महाकुम्भ 2025: ऑक्सीजन सपोर्ट पर पहुंचे इंद्र गिरि महाराज, तीन शाही स्नान का लिया संकल्प
महाकुम्भ नगर, प्रयागराज, अमृत विचार। संगम की धरती पर 13 जनवरी 2025 से शुरू हो रहे महाकुंभ में शामिल होने के लिए देश ही नहीं विदेशों से भी श्रद्धालुओं को पहुंचना है। तमाम संत महात्माओं ने अपना डेरा भी जमाना शुरू कर दिया है। यहां आने वाले संतों में कई संत महात्मा ऐसे हैं जो अपनी अनोखी वेशभूषा के लिए जाने जाते हैं तो कई ऐसे भी हैं जो अपनी खास साधना के लिए प्रसिद्ध हैं।
वहीं महाकुंभ मेले में आवाहन अखाड़े में एक ऐसे नागा संन्यासी पहुंचे हैं जो ऑक्सीजन सपोर्ट के सहारे सांस ले रहे हैं, लेकिन आस्था और इच्छा शक्ति के आगे उनकी बीमारी भी उन्हें महाकुम्भ में आने से रोक नहीं पाई। बाबा का नाम महंत इंद्र गिरि जी महाराज है। वह नाथ डेरा बास हरियाणा से आए हैं।
महंत इंद्र गिरि जी महाराज ऑक्सीजन के सहारे पर चल रहे हैं। वह अखाड़े की छावनी में ही लेटे रहते हैं। उनके खाने-पीने पीने की सारी व्यवस्था उनके बिस्तर पर ही की जाती है। महंत इंद्र गिरि 2021 से फेफड़ों की बीमारी से ग्रसित चल रहे हैं। महंत इंद्र गिरि जी महाराज के दोनों फेफड़े अधिकांश खराब हो चुके हैं। इन्हें डॉक्टर ने ना केवल वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा, बल्कि उन्हें लगातार ऑक्सीजन कैप्सूल का इस्तेमाल करना पड़ रहा है।
अमृत विचार से खास बातचीत में महंत इंद्र गिरि जी महाराज ने बताया कि उनकी हालत ठीक नहीं है। लेकिन गंगा मैया की आस्था और भक्ति उन्हें यहां आने से नहीं रोक सकी। वह 2021 से फेफड़े की बीमारी से परेशान चल रहे हैं। डॉक्टर ने उन्हें महाकुम्भ में आने की सलाह नहीं दी, उन्हें रोका गया। उन्होंने बताया कि मां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी में महाकुंभ के पुण्य अमृत काल में डुबकी लगाने की उनकी इच्छा उन्हें यहां तक खींच लाई है। अखाड़े के दूसरे संत और शिष्य उनका ख्याल रख रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनका संकल्प है कि वह तीन मुख्य शाही स्नान मकर संक्रांति,मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी पर त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाकर अपने संकल्प को पूरा करने के बाद यहां से वापस जाएंगे।
97 फीसदी खराब हो चुके हैं फेफड़े
डॉक्टरों के मुताबिक हरियाणा के इंद्र गिरि महाराज के फेफड़े लगभग 97% तक खराब हो चुके हैं। जिसका इलाज करना अब नामुमकिन है। करीब चार साल पहले डॉक्टरों ने इन्हें जवाब दे दिया था। डॉक्टरों ने यह भी कहा था कि आश्रम में ही रहकर अपना इलाज और देखभाल करें। इंद्र गिरि महाराज ने बताया कि वह भगवान गजानन को मानते हैं। उनके फेफड़े में समस्या आने का कारण अग्नि और तपस्या है। जब शरीर पर पानी गिरता था तो यह बीमारी हो गई।
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