मन के बीमार बहुत लेकिन मन की बीमारी के डॉक्टर कम
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हल्द्वानी, अमृत विचार: मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है लेकिन मानसिक रोगों का उपचार करने वाले सरकारी डॉक्टरों की संख्या कम होती जा रही है। इस वजह से मरीजों को काफी परेशानी हो रही है। हल्द्वानी में सीनियर डॉक्टर के नाम पर केवल एक मात्र सीनियर डॉक्टर एसटीएच में मौजूद हैं।
डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय अस्पताल की ओपीडी में मानसिक रोगियों की संख्या भी काफी अच्छी रहती है। प्रतिदिन 70 से 100 मरीज ओपीडी में पहुंचते हैं।
यहां असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. निकिता देऊपा ही मरीजों का उपचार करने के लिए मौजूद हैं। उनके अलावा कोई भी सीनियर कंसल्टेंट अस्पताल में नहीं है। इस वजह से मरीजों की लंबी कतार ओपीडी के आगे लग जाती है। सुबह से ही मरीजों का पहुंचना शुरू हो जाता है और साथ ही एक मरीज का नंबर आने में कम से कम एक घंटा लग जाता है। नवंबर माह में मनोचिकित्सक डॉ. सिद्धांत माथुर ने एसटीएच में अपनी सेवाएं देना बंद कर दी थीं। इसके बाद यहां यह दिक्कत आई है। पहले सोबन सिंह जीना बेस अस्पताल में एक मानसिक रोग विशेषज्ञ आते थे लेकिन अब उनकी सेवा भी बंद हो गई है। प्राचार्य डॉ. अरुण जोशी ने बताया कि शासन स्तर पर डॉक्टरों के साक्षात्कार देहरादून में करवाए जाएंगे। उम्मीद है कि आने वाले समय कुछ और मनोचिकित्सक अस्पताल को मिलेंगे।
लंबा चलता है उपचार
हल्द्वानी। मानसिक रोग जैसे अवसाद, भय, चिंता, हाइपरएक्टिविटी, ऑप्टिज्म आदि का लंबा उपचार चलता है। साथ ही ओपीडी में डॉक्टर को मरीज की स्थिति समझने के लिए काफी समय देना पड़ता है। निजी अस्पतालों में इसका उपचार काफी महंगा होता है। साथ ही दवाएं भी काफी महंगी आती हैं। बदलती जीवनशैली की वजह से मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है।
मेडिकल कॉलेज 5 डॉक्टर साक्षात्कार देने पहुंचे
हल्द्वानी। राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी के विभिन्न विभागों में नियुक्ति के लिए डॉक्टर पहुंचे। बुधवार को सीनियर रेजीडेंट व जूनियर रेजीडेंट पद के लिए साक्षात्कार हुए। प्राचार्य डॉ.अरुण जोशी ने बताया कि कुल 15 डॉक्टरों ने साक्षात्कार हिस्सा लिया। इसमें सीनियर रेजीडेंट के लिए पैथोलॉजी में 1 व एनाटॉमी विभाग में 1 और 13 ने जूनियर रेजीडेंट के लिए साक्षात्कार दिया।