बरेली: ‘जकात और फितरे के पैसे से कराएं किसी गरीब का इलाज’

बरेली, अमृत विचार। मौजूदा समय में देश में आर्थिक संकट को देखते हुए दरगाह आला हजरत से दुनियाभर के मुस्लिमों से बड़ी अपील की गई है। दरगाह आला हजरत के सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रजा कादरी (अहसन मियां) ने देशभर के साहिबे निसाब (अमीर मुसलमानों) से अपील करते हुए कहा कि हमारे देश में दूसरी कोरोना …
बरेली, अमृत विचार। मौजूदा समय में देश में आर्थिक संकट को देखते हुए दरगाह आला हजरत से दुनियाभर के मुस्लिमों से बड़ी अपील की गई है। दरगाह आला हजरत के सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रजा कादरी (अहसन मियां) ने देशभर के साहिबे निसाब (अमीर मुसलमानों) से अपील करते हुए कहा कि हमारे देश में दूसरी कोरोना लहर शुरू हो चुकी है। कई प्रदेश में सम्पूर्ण लॉकडाउन लगा दिया गया है।
देश आर्थिक संकट से गुजर रहा है। देखा जा रहा है कि जो बीमार हैं, उनको इलाज नहीं मिल पा रहा है। वहीं करोड़ों लोगों पर कर्फ्यू की वजह से रोजगार की मार पड़ रही है। रमजान में अल्लाह हर नेकी के बदले 70 गुना सबाव बढ़ा देता है। इसलिए साहिबे निसाब मुसलमान अपनी जकात (कर) की रकम से ऐसे लोगों की मदद कर दें जो बीमार हैं। जिनको दवा की सख्त जरूरत है।
कोरोना के लगातार बढ़ते मामले और देश के हालात को देखकर दरगाह आला हजरत के सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रजा कादरी (अहसन मियां) ने चिंता जाहिर की है। मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि सज्जादानशीन ने अपनी अपील को सोमवार को टीटीएस मुख्यालय से जारी करते हुए कहा कि मजहब-ए-इस्लाम में हर साहिबे निसाब मुसलमान पर जकात फर्ज (अनिवार्य) है ।
आमदनी से पूरे साल में जो बचत होती है उसका 2.5 प्रतिशत हिस्सा किसी गरीब या जरूरतमंद को दिया जाता है, जिसे जकात कहते हैं। उदाहरण के तौर पर किसी के पास पूरे खर्च करने के बाद 100 रूपए बचते हैं तो उसमें से 2.50 रूपए किसी गरीब को देना जरूरी है। जिन मुसलमान के पास साढ़े सात तोला सोना या साढ़े बावन तोला चांदी है या इतनी कीमत की कोई चल-अचल संम्पत्ति है। उस माल की कुल कीमत पर 2.50 प्रतिशत जकात फर्ज है।
उन्होंने आगे कहा कि मालदार मुसलमान के माल पर गरीबों का हक है। उनकी जिम्मेदारी बनती है कि यह लोग गरीब, बीमार, मजदूर, यतीम (अनाथ), बेवा (बिधवा) की जकात और फितरे की रकम से मदद करें। इसके अलावा जकात और फितरों के पैसों से यतीमखानों (अनाथालय) व मदरसों में भी दी जा सकती है। उन्होने कहा कि रमजान में जो लोग रोजे रख रहे हैं और जिनके पास खाने पीने का इंतजाम (व्यवस्था) न हो उनको राशन का इंतजाम करा दे।