बरेली: 30 मरीजों की टूट गईं सांसें, कागजों में क्रियाशील बने रहे वेंटिलेटर

बरेली: 30 मरीजों की टूट गईं सांसें, कागजों में क्रियाशील बने रहे वेंटिलेटर

बरेली, अमृत विचार। प्रधानमंत्री केयर फंड से मिले पीलीभीत में 16 वेंटिलेंटर को संचालित न करने पर सीएमएस को निलंबित कर दिया गया, लेकिन बरेली में भी वेंटिलेटरों को लेकर लापरवाही शुरू से बरती गई। 300 बेड अस्पताल को भी 18 वेंटिलेटर मिले थे लेकिन ये सभी क्रियाशील नहीं हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कागजों …

बरेली, अमृत विचार। प्रधानमंत्री केयर फंड से मिले पीलीभीत में 16 वेंटिलेंटर को संचालित न करने पर सीएमएस को निलंबित कर दिया गया, लेकिन बरेली में भी वेंटिलेटरों को लेकर लापरवाही शुरू से बरती गई। 300 बेड अस्पताल को भी 18 वेंटिलेटर मिले थे लेकिन ये सभी क्रियाशील नहीं हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कागजों में वेंटिलेंटरों को क्रियाशील दिखाते रहे हैं। यहां तक मुख्यमंत्री को भी यही बताया गया कि वेंटिलेटर क्रियाशील हैं।

पीलीभीत में कार्रवाई होने के बाद विभाग के डाक्टरों में सुगबुगाहट हो रही है कि यहां भी कार्रवाई हो सकती है। बताते हैं कि उचित व्यवस्थाएं न होने की वजह से 300 बेड अस्पताल में अब तक 30 मरीजों की सांसें टूट चुकी हैं। यदि व्यवस्थाएं दुरुस्त होती तो इनमें से कईयों की जान भी बचाई जा सकती थी।

केंद्र सरकार की ओर से पीएम केयर फंड के तहत स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना संक्रमितों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराने के लिए 300बेड अस्पताल को 18 वेंटिलेंटर दिए गए थे। कोरोना संक्रमण की पहली लहर के बाद दूसरी लहर की रफ्तार कम होने तक 18 वेंटिलेंटर अस्पताल में बेडों पर धूल फांकते रहे। हैरत की बात तो यह है कि बीते दिनों मुख्यमंत्री के बरेली दौरे पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने जिले में वेंटिलेंटरों में उपचार प्राप्त कर रहे संक्रमितों की संख्या में 300बेड अस्पताल में भर्ती संक्रमितों की संख्या भी जोड़ कर सभी वेंटिलेंटरों को क्रियाशील दिखाकर गुमराह कर दिया गया।

एनेस्थेटिस्ट चिकित्सकों ने प्रशिक्षित स्टाफ न होने की बात पर नहीं किए वेंटिलेंटर संचालित
पिछले साल संक्रमितों को बेहतर सुविधाओं के लिए 300बेड अस्पताल में आवश्यक चिकित्सक व स्टाफ की तैनाती की गई। इसके साथ ही वेंटिलेंटर संचालित होने के लिए एनेस्थेटिस्ट के लिए दो चिकित्सकों की तैनाती की गई। लेकिन दोनों एनेस्थेटिस्ट चिकित्सकों ने वेंटिलेंटर संचालित करने के लिए आवश्यक प्रशिक्षित स्टाफ न होने की बात होकर मनमानी से वेंटिलेंटर संचालित नहीं किए। अस्पताल प्रशासन के रिकार्ड के अनुसार अप्रैल में 521 संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती किया गया। जिसमें 100 से अधिक गंभीर मरीजों को आईसीयू में भर्ती किया गया। एनेस्थेटिस्ट चिकित्सकों की मनमानी के चलते 30 से अधिक संक्रमितों ने उपचार न मिलने के चलते दम तोड़ दिया।

क्या बच्चा वार्ड में भी धूल फांकेंगे वेंटिलेंटर ?
शासन की ओर से तीसरी लहर को देखते हुए बच्चों की सुरक्षा की तैयारियों में बने 300बेड अस्पताल में बच्चा वार्ड बनाया गया। जिसमें बच्चा वार्ड में इंस्टॉल कर दिया गया। संक्रमण की दूसरी लहर में गंभीर संक्रमितों को वेंटिलेंटर उपलब्ध न कराने के लिए प्रशिक्षित स्टाफ न होने का बहाना बनाया। ऐसे में सवाल ये उठता है क्या तीसरी लहर में एनेस्थेटिस्ट बिना प्रशिक्षित स्टाफ के वेंटिलेंटर संचालित करेंगे? अगर ऐसा होता है तो कोरोना की दूसरी लहर में 300बेड अस्पताल में उपचार के दौरान मृत 30 से अधिक संक्रमितों की मौत के लिए प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग दोषी माना जाएगा।

300बेड अस्पताल में लगे वेंटिलेंटरों में नॉन इनवेसिव जैसे बाईपेप वगैरह का इस्तेमाल किया गया। जबकि वेंटिलेंटरों के इनवेसिव प्रयोग नहीं किया गया। उसके लिए अस्पताल में प्रशिक्षित स्टाफ तैनात नहीं था। -डा. एसके गर्ग, सीएमओ

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