बरेली: नगर निगम-इन्वर्टिस यूनिवर्सिटी के बीच अनुबंध की फाइल गायब

बरेली: नगर निगम-इन्वर्टिस यूनिवर्सिटी के बीच अनुबंध की फाइल गायब

अमृत विचार, बरेली। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट बहगुलपुर की भूमि के प्रकरण में नगर निगम और इन्वर्टिस यूनिवर्सिटी के बीच हुए अनुबंध पत्र, अनुमति की फाइल नगर निगम से गायब हो गई है। क्रय की गई 4.359 हेक्टयर भूमि से संबंधित पत्रावली और अनुबंध पत्र न होने के प्रकरण में पूर्व नगर आयुक्त राजेश श्रीवास्तव …

अमृत विचार, बरेली। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट बहगुलपुर की भूमि के प्रकरण में नगर निगम और इन्वर्टिस यूनिवर्सिटी के बीच हुए अनुबंध पत्र, अनुमति की फाइल नगर निगम से गायब हो गई है। क्रय की गई 4.359 हेक्टयर भूमि से संबंधित पत्रावली और अनुबंध पत्र न होने के प्रकरण में पूर्व नगर आयुक्त राजेश श्रीवास्तव की भूमिका गलत बताई जा रही है।

उन्होंने पैरवी करने की जगह याचिका वापस लेने के लिए अर्जी लगाई थी। मंडलायुक्त रणवीर प्रसाद ने रिपोर्ट तलब की। नगर आयुक्त अभिषेक आनंद ने चार बिंदुओं पर रिपोर्ट भेज दी है जिसमें बताया गया है कि नगर निगम की 57 सौ गज जमीन इन्वर्टिस यूनिवर्सिटी के कब्जे में है।

मंडलायुक्त को भेजी रिपोर्ट में बताया गया है कि पूर्व नगर आयुक्त राजेश श्रीवास्तव द्वारा प्लांट के लिए बहगुलपुर में कृषि भूमि खरीदने के लिए बिना किसी प्राधिकार पत्र के राज्यपाल के पक्ष में 23 विक्रय विलेख पंजीकृत करा दिये गए थे। इसमें क्रेता के रूप में निष्पादन राकेश कुमार सोनकर, तत्कालीन मुख्य कर निर्धारण अधिकारी ने हस्ताक्षर किये।

विक्रय विलेखों में स्टांप शुल्क में छूट ली गई। महज 100 रुपये स्टांप शुल्क जमा किया गया है। स्टांप शुल्क की कमी मिलने पर मेयर ने सात लाख 68 हजार 885 रुपये बतौर शुल्क कोषागार में जमा कराया। इस तरह से भूमि थर्ड पार्टी द्वारा नगर निगम को उपलब्ध करा दी गई।

नगर आयुक्त ने यह भी बताया कि वर्तमान में नगर निगम के स्वामित्व वाली भूमि में से कुछ भूमि पर इन्वर्टिस यूनिवर्सिटी का कब्जा है। इसकी पैमाइश करा दी गई है। रिपोर्ट में बताया है कि उच्च न्यायालय इलाहाबाद के 15 सितम्बर 2005 को जारी आदेश के क्रम में तत्कालीन जिलाधिकारी ने रजऊ स्थित विवादित भूमि की पैमाइश संयुक्त सर्वे टीम से कराई।

इसमें भूमि के पूर्व दिशा में इन्वर्टिस यूनिवर्सिटी का निगम की भूमि पर 0.590 हेक्टयर अनधिकृत कब्जा दिखाया गया है। निगम की भूमि का क्षेत्रफल गाटा संख्या 20, रकबा 8.586 है लेकिन मौके पर 0.482 हेक्टेयर भूमि कम है जिसमें यूनिवर्सिटी की चहारदीवारी बनी है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश 18 जुलाई, 2013 के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपील नगर निगम बनाम इन्वर्टिस यूनिवर्सिटी व अन्य योजित दायर की गई।

इसमें पूर्व नगर आयुक्त द्वारा प्रभावी पैरवी करने की जगह रिट वापस लेने के लिए उच्चतम न्यायालय में रिट अभियोजित की गई जिसे 14 जनवरी 2020 को उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया। इसके लिए सक्षम स्तर से स्वीकृति नहीं ली गई थी। यह भी बताया कि प्लांट से संबंधित पीआईएल सत्यवीर सिंह बनाम स्टेट व अन्य तथा एक रिट मुनीश शर्मा बनाम स्टेट विचाराधीन है।

मंडलायुक्त यह भी पूछा कि सालिड वेस्ट प्लांट के लिए बहगुलपुर में क्रय की गई भूमि के विक्रय मूल्य का भुगतान इन्वर्टिस यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति उमेश गौतम ने क्यों किया? इसका उद्देश्य क्या था? इस पर नगर आयुक्त ने मंडलायुक्त को बताया कि बहगुलपुर में रजऊ परसपुर स्थित प्लांट शिफ्ट करने के उद्देश्य से 4.359 हेक्टयर भूमि क्रय की गई। जिसके एवज में 40.70 लाख रुपये प्रतिफल का भुगतान काश्तकारों को मेयर ने किया है। इसका शपथ पत्र पूर्व नगर आयुक्त ने उच्चतम न्यायालय में दाखिल किया है।

नगर निगम की 57 सौ वर्ग गज ज़मीन पर अवैध कब्जा करने की वर्तमान नगर आयुक्त की ताजा पुष्टि के बाद मेयर ने अपने पद पर बने रहने का नैतिक अधिकार खो दिया है, लिहाजा उन्हें नैतिक आधार पर तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए। अन्यथा पारदर्शिता, भ्रष्टाचार मुक्त शासन का दावा करने वाली सरकार को उन्हें हटा देना चाहिए। प्लांट की जमीन खरीदने में घपलामेंट में शामिल तत्कालीन नगर आयुक्त राजेश श्रीवास्तव पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। – मुहम्मद खालिद जीलानी, एडवोकेट (आरटीआई एवं सोशल एक्टिविस्ट)

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