बदायूं में बच्चों की इलाज की बढ़ी मुश्किलें, जिला अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ की सीट अभी भी खाली

बदायूं, अमृत विचार: जिला अस्पताल में बीमार लोगों की भीड़ दिनों दिन बढ़ती जा रही है। साथ बीमार बच्चों को देखने वाला कोई बाल रोग विशेषज्ञ न होने से लोगों को भारी परेशानी हो रही है।
अस्पताल में सभी ओपीडी सुबह नौ से एक बजे तक खुली रहती है। बुखार और खांसी के मरीज बड़ी संख्या में लाइन लगा कर दवा ले रहे हैं। जिला अस्पताल में सर्दी बुखार की दवा तो मिल जाती है लेकिन जो बच्चे बीमारी की हालत में यहां पहुंचते हैं उन्हें दवा देने वाला कोई नहीं है। दो साल के बाद भी जिला अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ नहीं हैं। गांव देहात से आने वाले बीमार बच्चों के परिजन डॉक्टरों को इधर उधर खोजते रहते हैं।
कुछ जिला महिला अस्पताल चले जाते हैं तो अधिकांश बच्चों को प्राइवेट चिकित्सकों को दिखाना पड़ता है। यहां पर बाल रोग विशेषज्ञ नहीं होने की सूचना शासन तक भेजी जा चुकी है। वहीं जिला अस्पताल में वैसे तो कई तरह की दवाएं नहीं हैं, लेकिन सबसे अधिक समस्या कैल्शियम सिरप न मिलने से हो रही है। कैल्शियम सिरप डॉक्टर मरीजों को लिख रहे हैं। लेकिन दवा काउंटर पर मरीजों को कैल्शियम सिरप न होने की बात ह कर लौटा दिया जाता है।
कई महिलाओं ने बताया कि डॉक्टर सिरप लिखते हैं लेकिन दवा काउंटर पर सिरप न होने की बात कही जाती है। कुछ लोगों ने बताया कि वह बाजार से सिरप ले रहे हैं। इसी तरह पीलिया के मरीजों ने भी दवा नहीं होने की बात कही है। मरीजों ने बताया कि डाक्टर ने जो दवा लिखी वह यहां नहीं मिली जिससे बाजार से खरीदनी पड़ी है।
अस्पताल में नहीं दी जाती व्हील चेयर व स्ट्रेयर
जिला अस्पताल में वृद्धों के लिए न तो व्हील चेयर मिलती है और न ही स्ट्रेचर मुहैया कराया जाता है। इस कारण मरीज को उनके परिजन गोद में उठा कर या फिर अन्य किसी तरह इधर से उधर पहुंचाते हैं। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भरमार होने के बाद भी मरीजों को उनसे कोई लाभ नहीं मिल रहा है। कस्बा उझानी की कमला देवी के पैर में कुछ दिन पहले चोट लग गई। इससे वह चलने फिरने में असमर्थ है।
स्थानीय डॉक्टरों से इलाज कराने के बाद भी कोई सुधार नहीं हुआ तो शुक्रवार को उनका बेटा हरिसिंह उन्हें लेकर जिला अस्पताल दिखाने लाया। हरिसिंह ने अस्पताल के कर्मियों से व्हील चेयर की मांग की, लेकिन उन्हें व्हील चेयर नहीं दी गई। काफी देर इंतजार करने के बाद हरिसिंह मां को गोद में उठा कर डॉक्टर के पास ले गए। डॉक्टर को दिखाने के बाद हिरसिंह ने ओपीडी से बाहर आकर दोबारा व्हील चेयर मांगी फिर भी उन्हें नहीं दी गई। इसी तरह अन्य मरीज के परिजन उन्हें गोद में उठाकर ओपीडी तक ले जाते दिखे।
जिला अस्पताल में काफी हद तक व्यवस्था में सुधार आया है। कभी कभी लोग अपने परिजनों को खुद ही गोद मे उठा कर ले जाते हैं तो कभी उन्हे व्हील चेहर या स्ट्रेचर नहीं मिल पाता है। कैल्शियम का सिरप मरीजों को दिया गया है। हो सकता है कि फिलहाल खत्म हो गया हो। मरीजों को दवाएं यहीं से दी जाती हैं। किसी को बाजार की दवा नहीं लिखी जाती है- डॉ. कप्तान सिंह, सीएमएस
ये भी पढ़ें- बदायूं: मंदिर के पास शराब की दुकान बंद करने के आदेश, आबकारी विभाग ने हटवाया बैनर