यूपी: केजीएमयू और बीएचयू में होगी डेल्टा प्लस वैरिएंट की जांच

लखनऊ। कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ‘डेल्टा प्लस’ से संक्रमित मरीजों की पुष्टि होने से सीएम ने अधिकारियों को अलर्ट मोड पर काम करने के निर्देश दिए हैं, जिसके तहत अब प्रदेश में कोविड के डेल्टा प्लस वैरिएंट की गहन पड़ताल के लिए अधिकाधिक सैम्पल की जीनोम सिक्वेंसिंग की जाएगी। प्रदेश में जीनोम सिक्वेंसिंग की …

लखनऊ। कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ‘डेल्टा प्लस’ से संक्रमित मरीजों की पुष्टि होने से सीएम ने अधिकारियों को अलर्ट मोड पर काम करने के निर्देश दिए हैं, जिसके तहत अब प्रदेश में कोविड के डेल्टा प्लस वैरिएंट की गहन पड़ताल के लिए अधिकाधिक सैम्पल की जीनोम सिक्वेंसिंग की जाएगी। प्रदेश में जीनोम सिक्वेंसिंग की सुविधा के लिए केजीएमयू और बीएचयू में सभी जरूरी व्यवस्थाएं उपलब्ध कराने के निर्देश सीएम ने आला अधिकारियों को दिए हैं।

बता दें कि साल 2021 की शुरुवात में ही सरकार ने कोरोना संक्रमण के नए स्ट्रेसन को ध्यान में रखते हुए लखनऊ के किंग जॉर्ज चिकित्साक विश्वरविद्यालय (केजीएमयू) में जीन सिक्वेंसिंग की जांच को शुरू करने का फैसला लिया था। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय केजीएमयू के साथ ही बनारस के बीएचयू में जीन सिक्वेंसिंग की जांच शुरू की गई है। यूपी में अभी तक जीन सिक्वेंसिंग जांच के लिए सैंपल को पुणे भेजा जाता था पर अब प्रदेश में जांच शुरू होने से प्रदेश के बाहर स्थ्ति दूसरे संस्थानों में सैंपल नहीं भेजने पड़ेंगे।

बता दें कि यूपी की पहली कोरोना टेस्ट लैब भी केजीएमयू में शुरू हुई थी। माइक्रोबायोलॉजी विभाग की अध्य्क्ष डॉ अमिता जैन ने बताया कि प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार लैब को एडवांस बनाते के लिए पहले से उपलब्धं संसाधनों के जरिए नई जांच को सबसे पहले केजीएमयू में शुरू किया गया था। संस्थान की जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन से इस जांच से सिर्फ वायरस के स्ट्रेन की पड़ताल की जाएगी। इसके लिए लैब में कोरोना पॉजिटिव आए मरीजों के रैंडम सैंपल लिए जाएंगे।

जीनोम सिक्वेसिंग अनिवार्य, दो हफ्तों में आएगी रिपोर्ट
लखनऊ। अभी तक यूपी में आने वाले यात्रियों की एंटीजन और आरटीपीसीआर जांच कोरोना वायरस की पुष्टि के लिए कराई जा रही थी पर अब प्रदेश के सभी यात्रियों के आरटीपीसीआर सैंपल से जीनोम सिक्वेंसिंग कर ‘डेल्टा+’ की जांच को अनिवार्य कर दिया गया है। पॉजिटिव मरीज में कौन सा स्ट्रेोन मौजूद है इसकी जांच के लिए जीन सीक्वें सिंग की जांच को अनिवार्य किया गया है। ‘डेल्टा प्लस’ की रिपोर्ट दो हफ्तों में आती है।

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