प्रयागराज: महाकुंभ में हुई गड़बड़ी की सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित

प्रयागराज: महाकुंभ में हुई गड़बड़ी की सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित

प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महाकुंभ में हुई गड़बड़ी की सीबीआई जांच को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया है। उक्त आदेश मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली एवं न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने केशर सिंह, योगेंद्र कुमार पांडेय व कमलेश सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। जनहित याचिका में महाकुंभ की सभी गड़बड़ियों की सीबीआई जांच और आवश्यक कार्यवाही के लिए सम्पूर्ण रिपोर्ट संबंधित अधिकारियों को प्रस्तुत करने का निर्देश देने की मांग की गई है।  

याची के अधिवक्ता ने बताया कि 144 वर्षों के बाद महाकुंभ व अमृत वर्षा की भविष्यवाणी पर 66 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु देश-विदेश से आए और केंद्र व राज्य सरकार ने इस आयोजन के लिए करोड़ों रुपये के साथ अभूतपूर्व व्यवस्थाएं की, लेकिन मेला प्रशासन की लापरवाही के कारण कई गड़बड़ियां हुईं। प्रशासनिक लापरवाही के कारण गंगा जल की शुद्धता पर उंगली उठाई गई। इस संबंध में उन्होंने एनजीटी के विगत आदेश की प्रति व बीओडी, सीओडी की रिपोर्ट प्रस्तुत की। बहस के दौरान यह भी कहा गया कि प्रशासन की लापरवाही के कारण ही 30 पांटून पुल में केवल कुछ ही खुले थे, जिससे स्नानार्थियों को 30-40 किमी. पैदल चलना पड़ा। 

सरकार ने स्नानार्थियों के लिए शटल बस की व्यवस्था की थी, लेकिन मेला प्रशासन की लापरवाही के कारण वह नकारात्मक थी। इसी उदासीनता के कारण शहर के होटलों व नावों में अत्यधिक किराया वसूला गया। स्नानार्थियों के लिए खाना, पानी, सोने व बाथरूम की समुचित व्यवस्था नहीं थी, जबकि इसके लिए करोड़ों रुपये उत्तर प्रदेश सरकार ने स्वीकृत किए थे। 

तर्कों में यह भी कहा गया कि मौनी अमावस्या की भगदड़ भी सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही के कारण हुई। ड्रोन सिस्टम काम नहीं कर रहा था। भगदड़ की घटनाओं की रिपोर्ट व उससे प्रभावित लोगों की जानकारी अब तक सरकार को नहीं दी गई। प्रशासनिक अधिकारियों का कोई तालमेल नहीं था और न ही उन्हें किसी बात की जानकारी थी।

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