जम्मू-कश्मीर को मिलेगा पूर्ण राज्य का दर्जा, लोकसभा में अमित शाह ने बताया कब?

नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक का राज्य के दर्जे से कोई संबंध नहीं है और उपयुक्त समय पर जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाएगा। लोकसभा में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2021 पर चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री …
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक का राज्य के दर्जे से कोई संबंध नहीं है और उपयुक्त समय पर जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाएगा। लोकसभा में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2021 पर चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री ने कहा कि इस विधेयक में ऐसा कहीं भी नहीं लिखा है कि इससे जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा, ”मैं फिर से कहता हूं कि इस विधेयक का जम्मू-कश्मीर के राज्य के दर्जे से कोई संबंध नहीं है। उपयुक्त समय पर प्रदेश को राज्य का दर्जा दिया जाएगा।”
गृहमंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर में 370 हटने के बाद से पंचायती राज शुरू हो गया है और 51.7 प्रतिशत लोगों ने वोटिंग में हिस्सा लेकर वहां खुशहाली कायम करने के लिए पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायतों के लिए अपने प्रतिनिधि चुनकर उनको अपनी खुशहाली का जिम्मा सौंप दिया है। बीडीसी अध्यक्ष को जिला अधिकारी की तरह ताकत दी गयी है और वह आतंकवादी घटना अथवा इसी तरह से पीडित किसी भी परिवार के लिए 25 लाख रुपए तक का आवंटन कर सकता है।
उन्होंने कहा कि राज्य में 370 को हटे 17 माह हो चुके हैं और उस विपक्षी दल के सदस्य इस दौर में वहां के विकास कार्य का हिसाब मांग रहे जिन्होंने 70 साल तक वहां शासन किया है। उनका कहना था कि जम्मू कश्मीर में विकास कार्य होने के साथ ही लोगों को न्याय मिल रहा है। नौकरियां पहले की तरह अब चिट्टी लिखकर नहीं मिलती है इसके लिए बच्चों को भर्ती बोर्ड की परीक्षा पास करनी पड़ेगी और उन्हीं बच्चों को नौकरी मिलेगी जो योग्य होंगे। सरपंच भी जनता की सेवा करते हुए लोकसभा तक अपनी काबिलियत का रास्ता खोज सकता है जबकि 70 साल में सिर्फ तीन परिवारों तक ही यह अधिकार एक तरह से सीमित था।
विपक्षी दलों पर अपनी राजनीति के लिए जनता काे गुमराह नहीं करने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि यह मामला उस राज्य के विकास से जुड़ा है जिसको राजनीति के कारण दशकों से आतंकवाद का दंश झेलना पड़ा है इसलिए इस पर अब राजनीति नहीं होनी चाहिए और जो सच्चाई है उसी पर बात कर जनता को सही संदेश देना चाहिए। उन्होंने कहा कि गुमराह करने की राजनीति करने वालों को यह भी समझ लेना चाहिए कि 370 की बहाली को आधार बनाकर चुनाव लड़ने का उनका सपना चकनाचूर हुआ है।
4जी इंटरनेट सुविधाएं दबाव में बहाल करने के आरोप पर जवाब देते हुए शाह ने कहा, ” असदुद्दीन ओवैसी जी ने कहा कि 2जी से 4जी इंटरनेट सेवा को विदेशियों के दबाव में लागू किया है। उन्हें पता नहीं है कि यह संप्रग सरकार नहीं, जिसका वह समर्थन करते थे। यह नरेन्द मोदी की सरकार है, जो देश के लिए फैसले करती है।” उन्होंने कहा, ”यहां कहा गया कि अनुच्छेद 370 हटाने के वक्त जो वादे किए गए थे, उनका क्या हुआ? मैं उसका जवाब जरूर दूंगा लेकिन पूछना चाहता हूं कि अभी तो अनुच्छेद 370 को हटे हुए केवल 17 महीने हुए हैं, आपने 70 साल क्या किया उसका हिसाब लेकर आये हो क्या?
शाह ने कहा कि जिन्हें पीढ़ियों तक देश में शासन करने का मौका मिला, वे अपने गिरेबां में झांककर देखें, क्या आप हमसे 17 महीने का हिसाब मांगने के लायक हैं या नहीं। गृह मंत्री ने कहा, ” मैं इस सदन को फिर से एक बार कहना चाहता हूं कि कृपया जम्मू कश्मीर की स्थिति को समझें। राजनीति करने के लिए कोई ऐसा बयान न दें, जिससे जनता गुमराह हो।”
शाह ने कहा कि औवेसी अफसरों का भी हिन्दू मुस्लिम में विभाजन करते हैं। एक मुस्लिम अफसर हिन्दू जनता की सेवा नहीं कर सकता या हिन्दू अफसर मुस्लिम जनता की सेवा नहीं कर सकता क्या? उन्होंने कहा कि अफसरों को हिन्दू-मुस्लिम में बांटते हैं और खुद को धम्रनिरपेक्ष कहते हैं। गौरतलब है कि एआईएमआईएम सांसद असादुद्दीन ओवैसी ने जम्मू कश्मीर में आबादी के हिसाब से मुस्लिम अफसरों की संख्या कम होने का आरोप लगाया था।