भारतीय हॉकी के लिए यादगार रहा वर्ष 2024, ओलंपिक पदक के साथ पीआर श्रीजेश को मिली मनचाही विदाई 

भारतीय हॉकी के लिए यादगार रहा वर्ष 2024, ओलंपिक पदक के साथ पीआर श्रीजेश को मिली मनचाही विदाई 

नई दिल्ली। पांच दशक बाद लगातार दो ओलंपिक पदक, हॉकी इंडिया लीग की वापसी और महिला टीम के जीत की राह पर लौटने से वर्ष 2024 भारतीय हॉकी के लिए यादगार रहा हालांकि महान गोलकीपर पीआर श्रीजेश और महिला हॉकी स्टार रानी रामपाल के संन्यास के साथ एक दौर का अंत भी हो गया। पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर हरमनप्रीत सिंह की कप्तानी वाली भारतीय टीम ने साबित कर दिया कि टोक्यो खेलों में मिला कांसा कोई तुक्का नहीं था। पिछले दो दशक से भारतीय हॉकी के सबसे मजबूत स्तंभ रहे श्रीजेश को भी इस पदक के साथ खेल से मनचाही विदाई मिली। अब जूनियर हॉकी टीम के कोच के रूप में वह एक नयी भूमिका में नजर आयेंगे। 

टोक्यो और पेरिस से पहले भारतीय हॉकी टीम ने 1968 मैक्सिको सिटी और 1972 म्युनिख ओलंपिक में लगातार पदक जीते थे। कोच क्रेग फुल्टोन के साथ भारतीय टीम ने अपने रक्षात्मक ढांचे और जवाबी हमलों पर अधिक जोर दिया है और इसके नतीजे भी मिले हैं। ओलंपिक में भारत ने बेखौफ हॉकी खेली और दस खिलाड़ियों के साथ खेलते हुए क्वार्टर फाइनल में ब्रिटेन को हराया। फुल बैक अमित रोहिदास को लालकार्ड मिलने के बाद भारत ने 43 मिनट तक दस खिलाड़ियों के साथ खेला और शूट आउट में एक बार फिर श्रीजेश के कौशल ने भारत को लगातार दूसरे ओलंपिक सेमीफाइनल में जगह दिलाई। आखिरी पूल मैच में भारत ने आस्ट्रेलिया को 3 . 2 से हराया और ओलंपिक में 52 साल बाद इस दिग्गज टीम पर जीत मिली थी। फाइनल खेलने की उम्मीदें जर्मनी से करीबी मुकाबले में हार के बाद टूट गई लेकिन इस हार के 24 घंटे के भीतर भारत ने स्पेन को 2 . 1 से हराकर कांस्य पदक जीता। 

भारतीय हॉकी में कई सितारों का उदय हुआ लेकिन अनुभवी हरमनप्रीत और श्रीजेश का जलवा कायम रहा । दोनों ने टीम की सफलता में सूत्रधार की भूमिका निभाई । श्रीजेश जहां गोल के सामने भारत की दीवार साबित हुए वहीं कप्तान हरमनप्रीत ने दस गोल दागे जिसके दम पर उन्हें तीसरी बार एफआईएच वर्ष के सर्वश्रेष्ठ पुरूष खिलाड़ी का पुरस्कार भी मिला। टोक्यो में ऐतिहासिक चौथे स्थान पर रही भारतीय महिला टीम की पूर्व कप्तान रानी रामपाल ने भी 14 वर्ष के सुनहरे कैरियर पर विराम लगा दिया। हरियाणा के शाहबाद से निकलकर हॉकी की बुलंदियों को छूने वाली रानी अब जूनियर और महिला लीग में कोच के रूप में अपनी सेवायें देंगी। सात साल बाद हॉकी इंडिया लीग की वापसी की घोषणा सोने पे सुहागा रही। 

इस लीग से युवाओं को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों के साथ खेलने का मौका मिलेगा। इस बार चार टीमों की महिला हॉकी लीग भी साथ में होगी। पुरुषों की लीग 28 दिसंबर से राउरकेला में जबकि महिलाओं की 12 जनवरी से रांची में खेली जायेगी। साल की शुरूआत में महिला टीम का पेरिस ओलंपिक के लिये क्वालीफाई नहीं कर पाना निराशाजनक रहा। इसके बाद यानेके शॉपमैन की जगह हरेंद्र सिंह को एक बार फिर कोच बनाया गया। साल के आखिर में महिला टीम ने राजगीर में एशियाई चैम्पियंस ट्रॉफी खिताब के जरिये जीत की राह पर वापसी की। वहीं पुरुष टीम ने चीन के हुलुनबुइर में खिताब जीता। वहीं जूनियर पुरूष टीम ने मस्कट में इस महीने की शुरूआत में जूनियर एशिया कप फाइनल में पाकिस्तान को 5 . 3 से हराया जबकि महिला टीम ने चीन को शूटआउट में हराकर खिताब जीता।

ये भी पढ़ें: आस्ट्रेलियाई टीम से बाहर होने पर टूट चुके हैं नाथन मैकस्वीनी, बोले-मैं कड़ी मेहनत करके खुद को तैयार करूंगा