बच्चों के ‘स्क्रीन टाइम’ को सीमित करते समय अपने लिए भी सीमाएं तय करें माता-पिता

(माइकल व्हीलर, मेलबर्न यूनिवर्सिटी/डेविड डसंटन, बेकर हर्ड एंड डायबिटीज इंस्टिट्यूट/लॉरेन एरनडेल, मैट्स हॉलग्रेन और पैडी डेम्प्सी, डीकिन यूनिवर्सिटी)

बच्चों के ‘स्क्रीन टाइम’ को सीमित करते समय अपने लिए भी सीमाएं तय करें माता-पिता

मेलबर्न। कई परिवारों में कभी काम तो कभी मनोरंजन के लिए स्क्रीन से चिपके रहना दैनिक जीवन का हिस्सा होता है। लेकिन अभिभावकों के लिए, बच्चों को स्क्रीन से ज्यादा से ज्यादा दूर रखना ही काफी नहीं है बल्कि खुद के लिए भी स्क्रीन के उपयोग के प्रति संतुलित दृष्टिकोण अपनाना जरूरी है।

हमारे अध्ययन में पता चला है कि जो माता-पिता स्क्रीन पर अत्यधिक समय बिताते हैं वे अनजाने में अपने बच्चों को भी इसी तरह की आदतों के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। ज्यादा समय स्क्रीन पर बिताने से बच्चों में संचार और बौद्धिक क्षमता के विकास में देरी हो सकती है। एक महत्वपूर्ण बात यह है कि स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने से अभिभावकों और बच्चों के बीच बातचीत कम हो जाती है, जो बच्चों के विकास के लिए महत्वपूर्ण होती।

अकसर देखा जाता है कि ज्यादा समय स्क्रीन पर बिताने की वजह से बच्चे अपने माता-पिता से बात नहीं कर पाते हैं। लेकिन जब माता-पिता अपने स्मार्टफोन का बहुत ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, तो इसका मतलब होता है कि वे अपने बच्चों से ज्यादा बात नहीं करते या उनका ध्यान नहीं रख पाते, खासकर तब जब भोजन के समय स्क्रीन देखने लग जाते हैं। माता-पिता को बच्चों के साथ समय बिताने के लिए स्क्रीन देखने पर रोक लगाने की जरूरत नहीं है। अगर माता-पिता बच्चों के साथ अपनी उम्र के हिसाब से उचित टीवी कार्यक्रम देखते हैं, तो इससे बच्चों की साक्षरता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसा शायद कार्यक्रम के विषय पर बातचीत करने के कारण होता है।

माता-पिता परिवार में स्क्रीन देखने की स्वस्थ आदतों को बढ़ावा देने के लिए सकारात्मक भूमिका निभाकर और संतुलित दृष्टिकोण के जरिए बहुत कुछ कर सकते हैं। माता-पिता के स्वयं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए स्क्रीन टाइम का प्रबंधन करना भी महत्वपूर्ण है। ‘स्क्रीन टाइम’ का मतलब अकसर लंबे समय तक स्क्रीन देखते रहना होता है, जो हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बुरा हो सकता है।

हमारे काम से पता चला है कि लंबे समय तक बैठे रहने से हमारे शरीर के कई अंगों का कामकाज प्रभावित हो सकता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हर बार जब आप नेटफ्लिक्स पर कुछ अच्छा देखते हैं तो आपको ग्लानि महसूस करनी चाहिए। कुछ समस्याओं को लंबे समय तक बैठने से पहले व्यायाम करने या हर 30 मिनट में कुछ हल्की गतिविधि के जरिए समाप्त किया जा सकता है। आपको ये गतिविधियां करते समय टीवी बंद करने या रोकने की भी आवश्यकता नहीं है।

एक अध्ययन में पता चला है कि हर लंबे समय तक टीवी देखने से पहले या देखते समय थोड़ी शारीरिक गतिविधियां करने से सोने का समय 30 मिनट तक बढ़ सकता है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि अच्छी नींद से आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है, जिससे अच्छा शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने में मदद मिलती है। यह भी मायने रखता है कि आप स्क्रीन पर क्या देख रहे हैं।

स्क्रीन का मानसिक रूप से नकारात्मक उपयोग करने जैसे सोशल मीडिया इस्तेमाल करने से अवसाद और यहां तक कि मनोभ्रंश (डिमेंशिया) का खतरा बढ़ जाता है, जबकि मानसिक रूप से सकारात्मक इस्तेमाल से आपको बौद्धिक और कामकाजी लाभ हासिल हो सकते हैं। एक ओर, लगभग दो-तिहाई माता-पिता सोचते हैं कि वे अपने गैर-जरूरी स्क्रीन टाइम को कम कर सकते हैं, जबकि शेष को लगता है कि मानसिक रूप से गैर जरूरी स्क्रीन टाइम को वे सकारात्मक स्क्रीन टाइम में बदल सकते हैं।

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