बरेली: लेखपालों ने गलत तरीके से निरस्त कर दिए 96013 अविवादित विरासत के आवेदन, जानिए कैसे सामने आया सच!

राकेश शर्मा, बरेली। बरेली मंडल की तहसीलों में विरासत के आवेदनों को बेवजह निरस्त करने का खेल पकड़ा गया है। चारों जिलों में कुल मिलाकर 96013 ऐसे विरासत के आवेदन निरस्त किए गए हैं जिन पर कोई विवाद नहीं था। इ
न्हें निरस्त करने की वजह से उनके अनुरूप न विरासत दर्ज हो पाई, न ही धारा 34 के तहत कोई वाद दर्ज हुआ। राजस्व न्यायालय मामला प्रबंधन प्रणाली (आरसीसीएमएस) डैशबोर्ड पर ये आवेदन लंबित की श्रेणी में पड़े हुए हैं। कमिश्नर ने अब इन आवेदनों को पुनरीक्षित कराने का निर्देश दिया है।
आरसीसीएमएस डैशबोर्ड की समीक्षा में लेखपालों का यह खेल उजागर होने के बाद अफसर चकराए हुए हैं। कमिश्नर सौम्या अग्रवाल ने आवेदनों के निरस्त होने का कारण पता लगाने के लिए तहसील जलालाबाद के पांच गांवों की गहन समीक्षा कराई तो पता चला कि अधिकतर आवेदन गलत तरीके से निरस्त किए गए हैं।
इसके बाद उन्होंने 20 फरवरी को चारों जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर एक जनवरी से पहले के गैरविवादित विरासत के प्रकरणों की तहसीलदारों के जरिए दोबारा जांच कराने का निर्देश दिया है। इनमें बरेली के 29187, पीलीभीत के 16800, शाहजहांपुर के 25322 और बदायूं के 24704 आवेदन शामिल हैं।
निरस्त आवेदनों के लिए बनाई गई नई व्यवस्था
कमिश्नर ने निरस्त आवेदनों के पुनरीक्षण के लिए नई व्यवस्था भी बनाई है। निर्देश दिया है कि कानूनगो क्षेत्रवार निरस्त आवेदनों के प्रिंटआउट निकालकर बुकलेट बनाएं। प्रत्येक निरस्त आवेदन की समीक्षा के बाद उस पर तहसीलदार टिप्पणी दर्ज करें जिसका लेखपालों से अनुपालन कराया जाए।
इसके बाद लेखपाल कार्रवाई की रिपोर्ट दर्ज करेंगे, जिसे तहसीलदार देखेंगे। यह काम तहसीलदार और नायब तहसीलदार 28 फरवरी तक पूरा करेंगे। इसके बाद चारों जिलों के एडीएम को आगे की प्रक्रिया 15 मार्च तक पूरी करने को कहा गया है।
कहा है, जहां विरासत दर्ज की गई है, वहां इसे खतौनी में भी दर्ज कराना सुनिश्चित किया जाए और खतौनी की नि:शुल्क प्रति आवेदक को उपलब्ध कराएं। संपूर्ण रिपोर्ट का प्रारूप भी भेजा गया है, जिस पर सूचना प्रत्येक दशा में 16 मार्च तक अपर आयुक्त प्रशासन को भेजने के निर्देश दिए गए हैं।
क्या है राजस्व संहिता की धारा-33
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा-33 के तहत व्यक्ति पारिवारिक भूमि पर कब्जा प्राप्त करने के लिए खुद को उत्तराधिकारी दर्ज कराने के लिए आवेदन लेखपाल के समक्ष प्रस्तुत करता है। यदि मामला विवादित नहीं है तो लेखपाल ऐसे उत्तराधिकार को अधिकार अभिलेख (खतौनी) में दर्ज करता है। राजस्व संहिता की धारा 33 के अंतर्गत अविवादित विरासत संबंधित प्रकरण लेखपाल स्तर से ही निपटाए जाते हैं।
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