इलेक्ट्रिक वाहन से आगे बढ़कर ग्रीन हाइड्रोजन पर काम करेगा AKTU, प्रदेश सरकार को भेजा गया प्रस्ताव, जानें कैसे होगा काम

इलेक्ट्रिक वाहन से आगे बढ़कर ग्रीन हाइड्रोजन पर काम करेगा AKTU, प्रदेश सरकार को भेजा गया प्रस्ताव, जानें कैसे होगा काम

मार्कण्डेय पाण्डेय, लखनऊ, अमृत विचार: दुनिया ग्रीन हाउस गैस को लेकर चिंतित है, इन गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए देशभर में योजनाएं चलाई जा रही हैं। जिसमें केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन शुरू किया है। जिसका उद्देश्य ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन, उपयोग में भारत को वैश्विक केंद्र बनाना है। इसे लेकर केंद्र सरकार विभिन्न नीतियां और योजनाएं लागू कर रही है। तो वहीं, प्रदेश में भी ग्रीन हाइड्रोजन पर काम शुरू हो चुका है। इसे लेकर राजधानी लखनऊ स्थित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय (एकेटीयू) प्रदेश भर में अभियान का श्रीगणेश करने वाला है। जिसके लिए प्रस्ताव बनाकर प्रदेश सरकार को भेजा जा चुका है।

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय इलेक्ट्रिक वाहनों से आगे बढ़कर भविष्य के लिए ग्रीन हाइड्रोजन पर कार्य शुरू कर चुका है। हालांकि विश्वविद्यालय में गैर पारंपरिक उर्जा (नान कंवेशनल एनर्जी) की पढ़ाई पहले से हो रही है जिसका ग्रीन हाइड्रोजन भी एक हिस्सा है। इसे लेकर उत्तर प्रदेश सरकार और जापान की यामानासी के बीच समझौता हुआ है। जिसका प्रस्ताव एकेटीयू ने बनाकर सरकार को दिया है कि कौन सी तकनीक और सहयोग जापान की इस कंपनी से लिया जा सकता है। इसके अलावा प्रदेश सरकार के साथ आस्ट्रेलिया सरकार के एक विभाग के साथ भी समझौता हाल ही में हुआ है। जिसमें ग्रीन हाइड्रोजन और सौर उर्जा के बारे में वह प्रदेश में अपने केंद्र स्थापित करके लोगों को प्रशिक्षण देंगे।

इन 4 बिंदुओं पर दिया गया प्रस्ताव

1-प्रदेश भर में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना

2-ग्रीन हाइड्रोजन पर कौशल विकास

3-स्टार्टअप को प्रोत्साहित करना

4-व्यावसायिकता विकसित करना

ग्रीन हाइड्रोजन का प्रयोग
इसका मुख्य रूप से प्रयोग उद्योग क्षेत्र, उर्जा और ऑटोमोबाइल क्षेत्र में किया जाता है। यह शून्य कार्बन उत्सर्जन करता है और 100 प्रतिशत प्रदूषण मुक्त ईधन है।

क्या होता है ग्रीन हाइड्रोजन

यह स्वच्छ उर्जा का सबसे बेहतरीन रूप है जो पानी के इलेक्ट्रोलिसिस से प्राप्त किया जाता है। इसे बनाने में सौर उर्जा, जल उर्जा, पवन उर्जा का प्रयोग किया जाता है और पानी से हाइड्रोजन को अलग किया जाता है।

अब तक ग्रीन हाइड्रोजन हमारे यहां पाठ्यक्रम का हिस्सा रहा है। लेकिन अब इसे व्यापक स्तर पर प्रोत्साहित किया जा रहा है। इससे संबंधित कुछ स्टार्टअप छात्रों के जरूर हैं। बहुत सक्रियता से अबतक कुछ नहीं हुआ लेकिन अब इसे लेकर तेजी से काम किया जाएगा।
डॉ. महीप सिंह, इनोवेशन हब, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय

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