बरेली: विश्वविद्यालय में पहली बार पुरुषों के उत्पीड़न पर शोध

बरेली,अमृत विचार। महिलाओं के उत्पीड़न पर कोई शोध हो चुके हैं लेकिन पुरुषों के उत्पीड़न पर भी शोध शुरू हो गया है। यह शोध एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय के एक शोधार्थी ने शुरू की है। उसकी शोध की सिनॉप्सिस स्वीकार कर ली गई है। इसके अलावा बरेली के एआरटीओ प्रशासन आरपी सिंह सड़क सुरक्षा को लेकर …
बरेली,अमृत विचार। महिलाओं के उत्पीड़न पर कोई शोध हो चुके हैं लेकिन पुरुषों के उत्पीड़न पर भी शोध शुरू हो गया है। यह शोध एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय के एक शोधार्थी ने शुरू की है। उसकी शोध की सिनॉप्सिस स्वीकार कर ली गई है। इसके अलावा बरेली के एआरटीओ प्रशासन आरपी सिंह सड़क सुरक्षा को लेकर शोध कर रहे हैं। शुक्रवार को विश्वविद्यालय के विधि अध्ययन संकाय में हुई शोध समिति की बैठक में 16 शोधार्थियों की सिनॉप्सिस स्वीकार कर ली गई हैं।
शोध समिति में कुलपति प्रो. केपी सिंह के मार्गदर्शन में दो बाह्य विशेषज्ञ प्रो. प्रीति सक्सेना डीन एवं हेड विधि संकाय बाबा साहब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय लखनऊ और प्रो. आरपी सिंह पूर्व डीन एवं हेड लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ उपस्थित रहे। समिति में रुहेलखंड विश्वविद्यालय के विधि संकाय के डीन और हेड डा. अमित सिंह ने भी अपनी सहभागिता दी। सभी शोध छात्रों को उनके रिसर्च इनरोलमेंट के पत्र इसी सप्ताह रुहेलखंड विश्वविद्यालय द्वारा भेजे जाएंगे।
विधि संकायाध्यक्ष डा. अमित सिंह ने बताया कि कुछ सिनॉप्सिस के टॉपिक के नाम संशोधित किए गए। उन्होंने बताया कि कुछ शोध अच्छे विषयों पर हो रहे हैं। पहली बार विश्वविद्यालय में पुरुषों के उत्पीड़न पर शोध हो रहा है। शोधार्थी अखलाश कुमार के शोध का विषय लीगल स्टडी ऑफ हैरेसमेंट ऑफ मेन थ्रू प्रोटेक्टिव लॉज ऑफ वूमेन हैं। इसी तरह से एआरटीओ आरपी सिंह के शोध का विषय क्रिटिकल स्टडी ऑफ रोड सेफ्टी मेजर्स एंड ट्रैफिक लॉज इन इंडिया एंड कम्पनशेसन रूल्स है।
इसके अलावा अनु शर्मा मनी लांड्रिंग और टेरेरिस्ट फंडिंग और प्रवीण कुमार चौहान एनआरसी व शरणार्थियों के विस्थापन पर शोध कर रहे हैं। सभी शोधार्थियों को दो साल में अपनी शोध पूरी करनी होगी। शोध काफी समय से रुकी हुई थीं लेकिन अब फिर से शुरुआत हो गई है।