RTE: नियम है निकट का दूर के स्कूल में प्रवेश की निकालते लॉटरी, कन्नौज में कई समस्याओं को लेकर प्राइवेट स्कूल्स वेलफेयर एसोसिएशन ने दिया था ज्ञापन
कन्नौज, अमृत विचार। निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत कई समस्याएं हैं उन पर वर्षों बाद भी ध्यान नहीं दिया गया है। इस वजह से हर साल जरूरतमंद हजारों बच्चों का हक मारा जाता है। खास बात यह है कि कई बच्चों के प्रवेश की लॉटरी निवास स्थान से काफी दूर वाले स्कूल के लिए निकाली जाती है जिससे वह लाभ नहीं ले पाते हैं। सिर्फ वही विद्यार्थी पहुंचते हैं जो सक्षम घर से हैं।
इन सब समस्याओं को लेकर प्राइवेट स्कूल्स वेलफेयर एसोसिएशन ने वर्ष 2024 में ज्ञापन भी दिया था। एसोसिएशन के सचिच डॉ. राकेश कटियार ने तत्कालीन बीएसए को छह सूत्री समस्याओं वाले पत्र में हवाला दिया गया था कि आरटीई के तहत छात्रों का प्रवेश उनके निवास स्थान से निकट या अधिकतम एक किमी की दूरी पर स्थित विद्यालय में कराया जाए लेकिन तीन से 10 किमी दूर के स्कूल का चयन कर बच्चों को प्रवेश के लिए भेज दिया जाता है।
इससे छात्र-छात्राओं को प्रतिदिन आने-जाने की समस्याओं से जूझना पड़ता है। इतना ही नहीं अधिक दूरी की वजह से कई अभिभावक बच्चों का प्रवेश भी नहीं कराते हैं। दुर्बल वर्ग एवं अलाभित समूह के परिवार हर रोज स्कूली वाहनों से बच्चों को भेजने का खर्च वहन नहीं कर सकते हैं जिस वजह से उनको आरटीई का लाभ नहीं मिल पाता है।
पोर्टल पर भी उठाए थे सवाल, एक नाम से कई स्कूल
आरटीई ऑनलाइन पोर्टल पर प्रवेश के लिए कई विद्यालय एक ही यू डायस कोड पर एक से अधिक क्रम में दिखते हैं। एसोसिएशन ने पोर्टल पर भी कई सवाल खड़े किए हैं। साथ ही जनपद में बड़ी संख्या में कॉन्वेंट या निजी विद्यालय संचालित होने की बात कही थी जो अब तक आरटीई पोर्टल पर मैप्ड स्कूलों की श्रेणी में पंजीकृत नहीं हुए हैं। इस कारण उन विद्यालयों के आसपास रहने वाले छात्रों को प्रवेश नहीं मिलता है। विद्यालयों को यू-डायस कोड आवंटित कर पोर्टल पर पंजीकृत किया जाए जिससे पात्रों को निशुल्क शिक्षा का अधिकार अधिनियम का लाभ मिल सके।
दावा 407 का लेकिन आठ स्कूलों में सीटें ही नहीं
बेसिक शिक्षा विभाग ने जिले के 407 स्कूलों की सूची में 25 फीसदी सीटें गरीब बच्चों को निशुल्क पढ़ाने के लिए आरक्षित करने का दावा किया है लेकिन खास बात यह है कि इनमें आठ विद्यालय ऐसे हैं जहां एक भी सीट आरटीई के तहत नहीं दी गई है। इस हिसाब से संख्या 399 विद्यालयों की ही रह जाती है जबकि जनपद में इससे कहीं ज्यादा शिक्षण संस्थान चल रहे हैं।
जानिए दुर्बल व अलाभित समूह
अलाभित समूह के तहत अनुसूचित जाति, जनजाति, सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग, अन्य पिछड़ा वर्ग एचआईवी, कैंसर पीड़ित माता-पिता या अभिभावक के बच्चे, निराश्रित बेघर बच्चे आते हैं। दुर्बल वर्ग में सामान्य वर्ग के एक लाख से कम आय वाले माता-पिता एवं अभिभावक अपने बच्चों के लिए आरटीई का लाभ ले सकते हैं। बच्चों की प्रवेश के समय उम्र तीन से सात साल होनी चाहिए। प्री-प्राइमरी से लेकर कक्षा एक तक का लाभ देने का नियम है।