कानपुर में एक सप्ताह में पहुंचे पोस्ट कोविड के 50 मरीज: जिनको पूर्व में हुआ था कोरोना, अब ठंड में बढ़ रही दिक्कत

कानपुर में एक सप्ताह में पहुंचे पोस्ट कोविड के 50 मरीज: जिनको पूर्व में हुआ था कोरोना, अब ठंड में बढ़ रही दिक्कत

कानपुर, अमृत विचार। सर्दी के मौसम में पोस्ट कोविड के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। जिनको सांस लेने में परेशानी, थकावट, शरीर में दर्द, आंखों की समस्या, चलने में हाफी आना और सोचने–समझने दिक्कत समेत आदि समस्या हो रही है। चेस्ट अस्पताल में पिछले सप्ताह पोस्ट कोविड के 50 मरीज पहुंचे हैं। डॉक्टर ऐसे मरीजों को सर्दी के मौसम में विशेष रूप से सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं।

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मुरारी लाल चेस्ट अस्पताल में करीब 15 दिन से रोज पांच से छह मरीज ओपीडी में पोस्ट कोविड के पहुंच रहे हैं। मतलब यह है कि जिनको पूर्व में कोरोना हुआ था, उनकी सर्दी के मौसम में तकलीफ बढ़ रही है। उन्हें सांस संबंधित समस्या फिर से होने लगी है। इन मरीजों में 40 वर्ष से अधिक रोगियों की संख्या ज्यादा है। 

मुरारी लाल चेस्ट अस्पताल के विभागाध्यक्ष डॉ.संजय कुमार वर्मा ने बताया कि लॉंग कोविड जिसे पोस्ट कोविड सिंड्रोम के रूप में भी जाना जाता है, यह संक्रमण ठीक होने के बाद लंबे समय तक बने रहने वाली स्वास्थ्य समस्या है। पोस्ट कोविड आमतौर पर उन लोगों को प्रभावित करता है, जो गंभीर कोविड के लक्षणों से पीड़ित रहे हैं। 

इसके अलावा बिना टीकाकरण वाले और जिन्हें मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (किडनी और मस्तिष्क जैसे अंगों में सूजन) की समस्या रही है, उनमें पोस्ट कोविड सिंड्रोम की समस्या अधिक हो सकती है। 

पोस्ट कोविड का खतरा उन लोगों में भी हो सकता है, जो हल्के लक्षणों के शिकार रहे हैं। शुरुआती लक्षणों की पहचान कर इलाज में देरी न करने से समस्या को गंभीर होने से रोका जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि समय पर जांच कराएं और डॉक्टर के बताए अनुसार दवा का सेवन करें। 

थकान-कमजोरी और सांस फूले तो दिक्कत 

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया कि कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों में जो दिक्कत सबसे ज्यादा देखी जा रही है, वह है लंबे समय तक बनी रहने वाली कमजोरी-थकान की समस्या। कुछ लोगों को सांस फूलने की भी दिक्कत हो रही है। 

वृद्ध लोगों और अन्य बीमारियों के शिकार रहे लोगों में पोस्ट कोविड की समस्याएं लंबे समय तक बने रहने की आशंका अधिक है। संक्रमण में वायरस से मुकाबले के दौरान शरीर में माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी हो जाती है, जिसके कारण ठीक होने के बाद भी इस तरह  की समस्याएं बनी रह सकती हैं। चलने पर हाफी आना और ब्लड प्रेशर व हृदय संबंधित समस्या भी हो सकती है।

टीबी मरीजों को अब एक हजार महीना 

टीबी के मरीजों को पर्याप्त पोषण मिल सके, इसके लिए केंद्र सरकार ने निक्षय पोषण योजना (एनपीवाई) के तहत दी जाने वाली पोषण सहायता राशि प्रतिमाह पांच सौ रुपये की जगह एक हजार रुपये कर दी है। यह धनराशि सीधे मरीजों के बैंक खाते में जाएगी। 

वर्तमान में जिले में टीबी के 23 हजार मरीज है और 700 एमडीआर के मरीज हैं। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. आरपी मिश्रा ने बताया कि अप्रैल 2018 से निक्षय पोषण योजना (एनपीवाई) के तहत राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत सभी टीबी रोगियों को अब मरीजों को एक हजार रुपये मुहैया कराया जाएगा।

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