15 हजार की रिश्वत ली तो हो गया 3 साल का कठोर कारावास
- विजिलेंस ने 15 हजार की रिश्वत लेते वक्त किया था गिरफ्तार - जूनियर हाईस्कूल की मान्यता देने के एवज में मांगी थी रिश्वत
हल्द्वानी, अमृत विचार : जूनियर हाईस्कूल की मान्यता देने के एवज में रिश्वत मांगने वाले तत्कालीन मुख्य शिक्षा अधिकारी को अब तीन साल जेल में गुजारने होंगे। अधिकारी को विजिलेंस की टीम ने रंगेहाथ गिरफ्तार किया था। विजिलेंस अधिकारियों के मुताबिक वर्ष 2017 में नियाजगंज अल्मोड़ा निवासी रिजवानुर्रहमान पुत्र स्व. मौलाना मतलूबुर्रहमान ने विजिलेंस से शिकायत की थी। कहा था कि मूल रूप से दोतलिया बनकट वाराणसी उत्तर प्रदेश निवासी अशोक कुमार पुत्र इंद्रदेव सिंह वर्ष 2017 में अल्मोड़ा में मुख्य शिक्षा अधिकारी के पद पर तैनात थे। रिजवानुर्रहमान का कहना था कि नियाजगंज अल्मोड़ा में उनका स्कूल है।
स्कूल को जूनियर हाईस्कूल बनाने के लिए उन्हें मान्यता की आवश्यकता थी और इसके लिए वह अशोक कुमार के पास पहुंचे। अशोक कुमार मान्यता देने को राजी तो हो गए, लेकिन इसके एवज में 15 हजार रुपये रिश्वत की मांग की। रिजवानुर्रहमान ने इसकी शिकायत विजिलेंस से की।
जांच से तथ्य सही पाये जाने पर निरीक्षक पंकज उप्रेती के नेतृत्व में गठित ट्रैप टीम ने 28 अप्रैल 2017 को अशोक कुमार सिंह को 15 हजार रुपये रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया। मामले की विवेचना निरीक्षक संजय कुमार पाण्डे ने की और आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया। अभियोजन अधिकारी दीना रानी ने न्यायालय के समक्ष 13 गवाहों को परीक्षित कराया। न्यायालय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, प्रथम विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण नीलम रात्रा की अदालत ने 23 दिसंबर 2024 को अशोक कुमार सिंह को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 के अपराध के लिए तीन वर्ष के कठोर कारावास और 25 हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया।