Unnao News: 114 साल का हुआ ब्रिटिश कालीन रेलवे पुल...विभाग का दावा अभी कई दशक और चलेगा
संरचनात्मक स्थिति की मजबूती के लिये रेलवे ब्रिज अधिकारी लेते रहते जायजा
उन्नाव, अमृत विचार। बीते मंगलवार पौ फटते ही गंगा नदी पर बना बंद पड़ा पुराने यातायात पुल के बीच का हिस्सा भर-भराकर गिर गया था। वहीं इसी तरह गंगा नदी पर बना रेलवे पुल जो अब 114 साल का हो गया है उसे लेकर भी लोगों में आशंकाओं ने घर कर लिया है।
हालांकि, इसे लेकर रेलवे अफसरों ने दावा किया है कि यह पुल अभी कई दशक तक सुरक्षित रहेगा और इसके इस्तेमाल में कोई समस्या नहीं है।
बता दें कि गंगा नदी पर पहले यातायात पुल का निर्माण किया गया था। जिसका उपयोग पहले यातायात के साथ ही ट्रेनों के संचालन के लिए भी किया जाता था। लेकिन जैसे-जैसे ट्रेनों की संख्या बढ़ी तो जरूरत के अनुसार वर्ष-1910 में इसके समानांतर एक नया रेलवे पुल बनाया गया था।
यह पुल 814 मीटर लंबा है। तब से यह पुल ट्रेन संचालन के लिए इस्तेमाल हो रहा है और अब यह अपनी उम्र के 114वें साल में है। रेलवे पुल से रोजाना सैकड़ों ट्रेनें गुजरती हैं। जिसमें एक्सप्रेस, पैसेंजर के अलावा मालगाड़ियां शामिल हैं। इस रूट पर ट्रेनों का अत्यधिक भार पड़ा हुआ है जो इस पुल पर दबाव डालता है।
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि पुल की नियमित निगरानी की जा रही है और इसकी संरचनात्मक मजबूती बनाए रखने के लिए आवश्यक मरम्मत भी समय-समय पर की जाती है।
114 साल पुराना रेलवे पुल जो आज भी कार्यशील है यह रेलवे के लिए बड़ी चुनौती के साथ उपलब्धि भी है। पुल की मरम्मत व निगरानी का काम निरंतर चल रहा है। हालांकि, हाई स्पीड ट्रेनें चलाने के लिए पुल की क्षमता पर सवाल भी खड़े हो रहे हैं।
ब्रितानी हुकूमत ने ही कराया था इस पुल का भी निर्माण
14 जुलाई 1874 को ब्रिटिश शासन के दौरान पुराने यातायात पुल का निर्माण हुआ था। इस पुल का उपयोग शुरू में ट्रेनों के संचालन के लिए किया गया था। इसके बाद जब इस पुल पर ट्रेनों की संख्या बढ़ी तो पुराने पुल के समानांतर एक नया रेलवे पुल बनाने की जरूरत महसूस हुई। इस पुल की लंबाई 814 मीटर है। 1910 से लगातार यह पुल अपनी सेवाएं दे रहा है।
लगातार की जाती है रेलवे पुल की मरम्मत और निगरानी
रेलवे की ओर से समय-समय पर पुल की मरम्मत व पुनर्निर्माण का काम किया जाता है। पुल की स्थिरता बनाए रखने के लिए बीते कुछ वर्षों में कई बार टर्फ बदलने का भी काम किया गया। वर्ष-1990 में अप लाइन के टर्फ बदलने का काम हुआ था। जबकि वर्ष-2016 में डाउन लाइन के टर्फ बदले गए थे।
इसके बाद इसी वर्ष-2024 में भी डाउन लाइन के जर्जर स्लीपर बदलने का काम किया गया था। इसके अलावा अक्टूबर-2024 में पुल की एक महत्वपूर्ण मरम्मत की गई। जब शुक्लागंज की ओर स्थित ईंटों के गाटर में दरारें आ गई थीं। इस पर विभाग ने एपॉक्सी केमिकल से इसकी मरम्मत कराई थी।
हाई स्पीड ट्रेनें चलाने की चल रही कवायद
रेलवे द्वारा लखनऊ-कानपुर रेल रूट पर हाई स्पीड ट्रेनों के संचालन की योजना बनाई जा रही है। हालांकि, पुल की उम्र को देखते हुए यह सवाल उठता है कि क्या यह पुल हाई स्पीड ट्रेनें संभाल पाएगा।
विभागीय अफसरों का कहना है कि हालांकि पुल पुराना है लेकिन इसकी संरचनात्मक स्थिति अभी काफी मजबूत है और इसका निरीक्षण निरंतर किया जाता है। उनका मानना है कि यह पुल अभी कई दशक तक कार्यशील रहेगा। हालांकि इसकी मजबूती पर लगातार ध्यान दिया जा रहा है।
रेलवे पुल पर वर्तमान में है ट्रेनों का भारी दबाव
लखनऊ-कानपुर रूट पर रोज करीब 170 से अधिक ट्रेनों का संचालन होता है। जिसमें एक्सप्रेस, पैसेंजर व मालगाड़ियां शामिल हैं। इन ट्रेनों का भारी दबाव पुल पर पड़ता है। इसके चलते पुल की निगरानी व मरम्मत पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
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