लखीमपुर खीरी: भीषण गर्मी में वाटर होल बुझाएंगे वन्यजीवों की प्यास

लखीमपुर खीरी: भीषण गर्मी में वाटर होल बुझाएंगे वन्यजीवों की प्यास

गोला गोकर्णनाथ, अमृत विचारं: भीषण गर्मी का प्रकोप बढ़ने से वन्यजीव प्यास बुझाने के लिए पानी की तलाश में जंगल से बाहर निकल आते हैं, जिससे वन्यजीव और मानव संघर्ष की घटनाएं होती रहती हैं। ऐसे में महेशपुर रेंज के जंगल के अंदर पानी की सुविधाओं के लिए वनकर्मियों ने रेंज क्षेत्र की बीटों में बने आठ वाटर होल में पानी भरवाना शुरू कर दिया है।

जंगल में जल के अभाव में काफी समय से बाघ, तेंदुआ, हिरन, नीलगाय आदि वन्य जीव पानी की तलाश में आबादी क्षेत्र में पहुंचकर हिंसक हो रहे हैं। जिससे वन्य जीव एवं मानव के बीच टकराव के हालात बन रहे हैं। भीषण गर्मी पड़ने पर जंगल क्षेत्र से निकलने वाली कठिना नदी के भी बहुत घाट सूखकर पानी विहीन हो जाते हैं। ऐसे में वन्यजीवों को जंगल के अंदर या पास पानी नहीं मिलता है तब वह जंगल से बाहर निकल आते हैं। 

बाघ, तेंदुआ के हमले की आए दिन हो रही घटनाओं से ग्रामीणों की दिनचर्या प्रभावित होती है। जंगल क्षेत्र के अंदर पानी की व्यवस्था के लिए पूर्व में आठ वाटरहोल बनाए गए थे। यह वाटर होल बाघ बाहुल्य देवीपुर बीट, महेशपुर, सहजनिया, आंवला में बनाए हैं।

रेंजर के निर्देश पर वनकर्मियों ने उन वाटर होलों की साफ-सफाई कर पानी भरना शुरू कर दिया है। पिछले दिनों मानव वन्य जीव संघर्ष की घटनाओं को रोकने के लिए टाइगर ग्लोबल फोरम सहित वन्य जीव संरक्षण पर काम कर रही कई संस्थाओं के प्रतिनिधि यहां आकर तमाम योजनाएं बना चुके हैं। लेकिन बनाई गई कुछ ही योजनाएं, परियोजनाएं, घोषणाएं धरातल पर उतर सकीं, जबकि कुछ योजनाएं ठंडे बस्ते में चली गईं।

वन्यजीवों की प्यास बुझाने के लिए वाटरहोलों की सफाई कराकर उनमें पानी भरने का कार्य जोरों पर किया जा रहा है। उम्मीद है कि अब गर्मी में वन्यजीव जंगल से बाहर नहीं निकलेंगे- निर्भय प्रताप शाही, रेंजर मोहम्मदी महेशपुर रेंज।

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