नक्शा और पैमाइश नहीं, ड्रोन तय करेगा ग्राम पंचायतों का क्षेत्र, इन गांवों का होगा ड्रोन से सर्वे
जिलाधिकारी से मांगी स्वीकृति, अवैध निर्माण से बचेंगे ग्रामीण
लखनऊ, अमृत विचार: ग्राम पंचायतों का क्षेत्र कहां से कहां तक है अब यह नक्शा और पैमाइश के बजाय डिजिटल पता चलेगा। निर्माण के दौरान अक्सर होने वाले नगर और ग्राम पंचायतों के बीच विवाद को रोकने के लिए पंचायती राज विभाग सभी ग्राम पंचायतों का जीपीएस आधारित ड्रोन सर्वे कराएगा और सेटेलाइट से तस्वीरें लेकर अपने क्षेत्रफल की डिजिटल मैपिंग करेगा। इससे आवासीय व व्यवसायिक निर्माण को लेकर विवाद की स्थिति नहीं आएगी और विकास को रफ्तार मिलेगी। इस पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत लखनऊ की ग्राम पंचायत बक्कास और गौतमबुद्ध नगर की कंदौला से होगी।
इस कार्य के लिए नामित कंपनी ने दोनों गांवों में राजस्व अभिलेखों का डिजिटलीकरण कर ग्रीन जोन बनाए हैं। जिनका ड्रोन सर्वे कराने के लिए संबंधित जिलाधिकारी की स्वीकृति मांगी गई है। इन गांवों में सफलता मिलने के बाद प्रदेशभर में ड्रोन सर्वे कराकर क्षेत्रफल व संपत्तियां चिह्नित की जाएंगी। इससे नगर निगम, विकास प्राधिकरण, नगर पालिका व नगर पंचायत के क्षेत्र को लेकर भ्रम की स्थिति नहीं रहेगी और गलत तरह से भवन निर्माण नहीं हो पाएगा। ग्रामीण लाखों नुकसान के साथ ध्वस्तीकरण जैसी कार्रवाई से बचेंगे। साथ ही ग्रामीण इलाकों की तरफ बढ़ रहे शहर के अवैध निर्माण पर अंकुश लगेगा।
ट्रेस होंगी निजी व सरकारी भूमि
ड्रोन सर्वे से क्षेत्रफल के अलावा गांव में सरकारी व निजी भूमि एवं अन्य संपत्ति भी ट्रेस होगी। इससे गांव के अंदर सरकारी व निजी निर्माण में विवाद की स्थिति नहीं आएगी। ग्राम पंचायत डेवलपमेंट योजना (जीपीडीपी) बनाने के दौरान ही निर्माण स्थल व संपत्ति की जानकारी हो जाएगी। साथ ही जीपीएस सर्वे से सड़क, पंचायत भवन, तालाब, आंगनबाड़ी केंद्र, स्वास्थ्य केंद्र आदि सरकारी निर्माण के लिए जगह आरक्षित की जाएगी और मैपिंग करके डिजिटल नक्शा बनाया जाएगा। इसी आधार पर निर्माण व अन्य कार्य होंगे।
चयनित ग्राम पंचायतों का ड्रोन सर्वे कराएंगे। इस व्यवस्था से खासकर निर्माण के दौरान विवाद की स्थिति नहीं आएगी। नगर व ग्रामीण अपने क्षेत्र में निर्माण कराएंगे। इसका ग्रामीणों को लाभ मिलेगा।
-अटल कुमार राय, निदेशक, पंचायती राज विभाग उप्र