालों के साथ बैठक तो कर चुके हैं लेकिन इसका कोई नतीजा सामने नहीं आ सका है।

नगर निगम की संपत्तियों का मामला कई बार सामने आ चुका है। वर्ष 2020 में नगर निगम की बोर्ड की बैठक में भी यह मामला काफी गर्माया था। उस समय अधिकारियों को निर्देशित किया था कि वे संपत्तियां का ब्योरा तैयार करें। काफी समय तक संपत्तियों का मामला कई सालों से सुर्खियों में बना हुआ है।

अधिकारियों का कहना है कि 48 गांव में नगर निगम की बहुमूल्य जमीन है, इसमें काफी जमीन खुर्दबुर्द भी हो चुकी है। कुछ जमीनों का तो अब कोई अता-पता ही नहीं है। पिछली बोर्ड बैठक में यह मामला उठा तो अधिकारियों ने जवाब दिया था कि करीब आठ गांवों की संपत्तियों का चिन्हीकरण किया जा रहा है लेकिन बाद में मामला ठंडे बस्ते में चला गया। उसके बाद से अब तक कोई ध्यान नहीं दिया गया है।

सात जुलाई को होने वाली बैठक को देखते हुए फिर मची हलचल
निगम बोर्ड की सात जुलाई को बैठक होनी है। बैठक में पिछली कार्रवाई की समीक्षा के दौरान संपत्तियों के चिन्हीकरण की भी समीक्षा होगी। इसका जवाब तैयार करने के लिए अधिकारियों ने फिर से तैयारी शुरू कर दी है। गुरुवार को अपर नगर आयुक्त ने संबंधित कर्मचारियों और मानचित्रकार के साथ बैठक की और तीन दिन के अंदर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं।

नगर निगम ने अपनी संपत्तियों की देखभाल, उनका रिकॉर्ड बनाने और उन संपत्तियों से अतिक्रमण हटाने के लिए दो अलग अलग टीम बनाई। एक में रिटायर तहसीलदार, लेखपाल की टीम तो दूसरे में रिटायर कर्नल और उनकी टीम को रखा गया। हर महीने मोटी रकम खर्च होने के बावजूद इसका कोई हल नहीं निकल पा रहा।