हाईकोर्ट का बड़ा फैसला : किराएदार को मकान मालिक की मर्जी पर निर्भर होना चाहिए
प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संपत्ति पर मकान मालिक के अधिकारों की व्याख्या करते हुए कहा कि किराएदार को आमतौर पर मकान मालिक की मर्जी पर निर्भर होना चाहिए, क्योंकि जब भी मकान मालिक को अपने निजी इस्तेमाल के लिए संपत्ति की जरूरत होगी तो किराएदार को संपत्ति छोड़ना होगा। कोर्ट को ऐसे मामलों में बस यह देखना होगा कि मकान मालिक की जरूरतें वास्तविक है या नहीं।
यह आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार की एकलपीठ ने मेरठ निवासी जुल्फिकार अहमद और 7 अन्य की याचिका खारिज करते हुए पारित किया। कोर्ट ने पाया कि जब वास्तविक आवश्यकता और तुलनात्मक कठिनाई मकान मालिक के पक्ष में हो तो संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती है। मामले के अनुसार मकान मालिक ने निजी जरूरत के आधार पर दो दुकानों के लिए निर्मोचन का आवेदन दाखिल किया था। मकान मालिक का इरादा दुकानों के परिसर में मोटरसाइकिल और स्कूटर की मरम्मत का काम करने के लिए एक दुकान खोलने का था। किराएदार को उन परिसरों में मकान मालिक द्वारा अपने पिछले कार्यस्थल को खाली करने के लिए कहा गया। संबंधित प्राधिकारी ने निर्मोचन आवेदन को स्वीकार कर किराएदार की अपील खारिज करते हुए कहा कि वास्तविक आवश्यकता और तुलनात्मक कठिनाई मकान मालिक के पक्ष में थी। उपरोक्त आदेश को चुनौती देते हुए किराएदार ने हाईकोर्ट के समक्ष वर्तमान याचिका दाखिल की।
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