Kanpur: विश्व एड्स दिवस पर सामने आए चौंकाने वाले आंकड़े; 11 महीने में मिले इतने HIV संक्रमित मरीज...डॉक्टर बोले...

Kanpur: विश्व एड्स दिवस पर सामने आए चौंकाने वाले आंकड़े; 11 महीने में मिले इतने HIV संक्रमित मरीज...डॉक्टर बोले...

कानपुर, अमृत विचार। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक इस वर्ष शहर में जनवरी से लेकर नवंबर तक करीब 500 लोग एचआईवी संक्रमित मिले हैं जिनमें पुरुषों की संख्या अधिक है। संक्रमितों में हाई रिस्क ग्रुप के लोग भी शामिल हैं, जिसमें सेक्स वर्कर भी हैं। पिछले साल पूरे 12 महीने में 485 एचआईवी संक्रमित मिले थे।

अगर कोई व्यक्ति किसी वजह से एचआईवी या एड्स संक्रमित हो जाता है तो वह बीमारी को छुपाने का प्रयास करता है। यही प्रयास उसके लिए खतरनाक साबित होता है, जिसकी वजह से न सिर्फ इलाज में देरी होती है, बल्कि बीमारी भी बढ़ जाती है। इसलिए लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। इसमें एचआईवी संक्रमण से बचाव को लेकर स्वास्थ्य विभाग की ओर से लोगों को जागरूक किया जाता है। 

यहां पर करा सकते एचआईवी की गोपनीय जांच 

विश्व एड्स दिवस पर बताया गया कि एचआईवी की जांच के लिए जिले में नौ सेंटर हैं, जिनमे उर्सला, डफरिन, केपीएम और जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज एआरटीसी सेंटर मुख्य हैं। इन सेंटरों में व्यक्ति की पहचान गोपनीय रखी जाती है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की अध्यक्ष डॉ.सुरैया खानम ने बताया कि मरीज की जांच रिपोर्ट उसके अलावा किसी अन्य यहां तक की उसके परिवार वालों से भी साझा नहीं की जाती है। इस बीमारी की रोकथाम के संबंध में काफी जागरूकता की जरूरत है। 

शुरुआती चरण में नहीं है पहचान

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ.एसके गौतम ने बताया कि एचआईवी एक ऐसी बीमारी है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को धीरे-धीरे कमजोर करती है। इसका पहला चरण अक्सर पहचान में नहीं आता। बीमारी के लक्षण सामान्य बुखार, गले में खराश और थकावट जैसे होते हैं। इन लक्षणों को हल्की बीमारी समझकर नजर अंदाज नहीं करना चाहिए। जब तक संक्रमण का पता चलता है, तब तक स्थिति गंभीर हो सकती है। इसलिए समय पर जांच और इलाज जरूरी है। 

एचआईवी और एड्स अलग-अलग हैं

एआरटी प्लस केंद्र कानपुर के नोडल अधिकारी डॉ.एमपी सिंह के मुताबिक एड्स और एचआईवी दोनों अलग-अलग हैं। एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस) वायरस के संक्रमण के कारण एड्स रोग होता है। एचआईवी के गंभीर चरणों में एड्स होता है। अध्ययनों से पता चला है कि समय पर इलाज से एचआईवी वाले व्यक्ति को एड्स से बचाया जा सकता है। यानी अगर कोई एचआईवी से संक्रमित है और उसका प्रभावी इलाज हो जाए तो वह एड्स से बच सकता है। 

इस वजह से नहीं फैलता है एचआईवी 

डॉ.एमपी सिंह के मुताबिक एड्स किसी को छूने, गले लगाने, हाथ मिलाने या किसी के साथ खाना खाने से नहीं फैलता है। एचआईवी वायरस केवल संक्रमित खून, वीर्य और स्तनपान से बच्चों में हो सकता है। एचआईवी संक्रमित मां से बच्चे में वायरस पहुंचने का खतरा होता है, हालांकि इसे रोका भी जा सकता है। यदि गर्भवती महिला में एचआईवी संक्रमण का पता चलता है तो उसे दवाइयां देकर बच्चे को संक्रमण से सुरक्षित किया जा सकता है।

समय पर जांच और इलाज से जिंदगी 

सेंटर में आए एचआईवी ग्रस्त एक मरीज ने कहा कि संक्रमित होने की जानकारी होने पर तुरंत इलाज और दवा की, जिसकी वजह से काफी राहत है और जीवन भी जी रहे हैं। साथ ही लोगों को भी एचआईवी व एड्स के प्रति जागरूक करने का काम कर रहे हैं। एचआईवी ग्रस्त होने के बाद समय पर जांच और इलाज से जिंदगी जी जा सकती है। 

यह भी पढ़ें- कानपुर दक्षिण के 25 मोहल्लों में चार दिन रहेगी पानी की किल्लत: मेट्रो की खुदाई से टूटी मुख्य पाइपलाइन, एक करोड़ लीटर पानी बहा