Lucknow University के प्रोफेसर पर शोषण का आरोप, मार्क्स में की हेर-फेरी
शासन से नोटिस जारी कर बनाई 4 सदस्यीय जांच कमेटी
लखनऊ, अमृत विचार: लखनऊ विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग में अप्लाइड इकोनॉमिक्स में कार्यरत प्रोफेसर विमल जायसवाल के खिलाफ शासन ने जांच कमेटी का गठन किया है। उनके खिलाफ अंकों में हेर-फेर करने और शोध विद्यार्थियों के शोषण समेत गलत सूचना देकर नियुक्ति पाने का आरोप है। 3 दिसंबर को हुई शिकायत के बाद शासन की ओर से कमेटी का गठन किया गया है। इस चार सदस्यीय कमेटी को निर्देश दिया गया है कि पूरे मामले की जांच 15 दिन के अंदर कर शासन को रिपोर्ट प्रस्तुत किया जाए।
प्रोफेसर विमल जायसवाल के खिलाफ उच्च शिक्षा विभाग अनुसचिव संजय कुमार द्विवेदी की तरफ से पत्र जारी किया गया है। जारी पत्र में लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय की अध्यक्षता में चार सदस्य कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी में उच्च शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव प्रो. डीपी शाही, लखनऊ के क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के कुलसचिव शामिल हैं।
गलत सूचना देकर नियुक्ति पाने का आरोप
शासन की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि प्रोफेसर विमल जायसवाल की साल 2005 में लखनऊ विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र विभाग के अप्लाइड इकोनॉमिक्स विभाग में सहायक प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति हुई थी। उन्हें पिछड़ा वर्ग की नॉन क्रीमी लेयर संवर्ग कैटेगरी में नियुक्ति दी गई थी। शासन को भेजी गई शिकायत में कहा गया है कि उनके द्वारा परीक्षा केंद्रो के निर्धारण, शिक्षकों की नियुक्तियों में भी अनियमितता की गई है। साथ ही अंकों में हेर-फेर के साथ शोध विद्यार्थियों के शोषण का आरोप लगाया गया है।
इस तरह की कोई भी जानकारी मुझे नहीं है। किसी तरह की नोटिस मुझे अब तक नहीं मिला है, इसलिए मै इस बारे में कुछ भी नहीं कह सकता हूं।
प्रो. विमल कुमार जायसवाल
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