बरेली: तुम तो मसीहा मोरी आंखों के तारे…

बरेली,अमृत विचार। ईस्टर संडे के दिन शहर के हर चर्च में दिनभर लोगों का तांता लगा रहा। ईसाई मान्यता के अनुसार गुड फ्राइडे के दिन ईसा मसीह को क्रूस पर लटकाया गया था। इसके तीसरे दिन यानी रविवार के दिन यीशु दोबारा जीवित हुए और लोगों का उद्धार किया। इसीलिए इस दिन को ईस्टर संडे …
बरेली,अमृत विचार। ईस्टर संडे के दिन शहर के हर चर्च में दिनभर लोगों का तांता लगा रहा। ईसाई मान्यता के अनुसार गुड फ्राइडे के दिन ईसा मसीह को क्रूस पर लटकाया गया था। इसके तीसरे दिन यानी रविवार के दिन यीशु दोबारा जीवित हुए और लोगों का उद्धार किया। इसीलिए इस दिन को ईस्टर संडे यानी पवित्र रविवार के रूप में मनाया जाता है।
ईस्टर संडे के दिन शहर के हर चर्च में यीशु को याद कर विशेष प्रार्थना की गई। कैंट स्थित सेंट अल्फोंसिस कैथेड्रल चर्च में ईस्टर संडे की पूर्व संध्या पर भी रात्रि में प्रार्थना कर रोशनी भोज व प्रसाद अनुष्ठान किया गया। सुबह नौ बजे बिशप और सभी मुख्य पास्टर ने विशेष आराधना कर यीशु को याद किया। बाद में प्रसाद वितरण किया गया।
क्राइस्ट मैथोडिस्ट चर्च
चौकी चौराहा स्थित क्राइस्ट मैथोडिस्ट चर्च में सुबह से ही श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया था। प्रात: लगभग 10 बजे से चर्च के मुख्य पास्टर सुनील के. मसीह के निर्देशन में गिरिजाघर पहुंचे लोगों के साथ पास्टर एसयू प्रसाद ने विशेष प्रार्थना की। यीशू को याद कर विश्व भर में सुख व शांति की दुआ की गई। इसके बाद 10 बच्चों का बैप्टिज्म संस्कार कराया गया। संस्कार के बाद पास्टर प्रमोद नंदा ने बाइबिल का पाठ किया। इसके बाद चर्च में पूर्ण सदस्यता ग्रहण कर चुके बच्चों व युवाओं द्वारा सुंदर गीत ‘जी उठा, जी उठा मसीह जी उठा’…. गाया गया।
विशेष प्रार्थना के दौरान कार्यक्रम के मुख्य वक्ता केबी एडमंड ने भक्तों को ईस्टर संडे के दिन की महत्ता को समझाया और कहा कि यीशु ने मौत पर विजय प्राप्त की और इस दुनिया में मानव उद्धार के लिए दोबारा जीवित हुए।
ममता मैस्सी, राजेश लाल व डॉ. सलिल देव के निर्देशन में गीतकारों ने सुंदर प्रस्तुति देते हुए ‘तुम तो मसीहा मोरी आंखों के तारे…’ गीत गाया। कार्यक्रम का समापन करते हुए मुख्य पादरी सुनील के. मसीह ने प्रवचन देकर भक्तों को ईश्वर में विश्वास रखने व उनकी सीखों पर आगे बढ़ते रहने का संदेश दिया। सभी भक्तों को प्रसाद स्वरूप ईस्टर बन का वितरण किया गया। कार्यक्रम में अमन, अरोन, अर्पित, अभिषेक, आर्यन, मयंक, जेनेट करुणा, रुबेन, रितिका व अन्य लोगों का विशेष सहयोग रहा।
क्या होता है बैप्टिज्म संस्कार
ईसाई समाज में बच्चे का जन्म होने के बाद उसे माता-पिता द्वारा चर्च ले जाया जाता है जहां बच्चे को वेदी के ऊपर रखकर अभिभावक द्वारा पास्टर के सामने यह वादा किया जाता है कि माता-पिता बच्चे की परवरिश ईसाई रीति-रिवाजों के अनुसार करेंगे। उसे ईसाई धर्म के अनुसार संस्कार देंगे। इसके बाद मुख्य पास्टर बच्चे को पिता-पुत्र-पवित्र आत्मा के नाम का आशीर्वाद देते हैं।