संपादकीय, 18 नवंबर... मणिपुर में संकट

संपादकीय, 18 नवंबर... मणिपुर में संकट

मणिपुर में एक बार फिर से हालात बिगड़ते दिख रहे हैं। राज्य में पिछले दिनों एक के बाद एक हुई हिंसक घटनाओं ने चिंता बढ़ा दी है। शनिवार को इंफाल घाटी के विभिन्न जिलों में गुस्साई भीड़ ने भाजपा के तीन और विधायकों तथा कांग्रेस के एक विधायक के आवास को लगा दी। इसी के साथ घाटी में अनिश्चितकाल के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया है और इंटरनेट सेवाएं भी निलंबित कर दी गई हैं। मणिपुर के जिरीबाम जिले में दो महिलाओं और एक बच्चे के शव बराक नदी से शनिवार को बरामद किए गए जबकि एक महिला एवं दो बच्चों के शव शुक्रवार रात मिले। ऐसा आरोप है कि उग्रवादियों ने अपहरण के बाद इनकी हत्या कर दी।

मई 2023 में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच टकराव शुरू होने के बाद से 250 से ज्यादा लोग मारे गए हैं और 60,000 से अधिक विस्थापित हुए हैं। मई 2023 से शुरू हुए विवाद के बाद से राज्य में मैतेई, कुकी और नगा समुदायों के बीच टकराव जारी है। केंद्र और राज्य सरकार के सुलह के लिए हर संभव प्रयास के बावजूद कोई समाधान निकाला नहीं जा सका है। सवाल है कि इस विवाद को अभी तक क्यों सुलझाया नहीं जा सका है। पिछले सोमवार को जिरीबाम में मुठभेड़ स्थल पर मिले 10 हथियारों में दो ऐसे थे जो पुलिस से लूटे गए थे।

इससे पता चलता है कि राज्य में गंभीर शासन संकट है। पूर्वोत्तर ने लंबे समय तक उग्रवाद की मार झेली है। हिंसा के कारण राज्य में सामाजिक और सांस्कृतिक तनाव भी बढ़ चुका है, और कई परिवार विस्थापित हो चुके हैं। सीओसीओएमआई ने सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम को तत्काल हटाने की मांग की है, जिसे हाल ही में छह पुलिस थानों के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में पुनः लागू किया गया है। इस संकट के हल के लिए केंद्र को पहल करनी चाहिए। सरकार को क्षेत्र के लोगों में स्वामित्व और अपनेपन की भावना को बढ़ावा देने के लिए निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनकी भागीदारी को प्रतोसाहित करना चाहिए।

 गौरतलब है कि पूर्वोत्तर भारत में जातीय संबंध बहुत ही जटिल हैं, और एक बार हिंसा भड़क जाने पर उसका लंबा दौर चल सकता है। केंद्र को मैतेई और कुकी समुदायों को शांति की दिशा में प्रेरित करने के लिए अपनी कोशिशें बढ़ानी चाहिएं। इस संकट को सुलझाने के लिए सक्रिय कदम उठाने की जरूरत है ताकि मणिपुर में शांति बहाल हो सके और राज्य में स्थिरता लौट सके।

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