Chaitra Navratri 2025 : मां दुर्गा की चाहिए कृपा, चैत्र नवरात्री पर करें इस प्रकार पूजा-अर्चना

अमृत विचार। 30 मार्च से चैत्र नवरात्री की शुरुआत होने जा रही है। इससे पहले नया संवत 2082 की शुरआत हो चुकी है। इस दिन मां दुर्गा की पूजा आराधना, कलश की स्थापना और स्त्रोत आदि का पाठ किया जाता है। वहीं देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए भक्त धार्मिक ग्रंथ दुर्गा सप्तशती का पाठ भी करते है। माना जाता है कि इस पाठ का मंत्र बेहद शक्तिशाली होता है। नवरात्री पर पूरे विधि-विधान से शक्ति स्त्रोत करने से मां सभी इच्छाएं पूर्ण करती है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नवरात्र में दुर्गा सप्तशती के शक्तिशाली मंत्र देवी कवच के बाद अर्गला स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। इस स्त्रोत को सुनने से सभी दुविधाएं दूर होती है। वहीं, नवरात्री में इसका पाठ करने से दुश्मनो पर विजय, मनोकामनाएं पूरी, धन की प्राप्ति होती है। इसके पाठ से आपको किसी भी कार्य में सिद्धि प्राप्त होती है। दुर्गा सप्तसती के स्त्रोत का पाठ नवरात्री में करने से कई गुना फल प्राप्त होता है। जीवन में अभी समस्याओं का समाधान देवी दुर्गा के पास है।
हम सभी अपने बचपन में काफी ज्यादा उत्तेजित रहते थे घर में नवरात्री की पूजा के लिए। इस दिन सभी सुबह जल्दी उठ कर, नहा धोकर मंदिर में एकत्रित होते थे और पूजा की तैयारियों में जुट जाते थे।चैत्र नवरात्री पर भक्त कलश स्थापना करते है, क्या है इसकी पूरी विधि, जानिए
-माँ दुर्गा की प्रतिमा, मूर्त या फिर तस्वीर को लाल रंग की चुनरी, लाल साड़ी से सजाना।
-माता के लिए चौकी का इंतज़ाम करना ताकि उनको जमीन में न बैठाया जा सके।
-श्रृंगार का सामान, मिट्टी का कलश, अक्षत, रोली, चन्दन, शहद, लाल सिंदूर, रक्षासूत्र, गंगाजल, एक पीला कपड़ा, कुश या कंबल वाला आसन
-इसके बाद फूलों की माला, फल, मिठाई, पान का पत्ता, सुपारी, लौंग, इलायची
अगरबत्ती, धूप, दीप, बत्ती बनाने के लिए रुई, कपूर, गाय का घी, जौ, पंचधान्य, पंचमेवा, गुग्गल, लोबान, माचिस
-मातरानी का ध्वज, सूखा नारियल, जटावाला नारियल आदि
चैत्र नवरात्री शुभ कलश स्थापना
चैत्र नवरात्री के कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त की बात करें तो सुबह के समय 6:13 बजे से लेकर 10:22 बजे और दूसरा समय दोपहर का है जब 12:01 बजे से 12:50 बजे तक आप कलश स्थापना अभिजीत मुहूर्त में कर सकेंगे।
कलश स्थापना के नियम
-कलश स्थापना ज्यादातर लोग सुबह ब्रह्म मुहूर्त में करते है।
-कलश स्थापना से एक दिन पहले ही सारी तैयारी कर लेने से स्थापना वाले दिन किसी प्रकार की देरी नहीं होती है।
-अगर कलश स्थापना के लिए आप 9 दिनों का व्रत ले रहे है, तो ठीक हैं। नहीं तो आप पहला और आखिरी व्रत को भी उठा सकते है।
-कलश स्थापना से एक दिन पहले किसी भी तामसिक वस्तुओं का सेवन न करें तो बेहतर होगा। और इसी प्रकार अगर 9 दिनों तक इसका पालन किया जाना चाहिए।
-नवरात्री के दिन से एक ज्योति जागृत की जाती है इसे अखंड ज्योति कहते है इससे जलने के बाद आपको इसका ध्यान रखना होता है कि कही ये बुझ न जाए।
-नवरात्री पर जिस कलश की स्थापना की जाती है उसमें जौ को बोया जाता है।
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