एकजुट साझा प्रयास

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पर्यावरण के विनाश और महामारी से कोई भी देश अकेले अपने नागरिकों की रक्षा नहीं कर सकता है। ऐसे में अब कोरोना को दुनिया की अंतिम महामारी नहीं कहा जा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ)  ने चेतावनी जारी की है कि दुनिया को अगली महामारी के लिए तैयार हो जाना चाहिए। भविष्य में सार्वजनिक स्वास्थ्य के समक्ष 75 फीसदी चुनौती  संक्रामक रोगों से होगी। संक्रामक रोगों का प्रकोप पहले कुछ देशों तक ही सीमित रहा करता था, लेकिन अब विश्व में महामारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है।

कोरोना ने वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा और महामारी शासन में व्याप्त खामियों को उजागर किया और इस तथ्य की बेहतर समझ प्रदान की है कि जब तक हर कोई सुरक्षित नहीं है तब तक कोई भी सुरक्षित नहीं है। यानी दुनिया अब एक अप्रत्याशित और नए खतरे के लिए तैयार हो रही है और इसके लिए वैश्विक स्तर पर तुरंत प्रतिक्रिया देने की जरूरत है। डब्ल्यूएचओ ने मौजूदा कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य रेगुलेशन में उपयोगी संशोधन अपनाकर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।

 हालांकि यह पर्याप्त नहीं है। चिंता की बात है कि यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि दुनिया, फ़िलहाल अगली वैश्विक महामारी से निपटने के लिए तैयार नहीं है। डब्ल्यूएचओ ने वैश्विक महामारी की तैयारी और उससे निपटने के लिए समझौते की अहमियत पर बल दिया। इस समझौते पर सहमति के लिए देशों के बीच विचार-विमर्श हो रहा है। 

महत्वपूर्ण है कि कोविड वैक्सीन के मोर्चे पर भारत वैश्विक स्तर पर अग्रणी रहा और उसने कई उपलब्धियां हासिल कीं। पहल स्वदेशी रूप से विकसित डीएनए वैक्सीन, जायकॉव-डी थी। इसके अलावा इसमें भारत का पहला प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन कॉर्बेवैक्स, उसका पहला एमआरएनए वैक्सीन जेमकोवैक और दुनिया का पहला इंट्रानेजल कोविड-19 वैक्सीन, इनकोवैक (भारत बायोटेक) शामिल हैं।

भारत में लोगों को कोविड वैक्सीन की दी गई 2.2 अरब खुराक में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सिन का योगदान रहा। कोरोना के समय भारत ने रिसर्च और डेवलपमेंट फ्रेमवर्क को मजबूत किया और कई तरह के नए प्रयोग किए गए। देश में भविष्य में ऐसे संकट से निपटने के उपाय सुझाने को लेकर नीति आयोग ने एक्सपर्ट ग्रुप का गठन किया।

डब्ल्यूएचओ ने भी अगली महामारी के लिए तैयार रहने के लिए राष्ट्रीय स्तर के अधिकारियों की मदद के लिए एक चेकलिस्ट जारी की है। एक सुरक्षित दुनिया बनाने की जिम्मेदारी सभी की है। इसके लिए हमें अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना चाहिए। भावी वैश्विक महामारियों की रोकथाम व उनसे निपटने के लिए एकजुट स्वास्थ्य प्रयासों के बल पर ही उन पर काबू पाना संभव होगा।