बरेली: अपनी नहीं तो दूसरों की जिंदगी का तो रखें ख्याल- राज्यपाल

बरेली, अमृत विचार। कोरोना की बढ़ती रफ्तार और लोगों की लापरवाही पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने चिंता जाहिर की है। दीक्षांत समारोह में ऑनलाइन बोलते हुए राज्यपाल ने कहा कि लोगों को अपनी जिंदगी की परवाह नहीं है लेकिन वह दूसरों की जिंदगी क्यों बर्बाद करने पर लगे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री के साथ हुए संवाद …
बरेली, अमृत विचार। कोरोना की बढ़ती रफ्तार और लोगों की लापरवाही पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने चिंता जाहिर की है। दीक्षांत समारोह में ऑनलाइन बोलते हुए राज्यपाल ने कहा कि लोगों को अपनी जिंदगी की परवाह नहीं है लेकिन वह दूसरों की जिंदगी क्यों बर्बाद करने पर लगे हैं।
उन्होंने प्रधानमंत्री के साथ हुए संवाद में पेश गई रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि जब दो लोग पास-पास बिना मास्क लगाकर बैठते हैं तो वह 406 लोगों को संक्रमित करते हैं। जब एक मास्क लगाता है और दूसरा नहीं तो वह 5 लोगों को संक्रमित करता है और जब दोनों मास्क लगाते हैं तो किसी को भी नहीं। ऐसे में सभी को मास्क लगाना चाहिए। यहां तक कि घर में भी मास्क लगाकर रहें, क्योंकि बाहर से आने के बाद पता नहीं चलता है कि कौन संक्रमित हो गया है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान वैश्विक महामारी कोरोना की दूसरी लहर बहुत तेजी से बढ़ रही है। राज्यपाल ने कहा कि युवा संसाधन के रूप में अवसर है, आप देश के सांस्कृतिक व भौतिक विरासत को अक्षुण्ण बनाये रखते हुए देश को आगे ले जाने के लिए अपना योगदान कर सकते हैं। दीक्षांत समारोह के बाद शोध निदेशालय का उद्घाटन व इन्क्यूबेशन सेंटर का शिलान्यास भी राज्यपाल ने ऑनलाइन किया।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अपने ऑनलाइन संबोधन में कहा कि रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश का सर्वप्रथम विश्वविद्यालय है, जिसने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को अंगीकार करते हुए वृहद रूप से क्रियान्वयन को प्रारम्भ किया है। विश्वविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं। दिसंबर 2020 में सत्रह राज्य विश्वविद्यालयों में एकमात्र महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड विश्वविद्यालय बरेली है, जिसने विधि स्नातक और परास्नातक परीक्षाओं को सफलतापूर्वक पूर्ण करवा कर एक मॉडल प्रस्तुत किया है।
उन्होंने कहा कि कोडिव-19 के फैलाव के कारण निर्मित विषम परिस्थितियों से जूझकर भी छात्रों के हित को सर्वोपरि रखते हुए आयोजित किये जा रहे इस ऑनलाइन दीक्षान्त समारोह के सफल व सार्थक आयोजन के लिए मैं विश्वविद्यालय परिवार को हार्दिक बधाई देती हूं और निरन्तर इस विश्वविद्यालय के चहुंमुखी विकास के लिए अनेकानेक शुभकामनाएं देती हूं।
विश्वविद्यालय ने दो हजार डिजिटल व्याख्यान उपलब्ध कराए
दीक्षांत समारोह में कुलपति प्रो. केपी सिंह ने अपने अभिभाषण के दौरान विश्वविद्यालय की संक्षिप्त आख्या प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय ने कोरोना काल में तीन हजार डिजिटल व्याख्यान उपलब्ध कराए हैं। जिनका लाभ विश्वविद्यालय के अलावा अन्य विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों के छात्रों ने लिया है। दो लाख 12 हजार नए पंजीकरण हुए और 1.72 लाख छात्रों ने प्रवेश लिये। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के फैलाव के कारण पिछला शैक्षिक सत्र (2020-2021) व्यापक रूप से प्रभावित रहा है, जिस कारण पठन-पाठन, शोध कार्यों एवं शिक्षण कार्य के लिए ऑनलाइन मोड, इंटरनेट एवं बड़े पैमाने पर सूचना प्रौद्योगिकी संयत्रों पर आधारित होकर विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय परिसर एवं महाविद्यालयों में शिक्षा प्रदान की गई। ब्राजील, कनाडा, अमेरिका, हंगरी, दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों के विशेषज्ञों ने ऑनलाइन सूचना प्रौद्योगिकी संसाधनों के द्वारा हमारे विद्यार्थियों को राष्ट्रीय एवं अन्तराष्ट्रीय बेविनार/व्याख्यान में मार्गदर्शन दिया।
अलग-अलग बैठने के किए गए इंतजाम
दीक्षांत समारोह में भीड़-भाड़ न हो, इसके लिए अलग-अलग कक्षों में छात्रों, परिजनों व शिक्षकों के बैठने का इंतजाम किया गया था। सबसे पहले प्रो. रविकांत, प्रो. केपी सिंह व डा. सुनीता पांडेय ने दीप प्रज्जवलन किया। उसके बाद कुलगीत, वंदेमातरम, व अन्य कर्याक्रम किए गए। कुलपति ने राज्यपाल, उप मुख्यमंत्री व अन्य विशिष्ठ अतिथियों को पुष्प गुच्छ दिए। अतिथियों के ऑनलाइन मौजूद होने पर विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने उनके साथ पर पुष्प गुच्छ लिए। कुलपति ने स्वागत करने के बाद विश्वविद्यालय के बारे में बताया। उसके बाद स्वर्ण पदक विजेताओं को उपाधि व मेडल प्रदान किए गए। समारोह में प्रो. पीबी सिंह, प्रो. एसके पांडेय, डा. अनुराग मोहन, आशा चौबे, डा. अमित सिंह, एसएस बेदी, संजीव कुमार, सुनीता यादव, जहीर अहमद व अन्य शिक्षक, कर्मचारी मौजूद रहे।