Bareilly: GST विभाग की रडार पर मंडल के 15 हजार व्यापारी, दो साल में कारोबार दिखाया शून्य

Bareilly: GST विभाग की रडार पर मंडल के 15 हजार व्यापारी, दो साल में कारोबार दिखाया शून्य

अनुपम सिंह, बरेली। बरेली मंडल के करीब 15 हजार व्यापारी जीएसटी विभाग की रडार पर आ गए हैं। विभाग की समाधान योजना के तहत इन व्यापारियों की ओर से रिटर्न के सही आंकड़े पेश न करने का शक है। करीब 12 हजार व्यापारियों ने अपना कारोबार ही शून्य दिखाया है तो बाकी ने रिटर्न ही नहीं दाखिल किया है। विभाग के अधिकारियों ने इन व्यापारियों के खिलाफ जांच कराने की तैयारी शुरू कर दी है।

जीएसटी की समाधान योजना में पंजीकृत व्यापारियों को डेढ़ करोड़ रुपये के टर्नओवर पर हर तिमाही में एक प्रतिशत टैक्स चुकाना पड़ता है। विभाग के आंकड़ों के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2024-25 में मंडल के चारों जिलों में 13164 व्यापारी पंजीकृत थे। अप्रैल से जून की पहली तिमाही में इनमें से 8343 ने ही रिटर्न दाखिल कर 2.44 करोड़ रुपये का टैक्स जमा किया। बाकी 2770 व्यापारियों ने रिटर्न में टैक्स के दायरे में न आने का दावा कर दिया। इसके अलावा 2703 व्यापारियों ने तो रिटर्न ही दाखिल नहीं किया।

जुलाई से सितंबर की दूसरी तिमाही में मंडल में 13,361 व्यापारी पंजीकृत थे जिनमें से 7,836 ने ही रिटर्न दाखिल कर 2.23 करोड़ का टैक्स अदा किया। इसके अलावा 2318 व्यापारियों ने रिटर्न में एक रुपये का भी टैक्स जमा नहीं किया। इनका दावा भी कारोबार शून्य हो जाने का था। इस बार भी 3510 व्यापारियों ने रिटर्न दाखिल नहीं किया।

इससे पहले पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 में भी यही स्थितियां रहीं। अप्रैल से जून की पहली तिमाही में मंडल में 12295 व्यापारी पंजीकृत थे जिनमें से 8788 ने ही रिटर्न दाखिल कर 2.54 करोड़ का टैक्स अदा किया। 3553 व्यापारियों ने रिटर्न में शून्य कारोबार दिखाया। इसके अलावा 1509 व्यापारियों ने रिटर्न ही नहीं दाखिल किया। जुलाई से सितंबर की दूसरी तिमाही में 12503 व्यापारियों का पंजीकरण था जिनमें से 8731 ने ही 2.40 करोड़ का टैक्स जमा किया। 3331 व्यापारियों ने अपने रिटर्न में टैक्स के दायरे में आने से साफ इन्कार कर दिया और 1994 ने रिटर्न ही दाखिल नहीं किया।

14 से 7.5 प्रतिशत पर आई राजस्व वसूली तो गहराया शक
जीएसटी अधिकारियों के अनुसार मंडल में हाल ही में राजस्व वसूली की समीक्षा में सामने आया कि फिलहाल प्रदेश में राजस्व वसूली का प्रतिशत 7.5 है जबकि जीएसटी वसूली 12 से 14 प्रतिशत तक हुई है। हाल ही में आए एडिशनल कमिश्नर ग्रेड-1 दिनेश चंद्र मिश्र ने इस समीक्षा में पाया कि राजस्व वसूली का प्रतिशत गिरा है। उन्होंने कारणों की समीक्षा की तो पता चला कि बड़ी संख्या में व्यापारियों ने रिटर्न नहीं दाखिल किया या फिर अपने बहीखाते को शून्य दिखाया है। इसके बाद उन्होंने इन व्यापारियों की जांच का आदेश दिया है।

शक : कुछ व्यापारियों की माली हालत बिगड़ी, कुछ कर रहे हैं गोलमाल
व्यापारियों की ओर से यह भी दावा किया जा रहा है कि समाधान योजना में पंजीकरण कराने वाले तमाम व्यापारियों की माली हालत खराब हो चुकी है, इसलिए वे टैक्स नहीं जमा कर पा रहे हैं। हालांकि तमाम ऐसे भी व्यापारी हैं जो रिटर्न के आंकड़ों में हेराफेरी कर रहे हैं। अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के महानगर अध्यक्ष अनिल अग्रवाल का कहना है कि जिस व्यापारी का टर्नओवर 40 लाख तक है, उस पर टैक्स नहीं लगता। जीएसटी में पंजीकृत व्यापारियों को समाधान योजना में डेढ़ करोड़ के टर्न ओवर पर एक प्रतिशत टैक्स देना होता है। कुछ व्यापारियों का कारोबार करोड़ों में होता है, लेकिन वे रिटर्न ऐसे दाखिल करते हैं कि टैक्स के दायरे में न आएं। इस पर जीएसटी अधिकारियों को सख्ती दिखाने की जरूरत है।

समाधान योजना के तहत पंजीकृत व्यापारियों की गोपनीय जांच के निर्देश दिए हैं। उनकी व्यापारिक गतिविधियों की भी जांच की जाएगी। समीक्षा में पता चला है कि हर तिमाही 27 सौ से तीन हजार तक व्यापारी रिटर्न नहीं दाखिल कर रहे हैं। रिटर्न दाखिल करने वाले जिन व्यापारियों ने शून्य कर देयता बताई है, वह स्वीकार्य नहीं है। इसकी जांच होगी। गड़बड़ी मिली तो जुर्माना लगाकर कार्रवाई की जाएगी- दिनेश चंद्र मिश्र, अपर आयुक्त ग्रेड 1 जीएसटी।

तर्क: ग्राहकों का आना बंद हो गया है
जिन व्यापारियों ने अपने रिटर्न अपना कारोबार शून्य दिखाया है, उनमें से तमाम का कहना है कि उनके प्रतिष्ठान पर ग्राहकों का आना बंद हो गया है, इस वजह से उनकी सेल लगभग शून्य हो गई है। कुछ व्यापारियों ने यह भी तर्क दिया है कि वे सिर्फ ऐसी वस्तुओं का कारोबार कर रहे हैं जिन पर जीएसटी देय नहीं है।

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