पीलीभीत: स्कूल में जमीन पर बैठकर पढ़ाई, सर्दी का सितम झेलेंगे नौनिहाल
पीलीभीत, अमृत विचार। परिषदीय स्कूलों की स्थिति में सुधार के सरकार लाख दावे करती है। सरकारी स्कूलों को निजी अंग्रेजी मीडियम स्कूलों से कम न होने के दावे किए जाते हैं, लेकिन धरातल पर ये दावे हवाहवाई साबित हो रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों की हालत तो काफी खराब है। शहरी क्षेत्र में भी हालात भी अच्छे नहीं हैं।
इन दिनों सर्दी का सितम बढ़ने लगा है। ऐसे में बच्चे स्कूलों के फर्श पर ठिठुर रहे हैं। यूनीफॉर्म व मिड-डे मील और छात्रवृत्ति पर हर साल अरबों खर्च करने वाले शिक्षा विभाग के पास प्राइमरी स्कूल के लिए फर्नीचर खरीदने का बजट ही नहीं है। टाट व दरी पर मासूमों को पढ़ने के लिए बैठाया जा रहा है। जनपद की बात करें तो 1508 परिषदीय विद्यालय संचालित हैं। इसमें करीब पौने दो लाख से अधिक बच्चे अध्ययनरत हैं। इन स्कूलों में अफसर निजी स्कूलों की तर्ज पर शिक्षा मुहैया कराने का दावा करते हैं, लेकिन हकीकत में शिक्षा गुणवत्ता की बात तो दूर यहां बच्चों के बैठने के लिए फर्नीचर तक नहीं है। ऐसे में सर्दी के मौसम में भी बच्चे दरी पट्टी पर बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं। वार्षिक परीक्षा में वह पट्टी पर बैठकर परीक्षाएं देते हैं। विभाग के आंकड़ों के अनुसार 1499 विद्यालयों में 925 विद्यालयों में फर्नीचर नहीं है। यह सभी प्राथमिक विद्यालय है। जहां फर्नीचर नहीं है। इस साल कयास लगाए गए थे कि बच्चों को फर्नीचर मिल जाएगा। मगर इस साल भी बच्चों को ठंड में जमीन पर ही बैठना पड़ेगा। अफसरों की मानें तो बजट न मिलने की वजह से स्कूलों में फर्नीचर नहीं मिल पा रहा है।