Health Tips: हार्मोन असंतुलन व डायबिटीज बने घातक, पुरुषों में बढ़ा रहे बांझपन, कानपुर में डॉक्टरों ने दी जानकारी

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Published By Deepak Shukla
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कानपुर, अमृत विचार। जीवनशैली में बदलाव, धूम्रपान, शराब व तनाव पूर्ण जीवन का असर पुरुषों पर इस कदर पड़ रहा है कि उनमे बांझपन की समस्या बढ़ रही है। हार्मोनल असंतुलन और डायबिटीज से भी पुरुषों में बांझपन बढ़ रहा है। लेकिन घर व परिवार के सदस्य पुरुषों को दोष न देकर केवल महिलाओं को ही इसका दोष देते हैं। डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के मुताबिक 20 से 40 फीसदी पुरुष बांझपन की समस्या से पीड़ित हैं। गलत हरकत, व्यायाम न करने और कुछ दवाओं के सेवन से भी शुक्राणु उत्पादन में कमी आती है, जिसकी वजह से उनको पिता बनने में समस्या होती है। यह जानकारी डॉ. रिनॉय श्रीधरन व डॉ.रीता मित्तल ने दी। 

परेड स्थित आईएमए सभागार में शनिवार को विशाखापट्नम से आए आईएमए सीजीपी के नेशनल डीन डॉ.वीएस प्रसाद व सीएसजेएमयू के कुलपति डॉ.विनय कुमार पाठक ने आईएमए के पदाधिकारियों के साथ आईएमए सीजीपी रिफ्रेशर कोर्स का उद्घाटन किया। डॉ.वीएस प्रसाद ने बताया कि किसी भी बीमारी को बढ़ने से रोकने के लिए सबसे जरूरी उसको सटीक डायग्नोस करना होता है। जल्दी डायग्नोस से बीमारी को गंभीर होने से रोका जा सकता है और मरीज को जटिलताओं से गुजरना भी नहीं पड़ता है। 

डायबिटीज व प्री डायबिटीज ग्रस्त मरीजों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि डायबिटीज कई बीमारियों की जड़ है। हर 100 मरीजों में 20 मरीज डायबिटिज ग्रस्त होते हैं, जबकि 15 से 20 मरीजों को जांच कराने पर पहली बार पता चलता हैं कि वह प्री डायबिटिज से ग्रस्त हैं। आईएमए अध्यक्ष डॉ.नंदिनी रस्तोगी, डॉ.शालिनी मोहन, सचिव डॉ.विकास मिश्रा, डॉ.एसके गौतम, डॉ.दीपक श्रीवास्तव, डॉ.कुणाल सहाय, डॉ.अनीता गौतम, डॉ.गौरव मिश्रा, डॉ. अनुरोग मेहरोत्रा, डॉ.गणेश शंकर आदि रहे।

लोगों में अंगदान करने की है कमी 

लखनऊ से आए डॉ.आशीष मिश्रा ने बताया कि लिवर ट्रांसप्लांट के प्रति लोगों में जागरूकता की काफी कमी है, जिसकी वजह से जरूरतमंद लोगों को दिक्कत होती है। देश में प्रतिवर्ष 40 से 50 हजार लोगों को लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है, लेकिन इसके एवज में मात्र तीन से चार हजार मरीजों को ही मदद मिलती है। ऐसे में लिवर ट्रांसप्लांट व अंगदान के प्रति लोगों को जागरूक करना बेहद जरूरी है। आईएमए अध्यक्ष डॉ.नंदिनी रस्तोगी ने संस्थाओं के साथ मिलकर इसपर चर्चा कर जागरूकता फैलाने का आश्वासन दिया। डॉ.आशीष ने बताया कि एक लिवर की मदद से दो लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है। 

युवावस्था में हो रहा टाइप 5 डायबिटिज 

पीजीआई लखनऊ से आए डॉ.शिवेंद्र वर्मा ने बताया कि वर्तमान में कुछ मामले ऐसे देखे गए हैं, जिनमे युवा टाइप 5 डायबिटिज से ग्रस्त मिले हैं। जिनका बीएमआई 18 फीसदी से कम था, वह भी टाइप 5 से ग्रस्त मिले हैं। इंक्रेटिन हार्मोन की कमी से 18 से 30 वर्ष के युवाओं को यह समस्या हो रही है। टाइप 5 को मान्यता के लिए इंटरनेशनल डायबिटिज फाइब्रेशन में भेजा गया है। डॉ.शिवेंद्र ने बताया कि हार्मोनल एनालॉग की एक दवा पर शोध किया जा रहा है, जिसके परिणाम सार्थक मिले हैं। जिसकी मदद से शुगर कम होती है, एंसुलिन बढ़ती है, भूख बढ़ती है व फैटी लिवर भी सही होता है। उन्होंने बताया कि कार्डियो रेनल मेटाबॉलिक स्थितियों का प्रबंधन की शुरुआत करना महत्वपूर्ण है। साथ ही जीवनशैली व खानपान पर सुधार जरूरी है।

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